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Tuesday 9 November 2021 01:45:02 PM
मुंबई। पर्यटन मंत्रालय ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से ताज लैंड्स एंड मुंबई में फिल्म पर्यटन पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य फिल्म शूटिंग के संचालन केलिए राज्यों में उपलब्ध अवसरों की खोज करके फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देना है। फिल्म पर्यटन तब होता है, जब कोई दर्शक किसी फिल्म को देखने केबाद किसी विशेष स्थान पर जाने केलिए प्रेरित होता है, यह उन स्थानों केलिए आम जनता के बीच बढ़ती रुचि को दर्शाता है, जो फिल्मों के कुछ दृश्यों में अपनी उपस्थिति के कारण लोकप्रिय हो गए हैं। पर्यटन मंत्रालय के सचिव अरविंद सिंह ने फिल्म पर्यटन पर कहाकि हमारे शासन की संघीय प्रणाली इस तरह के फिल्म प्रोत्साहन को ज्यादातर राज्य का विषय बनाती है और ऐसे कई राज्य हैं, जो सक्रिय रूपसे फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहित करते हैं और इस संबंध में काफी सफल हैं।
पर्यटन सचिव अरविंद सिंह ने कहाकि पर्यटन मंत्रालय इस तरह के प्रयासों को 'सर्वश्रेष्ठ फिल्म पर्यटन अनुकूल राज्य' श्रेणी के तहत प्रत्येक वर्ष दिए जानेवाले राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार के माध्यम से मान्यता देता है। अरविंद सिंह ने यह भी सुझाव दियाकि राज्य सरकारों को समय पर शूटिंग की मंजूरी केलिए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक फिल्म संवर्धन कार्यालय स्थापित करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहाकि यह आवश्यक है, क्योंकि मंजूरी से संबंधित अधिकांश मुद्दे स्थानीय हैं और राज्य सरकारों के दायरे में हैं, राज्य सरकारों को मुख्यमंत्री कार्यालय में सर्वोच्च स्तरपर एक फिल्म संवर्धन कार्यालय स्थापित करने पर विचार करने की आवश्यकता है, जो विभिन्न विभागों और संस्थानों के बीच समन्वय स्थापित कर सके और समय पर मंजूरी हासिल कराने में मदद करे। फिल्म संवर्धन कार्यालय को यह भी अधिकार होना चाहिए कि वह जहां भी आवश्यक हो, स्थानीय स्तर पर मुद्दों को सुलझाने केलिए हस्तक्षेप करे। अरविंद सिंह ने फिल्म पर्यटन के क्षेत्र में भारत की विशाल संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहाकि भारत के विविध परिदृश्य, मौसम, रंग, वन्य जीवन और अधिक महत्वपूर्ण रूपसे हमारी संस्कृति और विरासत के साथ-साथ विश्वस्तर के तकनीशियनों की उपलब्धता भारत को फिल्म की शूटिंग केलिए एक आदर्श स्थान बनाती है, हालांकि हम स्वीकार करते हैं कि कई अड़चनें हैं और इस पर ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि यह दो-आयामी दृष्टिकोण होना चाहिए, एक नीति स्तर पर निर्माताओं के लिए भारत में शूटिंग के लिए प्रक्रियात्मक रूपसे आसान बनाकर और दूसरा एक फिल्म शूटिंग गंतव्य के रूपमें भारत की विशाल क्षमता के बारेमें जागरुक करके प्रोत्साहन के प्रयास के साथ। अरविंद सिंह ने फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने में पर्यटन मंत्रालय की पहल की भी जानकारी दी। उन्होंने कहाकि पर्यटन मंत्रालय ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा, कान फिल्म महोत्सव विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में अतुल्य भारत के सब-ब्रांड के रूपमें भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने केलिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एनएफडीसी केसाथ एक समझौता किया था, ताकि पर्यटन तथा फिल्म उद्योग केबीच तालेमल स्थापित करने और भारतीय एवं वैश्विक फिल्म उद्योग के बीच साझेदारी को सक्षम करने केलिए एक मंच प्रदान करने में मदद मिल सके।
सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहाकि 14 राज्य फिल्म सुविधा नीति लेकर आए हैं और सरकार इनमें से कुछ नीतियों के आधार पर एक मॉडल फिल्म नीति का मसौदा तैयार करने और अन्य राज्यों के बीच उन्हें प्रसारित करने की योजना बना रही है ताकि वे भी इसे अपना सकें। उन्होंने यह कहते हुएकि 18 राज्य फिल्म निर्माण केलिए प्रोत्साहन दे रहे हैं ईज ऑफ फिल्मिंग परिदृश्य की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि प्रोत्साहन से भी ज्यादा शूटिंग में आसानी और आसानी से मंजूरी मिलना बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने भारतीय फिल्मों की शूटिंग भारत के बाहर किए जाने के कारणों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहाकि भारत में लागत बहुत कम होने के बावजूद फिल्म निर्माताओं को लगता है कि भारत में शूटिंग केलिए अनुमति प्राप्त करना महंगा है, जबकि विदेशों में शूटिंग करना आसान है, विशेष रूपसे राज्य सरकारें क्योंकि अनुमति देने का काम उनका ही है। संगोष्ठी का उद्देश्य फिल्म उद्योग से यह जानना है कि वे प्रत्येक राज्य से क्या चाहते हैं, ताकि वहां आकर शूटिंग की जा सके, राज्य इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने कहाकि एफएफओ ने 2015 में अपने गठन के बाद से पिछले 5-6 वर्ष में 27 देशों के 120 अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं को भारत में शूटिंग केलिए सुविधा प्रदान की है, जबकि ऐसे घरेलू फिल्मों की संख्या केवल 70 है! उन्होंने बताया कि किस तरह घरेलू फिल्मों की संख्या भारत में शूट की जा रही विदेशी फिल्मों की तुलना में काफी कम है। सूचना और प्रसारण सचिव ने कहाकि यहां तककि जब मैं यात्रा करता हूं तो जिन स्थानों को मैंने फिल्मों में देखा है, वे मेरे दिमाग में बसे हुए हैं, स्विट्जरलैंड में एक ट्रेन का नाम बीआर चोपड़ा एक्सप्रेस है, जम्मू-कश्मीर की एक घाटी को बेताब घाटी कहा जाता है, क्योंकि बेताब फिल्म की शूटिंग वहीं हुई थी। तवांग में एक झील है, जिसका नाम माधुरी दीक्षित के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहाकि हमने भारत के राष्ट्रपति के सर्वश्रेष्ठ फिल्म अनुकूल राज्य पुरस्कार की शुरुआत की है, यह सभी राज्यों को इस पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करने, फिल्म शूटिंग की सुविधा प्रदान करने और भारत में शूटिंग एवं फिल्मांकन के लाभों को प्राप्त करने का निमंत्रण है।
भारत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पहल और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम में फिल्म सुविधा कार्यालय की स्थापना इस दिशा में एक कदम है। एफएफओ को दुनियाभर में फिल्म निर्माताओं केलिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूपमें भारत को बढ़ावा देने और देश में फिल्मांकन को आसान बनाने वाला वातावरण बनाने का काम सौंपा गया है। इसका वेबपोर्टल www.ffo.gov.in अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय फिल्म निर्माताओं केलिए भारत की एकल मंजूरी मंच और सुविधा तंत्र है और फिल्मी जानकारी का ऑनलाइन भंडार भी है। एफएफओ भारत और दुनियाभर में फिल्मांकन समुदाय तक पहुंचने के सरकार के प्रयास को दर्शाता है। इस अवसर पर नौ राज्यों-जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और महाराष्ट्र के प्रतिनिधि मौजूद थे, जिन्होंने फिल्मांकन में आसानी के साथ-साथ अपने अधिकार क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों के लिएअपने राज्यों की पहलों की जानकारी दी। गौरतलब है कि फिल्म पर्यटन का अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह स्थायी पर्यटन प्राप्तियां लाता है, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को रोज़गार, आय सृजन, कौशल विकास, आतिथ्य, परिवहन, खानपान के रूपमें लाभ पहुंचाता है और किसी जगह को एक आकर्षक तरीके से पेश करता है।
संगोष्ठी में देशभर से निर्माता व्यापार संघों और फिल्म चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ने भाग लिया। संगठनों में फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल, इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन, इंडिया, फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज, इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन, अखिल भारतीय मराठी चित्रपट महामंडल, वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, फिल्म मेकर्स कॉम्बिनेशन, एशियन सोसाइटी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, एमएक्स प्लेयर, एमेजॉन प्राइम, वूट, द साउथ इंडियन फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स, द कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स, द केरल फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स, प्रोड्यूसर्स काउंसिल, असम, फिल्ममेकर्स एसोसिएशन ऑफ नागालैंड, बंगाल फिल्म एंड टेलीविजन चैंबर ऑफ कॉमर्स, सिक्किम फिल्म कोऑपरेटिव सोसाइटी और फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ साउथ इंडिया, मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन ऑफ अमेरिका ने हिस्सा लिया। संगोष्ठी में पर्यटन मंत्रालय के महानिदेशक जीके वर्धन राव, पर्यटन मंत्रालय की अतिरिक्त महानिदेशक रूपिंदर बराड़, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निदेशक धनप्रीत कौर, भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के फिल्म सुविधा कार्यालय के प्रमुख विक्रमजीत रॉय उपस्थित थे।