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Friday 10 September 2021 12:28:02 PM
जैसलमेर। भारत की रक्षा क्षमताओं को प्रोत्साहन देते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय वायुसेना को मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआर-सैम) प्रणाली की पहली सुपुर्दगी योग्य फायरिंग यूनिट जैसलमेर वायुसेना स्टेशन में समारोहपूर्वक सौंपी। एमआरएसएएम भारतीय उद्योग के सहयोग से एमएसएमई सहित निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के साथ तालमेल करके रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज की संयुक्त रूपसे विकसित एक उन्नत नेटवर्क केंद्रित लड़ाकू वायुरक्षा प्रणाली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया को पहली डिलीवरी योग्य फायरिंग यूनिट सौंपी। इस दौरान डीआरडीओ और आईएआई के अधिकारियों ने ऑनसाइट स्वीकृति परीक्षण के हिस्से के रूपमें एमआर-सैम प्रणाली की क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर डीआरडीओ, आईएआई, विभिन्न निरीक्षण एजेंसियों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्योग भागीदारों के संयुक्त प्रयासों की सराहना की और इस प्रणाली को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियों में से एक करार दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना को एमआरएसएएम प्रणाली सौंपने के साथ हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है और यह वायु रक्षा प्रणाली में गेम चेंजर साबित होगी। रक्षामंत्री ने तेजी से बदलते वैश्विक रणनीतिक परिदृश्य से उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने केलिए देश के सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने केलिए सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि सशस्त्रबलों के आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। एक मजबूत सेना की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा और समग्र विकास सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा उद्योग कॉरिडोर की स्थापना सहित सरकार के उपायों-आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण, निजी क्षेत्र को डीआरडीओ द्वारा निर्यात और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बढ़ाने केलिए 200 से अधिक वस्तुओं की दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना का उल्लेख किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ रक्षा प्रणालियों का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन जाएगा। राजनाथ सिंह ने मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वदेशी अनुसंधान, डिजाइन और विकास के माध्यम से तकनीकी आधार को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी भागीदारों और मित्र देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग ने इस दृष्टि को साकार करने की दिशा में तेजी से प्रगति की है और एमआर-सैम का विकास इस तरह के सहयोगात्मक प्रयास का एक बड़ा उदाहरण है। रक्षामंत्री ने एमआर-सैम प्रणाली के विकास को भारत और इज़राइल के बीच घनिष्ठ साझेदारी का एक जीवंत उदाहरण बताया और कहा कि भारतीय वायुसेना को यह प्रणाली प्राप्त होना दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी दोस्ती को और अधिक ऊंचाइयों पर ले गया है। उन्होंने कहा कि इसने भारत और इज़राइल के रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम भविष्य में दोनों देशों केलिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के उत्पादन में सहायक होगा और इस कार्यक्रम केलिए निर्मित की जा रही उप-प्रणालियों को भारतीय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच तालमेल का एक बड़ा उदाहरण बताया। रक्षामंत्री ने भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए उन्हें एक दूरदर्शी व्यक्ति बताया, जिन्होंने रक्षा क्षेत्र में विशेष रूपसे मिसाइल विकास कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि लगभग 30 साल पहले डॉ कलाम ने एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम की शुरुआत ऐसे समय में की थी, जब वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विभिन्न प्रतिबंधों का सामना कर रहे थे। रक्षामंत्री ने कहा कि इन सबके बावजूद कार्यक्रम की सफलता ने न केवल मिसाइल विकास में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की, बल्कि सीमा पार से किसी भी खतरे की संभावना को भी विफल कर दिया। एमआर-सैम प्रणाली लड़ाकू विमान, यूएवी, हेलीकॉप्टर, निर्देशित और बिना निर्देशित युद्ध सामग्री, सब-सोनिक और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों आदि समेत खतरों की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ जमीनी संपत्तियों को एक स्थान विशेष और क्षेत्र विशेष पर वायु रक्षा प्रदान करती है।
एमआर-सैम प्रणाली गंभीर संतृप्ति परिदृश्यों में 70 किलोमीटर की दूरी तक अनेक लक्ष्यों को एंगेज करने में सक्षम है। टर्मिनल चरण के दौरान उच्च गतिशीलता प्राप्त करने केलिए मिसाइल स्वदेशी रूपसे विकसित रॉकेट मोटर और कंट्रोल प्रणाली से संचालित है। फायरिंग यूनिट में मिसाइल, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम, एडवांस्ड लॉन्ग रेंज रडार, मोबाइल पावर सिस्टम, रडार पावर सिस्टम, रीलोडर व्हीकल और फील्ड सर्विस व्हीकल शामिल हैं। कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने एमआर-सैम की पूरी टीम के प्रयासों को बधाई दी और कहा कि यह प्रणाली देश की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने एमआर-सैम प्रणाली के विकास में शामिल टीमों की सराहना की। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, दक्षिण पश्चिमी वायुसेना कमान के एओसी-इन-सी एयर मार्शल संदीप सिंह, आईएआई के अध्यक्ष एवं सीईओ बोज लेवी और वरिष्ठ नागरिक तथा सैन्य अधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित थे।