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Monday 26 July 2021 11:34:50 AM
वारंगल (तेलंगाना)। तेलंगाना राज्य में वारंगल के पास मुलुगु जिले के पालमपेट में रुद्रेश्वर मंदिर जिसे रामप्पा मंदिर के रूपमें भी जाना जाता है को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में अंकित कर लिया है। यह निर्णय यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44वें सत्र में लिया गया। रामप्पा मंदिर 13वीं शताब्दी का अभियांत्रिकी चमत्कार है, जिसका नाम इसके वास्तुकार रामप्पा के नाम पर रखा गया था। इस मंदिर को सरकार ने वर्ष 2019 केलिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूपमें एकमात्र नामांकन केलिए प्रस्तावित किया था। यूनेस्को ने काकतीय रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल घोषित किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने लोगों से इस राजसी मंदिर परिसर की यात्रा करने और इसकी भव्यता का साक्षात अनुभव प्राप्त करने का भी आग्रह किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है। केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री जी किशन रेड्डी ने रुद्रेश्वर मंदिर को संयुक्तराष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यानी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्रदान किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद किया है। जी किशन रेड्डी ने इस अवसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को बधाई दी और विदेश मंत्रालय का भी धन्यवाद किया। जी किशन रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण यूनेस्को की विश्व विरासत समिति की बैठक वर्ष 2020 में नहीं हो सकी और 2020 व 2021 केलिए नामांकन पर वर्तमान में जारी ऑनलाइन बैठकों की एक श्रृंखला में चर्चा की गई, जिसमें 25 जुलाई 2021 को रामप्पा मंदिर पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में समिति के अध्यक्ष के रूपमें चीन के साथ विश्व धरोहर समिति में 21 सदस्य हैं और सफलता का श्रेय उस सद्भावना को दिया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में यूनेस्को के सदस्य देशों के साथ बनाए हैं।
रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल में काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति रेचारला रुद्र ने कराया था। यहां के देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं। करीब 40 वर्ष तक मंदिर निर्माण करने वाले एक मूर्तिकार के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर के रूपमें भी जाना जाता है। काकतीयों के मंदिर परिसरों की विशिष्ट शैली, तकनीक और सजावट काकतीय मूर्तिकला के प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं। रामप्पा मंदिर इसकी अभिव्यक्ति है और बार-बार काकतीयों की रचनात्मक प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करती है। मंदिर छह फुट ऊंचे तारे जैसे मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर जटिल नक्काशी से सजावट की गई है, जो काकतीय मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रमाणित करती है। समयानुरूप विशिष्ट मूर्तिकला, सजावट और काकतीय साम्राज्य का एक उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य है। मंदिर परिसरों से लेकर प्रवेश द्वारों तक काकतीयों की विशिष्ट शैली, जो इस क्षेत्र केलिए अद्वितीय है। दक्षिण भारत में मंदिर और शहर के प्रवेश द्वारों में सौंदर्यशास्त्र के अत्यधिक विकसित स्वरूप की पुष्टि करती है। यूरोपीय व्यापारी और यात्री मंदिर की सुंदरता से मंत्रमुग्ध थे और ऐसे ही एक यात्री ने उल्लेख किया था कि मंदिर दक्कन के मध्ययुगीन मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा था।