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Monday 22 November 2021 02:02:53 PM
मुंबई। आईएनएस विशाखापत्तनम भारत की बढ़ती समुद्री ताक़त का प्रतीक बन गया है। यह एक पी15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है, जिसको रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 21 नवंबर को नेवल डॉकयार्ड मुंबई में भारतीय नौसेना में शामिल किया। यह आयोजन स्वदेशी रूपसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन नौसेना डिजाइन निदेशालय के डिजाइन और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई के निर्मित विशाखापत्तनम श्रेणी के चार मेंसे पहले विध्वंसक के नौसेना में औपचारिक रूपसे शामिल किए जाने का प्रतीक है। रक्षामंत्री ने आईएनएस विशाखापत्तनम को देश की बढ़ती समुद्री शक्ति का प्रतीक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहाकि यह पोत प्राचीन और मध्यकालीन भारत की समुद्री शक्ति, जहाज निर्माण कौशल और गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त कियाकि नवीनतम प्रणालियों और हथियारों से लैस यह अत्याधुनिक जहाज समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा और राष्ट्र के हितों की रक्षा करेगा। उन्होंने इसको दुनिया में सबसे तकनीकी रूपसे उन्नत गाइडेड मिसाइल विध्वंसक के रूपमें परिभाषित किया, जो सशस्त्र बलों और राष्ट्र की वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता की दिशा में भारतीय नौसेना के प्रयासों की प्रशंसा की तथा 41 जहाजों और पनडुब्बियों मेंसे 39 के भारतीय शिपयार्ड से नौसेना के आदेश को आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता के एक वसीयतनामा बताते हुए भारतीय नौसेना के आत्मनिर्भरता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहाकि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत हिंद महासागर से प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर तक हमारी पहुंच बढ़ाएगा, इसकी कमीशनिंग भारतीय रक्षा के इतिहास में एक स्वर्णिम क्षण होगा, यह भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ और 1971 के युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ मनाने का सबसे अच्छा अवसर होगा।
राजनाथ सिंह ने उद्योगों के विभिन्न आउटरीच कार्यक्रमों में भाग लेने और फ्लोट, मूव और फाइट श्रेणियों केतहत स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ाने केलिए भारतीय नौसेना के निरंतर प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि सरकार आत्मनिर्भरता के प्रयासों को बढ़ावा देना जारी रखेगी और हम जल्द ही न केवल भारत केलिए, बल्कि पूरी दुनिया केलिए जहाजों का निर्माण करेंगे। उन्होंने इस दृष्टिकोण को प्राप्त करने केलिए सरकार के निरंतर साथ का आश्वासन दिया। राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को सरकार की नीतियों का लाभ उठाने, मिलकर काम करने और भारत को एक स्वदेशी जहाज निर्माण केंद्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने सरकार के कई सुधारों का ज़िक्र किया, इनमें लाइसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण, आवश्यकता की स्वीकृति और प्रस्ताव के लिए अनुरोध प्रक्रिया में तेजी लाना, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना, 200 से अधिक वस्तुओं की सकारात्मक स्वदेशी सूची, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 और घरेलू कंपनियों से खरीद के लिए 2021-22 के पूंजी अधिग्रहण बजट केतहत अपने आधुनिकीकरण कोष का लगभग 64 प्रतिशत हिस्सा जैसे कदम शामिल हैं।
रक्षामंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला और सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे भारतीय नौसेना का प्राथमिक उद्देश्य बताया। उन्होंने कहाकि भारत के हित सीधे हिंद महासागर से जुड़े हुए हैं और यह क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था केलिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि समुद्री डोमेन को प्रभावित करने केलिए समुद्री डकैती, आतंकवाद, हथियारों और नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी, मानव तस्करी, अवैध मछली पकड़ने और पर्यावरण को नुकसान जैसी चुनौतियां समान रूपसे जिम्मेदार हैं, इसलिए पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। रक्षामंत्री ने विश्व की स्थिरता, आर्थिक प्रगति और विकास सुनिश्चित करने केलिए वैश्वीकरण के युग में नौवहन की नियम आधारित स्वतंत्रता और समुद्री मार्गों की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया। राजनाथ सिंह ने दोहरायाकि भारत एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक के रूपमें सर्वसम्मति-आधारित सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, खुली, नियम आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थक है। उन्होंने कहाकि 1982 के संयुक्तराष्ट्र कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी', देशों के क्षेत्रीय जल, विशेष आर्थिक क्षेत्र और समुद्र में अच्छी व्यवस्था के सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया है।
रक्षामंत्री ने कहाकि कुछ गैर-जिम्मेदार राष्ट्र अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों केलिए इन अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की आधिपत्य की प्रवृत्तियों से नई और अनुचित व्याख्याएं देते रहते हैं, जो समुद्री व्यवस्था के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती हैं। उन्होंने कहाकि हम नेविगेशन की स्वतंत्रता, मुक्त व्यापार और सार्वभौमिक मूल्यों केसाथ एक नियम आधारित हिंद प्रशांत क्षेत्र की कल्पना करते हैं, जिसमें सभी भाग लेनेवाले देशों के हितों की रक्षा की जाती है। रक्षामंत्री ने पड़ोसियों केसाथ मित्रता, खुलेपन, संवाद और सहअस्तित्व की भावना केसाथ सागर के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने केलिए भारतीय नौसेना की सराहना की। गौरतलब हैकि आईएनएस विशाखापत्तनम की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर है और विस्थापन की इसकी क्षमता 7,400 टन है, इसे भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों मेंसे एक माना जा सकता है। जहाज को एक कंबाइंड गैस एंड गैस विन्यास में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों से संचालित किया जाता है, जो 30 समुद्री मील से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है।
आईएनएस विशाखापत्तनम ने स्टील्द विशेषताओं को बढ़ाया है, जिसके परिणामस्वरूप घटा हुआ राडार क्रॉस सेक्शन, फुल बीम सुपरस्ट्रक्चर डिजाइन, प्लेटेड मस्तूल सुनिश्चित किए जा सके हैं, साथही खुले हुए डेक पर राडार पारदर्शी सामग्री का इस्तेमाल भी किया गया है। जहाज अत्याधुनिक हथियारों और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसे सेंसर से लैस है। यह एक आधुनिक निगरानी रडार से सुसज्जित है, जो जहाज के तोपखाने की हथियार प्रणालियों को टारगेट डेटा प्रदान करता है। पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूपसे विकसित रॉकेट लॉंचर, टारपीडो लॉंचर और एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टरों द्वारा प्रदान की जाती हैं। जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थितियों के तहत लड़ने केलिए सुसज्जित है। इसकी एक अनूठी विशेषता उत्पादन में शामिल उच्चस्तर का स्वदेशीकरण है, जो आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय उद्देश्य पर जोर देता है। आईएनएस विशाखापत्तनम के कुछ प्रमुख स्वदेशी उपकरण में कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, रॉकेट लॉंचर, टॉरपीडो ट्यूब लॉंचर, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, फोल्डेबल हैंगर डोर्स, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और बो माउंटेड सोनार शामिल हैं।
पूर्वी तट पर आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक शहर विशाखापत्तनम-'द सिटी ऑफ डेस्टिनी' केनाम पर इस जहाज में लगभग 315 कर्मी हैं। चालक दल केलिए अधिक सुविधा आईएनएस विशाखापत्तनम की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जिसे मॉड्यूलर अवधारणाओं के आधार पर एर्गोनॉमिक रूपसे डिज़ाइन किए गए एकोमोडेशन के माध्यम से सुनिश्चित किया गया है। आईएनएस विशाखापत्तनम नेविगेशन और डायरेक्शन विशेषज्ञ कैप्टन बीरेंद्र सिंह बैंस की कमान में होगा। हिंद महासागर क्षेत्र में बदलते शक्ति समीकरणों केसाथ आईएनएस विशाखापत्तनम अपने कार्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति केलिए भारतीय नौसेना की गतिशीलता, पहुंच और लचीलेपन को बढ़ाएगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, संसद सदस्य अरविंद सावंत, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान वाइस एडमिरल आर हरि कुमार, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड वाइस एडमिरल नारायण प्रसाद (सेवानिवृत्त) और आईएनएस विशाखापत्तनम के कमीशनिंग समारोह के दौरान रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।