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Saturday 27 April 2013 04:00:11 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग का आखिर काम क्या है? महिला और बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में इसका उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग यानी एनसीडब्ल्यू का गठन एक सांविधिक निकाय के रूपमें वर्ष 1992 में किया गया था, इसका कार्य राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 की धारा (10) के अनुसार देश में महिलाओं के हितों के रक्षा उपाय और उनके उन्नयन के लिए सभी प्रकार के कार्य करना है। उन्होंने बताया कि महिला आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हैं और किसी भी पीड़ित महिला की व्यथा-कथा के समाधान के लिए महिला आयोग को सक्षम और कानून की शक्ति से सम्पन्न बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पीड़ित महिला अपनी तथ्यात्मक समस्या पर महिला आयोग की सहायता ले सकती है, आयोग उसपर जरूर विधिक और सख्त कार्रवाई करेगा, मगर इसके दुरूपयोग से भी बचना चाहिए।
कृष्णा तीरथ ने बताया कि महिला आयोग के कार्यों में संविधान तथा अन्य कानूनों के अंतर्गत महिलाओं के लिए उपबंधित सुरक्षा उपायों की जांच और परीक्षण करना, उनके प्रभावकारी क्रियांवयन के उपायों पर सरकार को सिफारिश करना, संविधान और महिलाओं को प्रभावित करने वाले अन्य कानूनों के विद्यमान प्रावधानों की समीक्षा करना और संशोधनों की सिफारिश करना, ऐसे कानूनों में किसी प्रकार की कमी, अपर्याप्तता अथवा कमी को दूर करने के लिए उपचारात्मक उपाय करना, शिकायतों पर विचार करना और महिलाओं के अधिकारों के वंचन से संबंधित मामलों में अपनी ओर से ध्यान देना तथा उचित प्राधिकारियों के साथ उनके मुद्दे उठाना, भेदभाव और महिलाओं के प्रति अत्याचार के कारण उठने वाली विशिष्ट समस्याओं अथवा परिस्थितियों की सिफारिश करने के लिए अवरोधों की पहचान करना, महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए योजना बनाने की प्रक्रिया में भागीदारी और सलाह देना, उसमें की गई प्रगति का मूल्यांकन करना, कारागार, रिमांड गृहों जहां महिलाओं को अभिरक्षा में रखा जाता है का निरीक्षण करना और जहां कहीं आवश्यक हो उपचारात्मक कार्रवाई की मांग करना शामिल है।
राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बताया महिला आयोग को संविधान और अन्य कानूनों के तहत महिलाओं के रक्षा उपायों से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए ही सिविल न्यायालय की शक्तियां प्रदान की गई हैं। राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बताया वित्तमंत्री ने 2013-14 के अपने बजट भाषण में महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा, संरक्षा के लिए 1000 करोड़ रूपए के सरकारी योगदान से निर्भय कोष स्थापित करने की घोषणा की थी उसके तहत महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा के लिए सरकार का प्रयास निरंतर जारी है। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय महिला शक्तिकरण और महिला सुरक्षा के लिए कई योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करता है, इनमें कामकाजी महिला छात्रावास, आश्रय गृह योजना-स्वाधार और अल्पकालीन आश्रय गृह-उज्जवला शामिल है, इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय महिला कोष और महिला सशक्तिकरण राष्ट्रीय मिशन इत्यादि लघु ऋण की सुविधा दी जाती है। निर्भय कोष के इस्तेमाल के लिए पहले व्यवहारपरक योजनाओं का निरूपण और सक्षम अधिकारी से अनुमोदन आवश्यक होता है।