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Tuesday 9 November 2021 01:33:19 PM
पणजी (गोवा)। भारतीय नौसेना ने 7 से 9 नवंबर 2021 तक नेवल वॉर कॉलेज गोवा के तत्वावधान में गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव-2021 के तीसरे संस्करण की मेजबानी की। गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव के इस वर्ष के संस्करण मेरीटाइम सिक्योरिटी एंड इमर्जिंग नॉन ट्रेडिशनल थ्रैट्स: ए केस फ़ॉर प्रोएक्टिव रोल फ़ॉर आईओआर नेवीज़, जिसे समुद्री क्षेत्र में 'हर रोज़ शांति' की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया। गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव-2021 में भारतीय नौसेना ने बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड और हिंद महासागर क्षेत्र के 12 देशों के नौसेना प्रमुखों एवं समुद्री बलों के प्रमुखों की मेजबानी की।
दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एके चावला ने समुद्री क्षेत्र के महत्व और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, सुरक्षा और समावेशी विकास सुनिश्चित करने केलिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सागर' यानी क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास के समुद्री दृष्टिकोण का स्मरण कराया। एडमिरल ने विश्वास व्यक्त किया कि गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव केदौरान चर्चा समुद्री क्षेत्र में उभरते गैर-पारंपरिक खतरों की साझा समझ और एक 'सामान्य दृष्टिकोण' विकसित करने में भी मदद करेगी। रक्षा सचिव अजय कुमार ने बताया कि गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रचनात्मक भागीदारी का प्रतीक था। रक्षा सचिव ने कहा कि समुद्री सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि अनादिकाल से परस्पर संबंधित और अन्योन्याश्रित थीं।
रक्षा सचिव अजय कुमार ने द्विपक्षीय रूपसे और आईओएनएस, आईओआरए, बिम्सटेक, कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन और अन्य संरचनाओं के ढांचे के तहत इस क्षेत्र में राष्ट्रों तक पहुंचने की दिशा में भारत की भागीदारी और निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला। अजय कुमार ने समुद्री क्षेत्र की बेहतर समझ को बढ़ावा देने केलिए हिंद महासागर क्षेत्र केलिए सूचना संलयन केंद्र की स्थापना की भारतीय पहल पर प्रकाश डाला और आईओआर के समुद्री देशों से और समर्थन और भागीदारी की मांग की। उन्होंने कोविड-19 महामारी से लड़ने में योगदान केलिए भारतीय नौसेना की भी सराहना की, साथ ही यह भी बतायाकि नौसेना न केवल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा केलिए उच्च सतर्कता ड्यूटी पर रही, बल्कि इससे आगे बढ़कर नौसेना ने बड़ी संख्या में हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों को सहायता भी प्रदान की।
चक्रवातों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान समुद्र में बेशक़ीमती प्राणों की रक्षा केलिए भारतीय नौसेना की सराहना करते हुए उन्होंने कहाकि सशस्त्र बलों, विशेष रूपसे समुद्र के संदर्भ में नौसेना की न केवल सुरक्षित और शांतिपूर्ण समुद्री मार्ग सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है, बल्कि मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदा स्थितियों में मानवीय संकट का जवाब देने में भी है। रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहाकि भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में पहले प्रत्युत्तरकर्ता और शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूपमें एचएडीआर केलिए काम करना जारी रखा है और आगे भी काम करती रहेगी। उन्होंने कहाकि भारत इस क्षेत्र में शांति के लिए सभी इच्छुक देशों केसाथ काम करेगा। उन्होंने कहाकि भारत एक नियमबद्ध दुनिया केलिए खड़े होकर आक्रमण के प्रयासों का विरोध करना, उन्हें जमीन और समुद्र पर रोकना जारी रखेगा, समुद्री क्षेत्र इतना विशाल है और चुनौतियां इतनी विविध हैंकि अकेले चलना व्यावहारिक रूपसे किसी भी देश के लिए एक विकल्प नहीं है। उन्होंने कहाकि हमारे क्षेत्र में सहयोग करने केलिए हम उन सभी देशों का स्वागत करते हैं, जो नियमों का सम्मान करते हैं और आक्रामकता से दूर रहते हैं।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सागर के बारे में भारत के दृष्टिकोण और समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने दोहराया कि समुद्री परिवहन और रसद ब्लू इकोनमी का एक प्रमुख घटक है और विशेष रूपसे आईओआर देशों केलिए महत्वपूर्ण है। विदेश सचिव ने उल्लेख किया कि दुनिया के आधे कंटेनर जहाज दुनिया के थोक माल यातायात का एक तिहाई और दुनिया का दो-तिहाई तेल शिपमेंट हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है। सचिव ने बताया कि भागीदार देशों में समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के बीच संस्थागत संवाद से ऐसे संबंध और प्रक्रियाएं बनाने में मदद मिलती है, जो सुरक्षा संबंधी परिणामों में सुधार में योगदान करते हैं। उन्होंने कहाकि भारत का मानना हैकि परेशानियों को कम करना असुरक्षा को कम करने और वसुधैव कुटुम्बकम या दुनिया एक परिवार के हमारे दर्शन को ध्यान में रखते हुए विश्वास बहाली केलिए केंद्रीय है।