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Tuesday 20 July 2021 03:56:07 PM
रोपड़ (पंजाब)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ ने मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरों के जीवनकाल में तीन गुना बढ़ोत्तरी करने केलिए अपनी तरह की पहली ऑक्सीजन राशनिंग डिवाइस-एमलेक्स विकसित की है, जो सांस लेने तथा रोगी के कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने के दौरान रोगी को ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा की आपूर्ति करती है। यह प्रक्रिया ऑक्सीजन की बचत करती है, जो वैसे अनावश्यक रूपसे बर्बाद हो जाती है। अभी तक सांस छोड़ने के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर या पाइप में रहा ऑक्सीजन भी उपयोगकर्ता के कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते समय बाहर निकल जाती है, इससे दीर्घावधि में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का अपव्यय होता है।
जीवनरक्षक ऑक्सीजन के मास्क में निरंतर प्रवाह के कारण रेस्टिंग पीरियड यानी सांस लेने और छोड़ने के बीच में मास्क की ओपनिंग्स से बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन वातावरण में चली जाती है, जैसाकि हमने देखा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है और यह डिवाइस ऑक्सीजन की अवांछित बर्बादी को रोकने में सहायता करेगी। आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहुजा ने कहा कि यह डिवाइस पोर्टेबल पावर सप्लाई (बैट्री) तथा लाइन सप्लाई (220 वाट-50 हर्ट्ज) दोनों पर ऑपरेट कर सकती है। इसे संस्थान के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीएचडी छात्र मोहित कुमार, रविंदर कुमार और अमनप्रीत चंद्र ने बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर आशीष साहनी के दिशानिर्देश में विकसित किया है।
डॉक्टर आशीष साहनी ने कहा कि विशेष रूपसे ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए बनाए जा रहे एमलेक्स को ऑक्सीजन सप्लाई लाइन तथा रोगी के पहने गए मास्क के बीच आसानी से कनेक्ट किया जा सकता है। यह एक सेंसर का उपयोग करता है, जो किसी भी पर्यावरणगत स्थिति में उपयोगकर्ता द्वारा सांस लेने और छोड़ने को महसूस करता है और सफलतापूर्वक उसका पता लगाता है। उपयोग केलिए तैयार यह डिवाइस किसी भी वाणिज्यिक रूपसे उपलब्ध ऑक्सीजन थिरेपी मास्क के साथ काम करती है, जिसमें वायु प्रवाह केलिए मल्टीपल ओपनिंग्स हों। लुधियाना के दयानंद चिकित्सा महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास के निदेशक डॉ जीएस वांडर ने कहा कि कोरोना महामारी के समय में हम सभी ने जीवनरक्षक ऑक्सीजन के प्रभावी और व्यावहारिक उपयोग का महत्व सीख लिया है।
ऑक्सीजन राशनिंग डिवाइस इस प्रकार छोटे ग्रामीण तथा अर्द्धशहरी स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन के उपयोग को सीमित करने में सहायता कर सकती है। प्रोफेसर राजीव अरोड़ा ने कहा कि कोविड-19 से मुकाबला करने केलिए देश को अब त्वरित, लेकिन सुरक्षित समाधानों की आवश्यकता है, चूंकि यह वायरस फेफड़ों और बाद में मरीज की श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर रहा है, संस्थान की मंशा इस डिवाइस को पेटेंट कराने की नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय आईआईटी रोपड़ को राष्ट्रहित में वैसे लोगों के लिए जो डिवाइस का व्यापक उत्पादन करने के इच्छुक हैं, इस प्रौद्योगिकी को नि:शुल्क हस्तांतरित करने में खुशी होगी।