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Wednesday 8 December 2021 02:52:53 PM
मुंबई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज महाराष्ट्र में भारतीय नौसेना के 22वें मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति मानक प्रदान किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन से जुड़े सभी अधिकारियों और नाविकों को यह उपलब्धि हासिल करने केलिए बधाई दी। उन्होंने कहाकि मानक की प्रस्तुति हमारे देश केलिए इस स्क्वाड्रन के अतीत और वर्तमान के अधिकारियों और नाविकों की असाधारण सेवा का प्रमाण है। राष्ट्रपति ने कहाकि इस स्क्वाड्रन के जहाजों को कई अभियानों केलिए तैनात किया गया है, वे मिशन आधारित तैनाती के माध्यम से हमारी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं, वे ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी में राजनयिक मिशन और समुद्री डकैती विरोधी अभियान भी चला रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि भारत एक समुद्री राष्ट्र है और हमारी विदेश नीति को आगे बढ़ाने, राष्ट्रीय हितों और वाणिज्यिक आकांक्षाओं की रक्षा करने में भारतीय नौसेना की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहाकि यह बहुत संतोष की बात हैकि भारतीय नौसेना संकल्प और दृढ़ता केसाथ हमारे व्यापक समुद्री हितों की सफलतापूर्वक रक्षा कर रही है। उन्होंने कहाकि वैश्विक समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है, इसलिए न केवल हमारे लिए, बल्कि पूरे विश्व समुदाय केलिए भी इस क्षेत्र में शांति बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहाकि आज दुनिया की सबसे बड़ी नौसेनाओं में से एकके रूपमें भारतीय नौसेना को हमारे समुद्री पड़ोसी हिंद महासागर क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूपमें देखते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियां भारत को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की अग्रणी नौसेनाओं में से एकके रूपमें भारतीय नौसेना ने सभी क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और हिंद प्रशांत में भागीदारों केसाथ हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने केलिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। मुंबई में दस वीर श्रेणी और तीन प्रबल श्रेणी मिसाइल नौकाओं के साथ 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन को औपचारिक रूपसे अक्टूबर 1991 में स्थापित किया गया था।
हालांकि मारक की उत्पत्ति तो इससे पहले ही वर्ष 1969 में हो गई थी, जब भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने केलिए तत्कालीन सोवियत रूस से ओएसए-1 क्लास मिसाइल बोट शामिल किया गया था। दिसंबर 4-5 1971 की रात को युवा भारतीय नौसेना के सबसे कम उम्र के योद्धाओं ने दुश्मन का पहला खून बहाया, जब उन्होंने पाकिस्तानी नौसेना पर एक विनाशकारी आक्रमण किया। भारतीय नौसेना के निर्घट, निपत और वीर जहाजों ने अपनी स्टाइक्स मिसाइलें दागीं और पाकिस्तानी नौसेना के जहाजों खैबर और मुहाफ़िज़ को डूबो दिया, जिससे पाकिस्तानी नौसेना की आकांक्षाओं को घातक झटका लगा। ऑपरेशन ट्राइडेंट गुप्तनाम वाले इस ऑपरेशन को आधुनिक नौसैनिक इतिहास में सबसे सफल कार्रवाईयों मेंसे एक माना जाता है, जिसमें कोई भारतीय बल हताहत नहीं हुआ।
भारतीय नौसेना ने 8/9 दिसंबर की रात को एक और साहसी हमला किया, जब आईएनएस विनाश ने दो युद्धपोतों केसाथ चार स्टाइक्स मिसाइलें दागी, जिसमें पाकिस्तान नौसेना बेड़े के टैंकर ‘ढाका’ को डुबो दिया गया और कराची में केमारी तेल भंडारण सुविधा को काफी नुकसान पहुंचाया गया। स्क्वाड्रन के जहाजों और सैनिकों के वीरतापूर्ण कार्यों के कारण ही इस स्क्वाड्रन ने मारक की उपाधि अर्जित की। राष्ट्रपति मानक की प्रस्तुति के महत्वपूर्ण अवसर पर मारक स्क्वाड्रन के कुछ पुराने सैनिक भी उपस्थित थे, जिन्होंने राष्ट्रपति से प्रशंसा पाई और उपस्थित मेहमानों से तालियां बटोरीं।