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Saturday 20 November 2021 01:35:36 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नाटक, मंच नाटकों एवं रंगमंच के पुनरुद्धार और इन्हें सिनेमा के समान लोकप्रिय बनाने का आह्वान किया है। उपराष्ट्रपति कहाकि नाटक मंच समाज में होनेवाली घटनाओं को सच्चाई से दर्शाता है। उन्होंने जनता को इस कलारूप को संरक्षण और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों पर सामाजिक जागरुकता लाने में रंगमंच की निभाई गई ऐतिहासिक भूमिका का उल्लेख करते हुए वेंकैया नायडू ने कहाकि रंगमंच में अभीभी समाज में कई भेदभावपूर्ण प्रथाओं को खत्म करने की क्षमता है और सुझाव दियाकि इसे सामाजिक परिवर्तन के एजेंट के रूपमें इस्तेमाल किया जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि स्वच्छ भारत जैसे आंदोलनों को लोगों के करीब लाने में नाटक और लोक कलाकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में 'नाटक साहित्योत्सव' कार्यक्रम में भाग लिया और लोकप्रिय तेलुगु नाटकों वाली एक पुस्तक के छह खंडों का विमोचन किया, जिसका शीर्षक 'तेलुगु प्रसिद्ध नाटकलु' था। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दियाकि दर्शकों विशेष रूपसे युवा पीढ़ी को आकर्षित करने केलिए रंगमंच कला को नए सिरे से तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने लोगों के बीच राजनीतिक और सामाजिक चेतना लाने में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मंच नाटकों की प्रमुख भूमिका को याद किया, जिसमें गांधीजी जैसे नेता भी शामिल थे, जो बचपन में 'सत्य हरिश्चंद्र' से प्रेरित थे। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दियाकि थिएटर को बढ़ावा देने केलिए सरकारी संरक्षण के अलावा निजी संगठनों, नागरिक समाज विशेष रूपसे निजी टीवी चैनलों को आगे आना चाहिए। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों से बच्चों को विभिन्न कला रूपों से परिचित कराने एवं उन्हें पाठ्यक्रम के हिस्से के रूपमें इन गतिविधियों को अपनाने केलिए प्रोत्साहित करने को कहा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहाकि इससे बच्चों में सामाजिक जागरुकता आएगी और उनमें नेतृत्व के गुण पैदा होंगे। उन्होंने पुस्तक के छह खंडों के माध्यम से 1880 और 2020 के बीच 100 प्रसिद्ध तेलुगु नाटकों के संकलन को प्रकाशित करने केलिए अरविंद आर्ट्स और टाना प्रकाशकों की पहल की सराहना की। उन्होंने भारत में रंगमंच को लोकप्रिय बनाने केलिए इस तरह के और भी प्रयासों का आह्वान किया। इस अवसर पर तेलंगाना सरकार के सलाहकार डॉ केवी रामनाचारी, आंध्र प्रदेश विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष मंडली बुद्धप्रसाद, आंध्र नाटककला परिषद के अध्यक्ष बोलिनेनी कृष्णैया, टाना के प्रबंध उपाध्यक्ष श्रंगावरापु निरंजन, पुस्तक के संपादक वल्लूरी शिवप्रसाद, गंगोत्री साईं और गणमान्य व्यक्तियों उपस्थित थे।