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Wednesday 27 October 2021 01:18:13 PM
मसूरी। पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि दीर्घकालीन एवं दूरदर्शी सोच और सामूहिक प्रयासों के साथ पहल करने की क्षमता वाले अधिकारी आत्मनिर्भर भारत के विजन को हासिल करने में सहायक होंगे। लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में प्रथम कॉमन मिड-कैरियर कार्यक्रम के प्रतिभागियों को मुख्य व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम के 150 विलक्षण अधिकारी न्यू इंडिया के वास्तुकार बनने जा रहे हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन अधिकारियों को भारत की आजादी के 75वें वर्ष के दौरान सामान्य प्रशिक्षण प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है और भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक अगले 20 से 25 साल उनके लिए काफी अहम होंगे, जब वैश्विक मंच पर भारत को शीर्ष स्तरपर ले जाने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना साकार होगी।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आवश्यक सहयोगपूर्ण नेतृत्व केलिए पाठ्यक्रम में गहन सहानुभूति, प्रस्तुतीकरण, चिंतनशील जिज्ञासा और सामूहिक रचनात्मकता जैसे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वर्ष 2017 में इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलबीएसएनएए के दौरे को स्मरण करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि प्रशासन, शासन, प्रौद्योगिकी और नीति-निर्माण जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई और उन्होंने राष्ट्रीय दृष्टिकोण विकसित करने केलिए इनकी आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 से जंग में 130 करोड़ भारतीयों ने यह बात साबित की हैकि चुनौतीपूर्ण समय में कौशल, विचार प्रक्रिया और कार्यसंस्कृति को एकीकृत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत संस्कृति, समाज और भूगोल की बहुलता का प्रतीक है और फिरभी यह साझा दृष्टिकोण, मूल्यों, लक्ष्यों, प्रथाओं और संस्कृति के एक समूह का प्रतिनिधित्व करता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आर्थिक, सामाजिक और संगठनात्मक सभी पहलुओं में हमारे राष्ट्र को विकसित करने केलिए लक्ष्यों और दृष्टिकोण को एक समान समुच्चय बनाए रखने की जरूरत है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह कौशल और ज्ञान का युग है, इसलिए प्रासंगिक कौशल को लगातार उन्नत करना आवश्यक है, क्योंकि यह शासन में नई चुनौतियों का सामना करने केलिए एक बड़ा अवसर पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अधिकारी को मिशन कर्मयोगी की भावना से स्व-निर्देशित अभ्यास का अपना मार्ग खुद तय करना चाहिए। उन्होंने बतायाकि यह पाठ्यक्रम नेतृत्व के उन सभी पहलुओं को दोबारा सीखने में सक्षम बनाता है, जिनकी आवश्यकता प्रतिभागियों को अपने करियर के आनेवाले वर्षों में न सिर्फ व्यक्तिगत तौरसे, बल्कि मौलिक सोच में बदलाव लाने एवं भविष्य की कार्यशैली में बदलाव लाने में होगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि ऐसे मार्गदर्शकों की आवश्यकता है, जो बदलते परिवेश में मार्गदर्शन करा सके, साथ ही नए कौशल समुच्चय और साझेदारी का उपयोग करते हुए देश को अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को हासिल करने की ओर ले जाए। लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक के श्रीनिवास ने इस अवसर पर कहाकि संपूर्ण पाठ्यक्रम को नेतृत्व को समाहित करते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने कहाकि प्रतिभागी करियर के बीच में सहयोगपूर्ण व्यवस्था से वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना प्रभावी तरीके से कर पाएंगे।