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Friday 24 December 2021 01:44:46 PM
चेन्नई। सिद्ध चिकित्सा पद्धति की शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप में हुई, यह स्वास्थ्य देखभाल की सबसे पुरानी संहिताबद्ध परंपराओं मेंसे एक है, इसमें कई जटिल, अभिनव चिकित्सीय उपाय और उपचार के तौर-तरीके मौजूद हैं। इसके मूल आधार और सिद्धांत काफी हदतक पंचभूतम, स्वाद और तीन रसों पर निर्भर हैं। मान्यताप्राप्त आयुष प्रणालियों के हिस्से के रूपमें इसे आधिकारिक तौरपर राज्य का संरक्षण मिलता है और सार्वजनिक तथा निजी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के माध्यम से जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इससे लाभांवित होता है। आयुष मंत्रालय हर साल अगथियार के जन्मदिन पर सिद्ध दिवस मनाता है, जो मार्गज़ी महीने के अईलयम स्टार के दौरान आता है। इस वर्ष 23 दिसंबर 2021 को 'संक्रामक रोगों केलिए सिद्ध चिकित्सा की शक्ति' विषय पर केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान तथा तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय ने संयुक्त रूपसे पांचवें सिद्ध दिवस समारोह का आयोजन किया गया है।
मुख्य आयोजन से पहले पिछले दो माह के दौरान कई अन्य संबंधित संस्थानों में सिद्ध दिवस के आयोजन से पहले की गतिविधियां चलाई गई हैं। कार्यक्रम के प्रतिभागियों में सिद्ध मेडिकल कॉलेजों सहित विभिन्न कॉलेजों के सम्मानित गणमान्य व्यक्ति, सिद्ध डॉक्टर, संकाय सदस्य और छात्र शामिल हुए। मुख्य अतिथि के रूपमें आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, आयुष तथा महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ मुंजपारा महेंद्रभाई, तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विकास मंत्री एमएए सुब्रमण्यन उपस्थित थे। जनसभा को संबोधित करते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि यह सिद्ध दिवस बीमारियों के शमन और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा में सिद्ध की सदियों पुरानी परंपरा के पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहाकि आयुष मंत्रालय को इस बात से प्रसन्नता हैकि सीसीआरएस, एनआईएस, तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय, शैक्षणिक संस्थान और गैर-सरकारी संगठन सहित सभी हितधारक प्रभावी तरीके से महामारी का मुकाबला करने केलिए मिलकर काम कर रहे हैं।
आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि आयुष मंत्रालय ने आम जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की दृष्टि से विभिन्न नोडल संस्थानों के माध्यम से पूरे देश में आयुष रोगनिरोधी दवाओं के नि:शुल्क वितरण के लिए एक योजना लागू की है। उन्होंने कहाकि सीसीआरएस और एनआईएस ने भारत के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों से जुड़े 3 आरसीटीएस तथा 2 अवलोकन अध्ययन सहित 10 से अधिक अध्ययन किए हैं एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अग्रणी समीक्षा वाली पत्रिकाओं में लगभग 30 पेपर प्रकाशित किए हैं। सीसीआरएस ने कोविड-19 महामारी के दौरान 2 पेटेंट दाखिल किए हैं। आयुष मंत्री ने कहाकि तमिलनाडु सरकार का भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय राज्यभर में 1079 सिद्ध इकाइयों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके राज्य की इस स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली के विकास एवं प्रगति में उत्कृष्ट पहल कर रही है।
आयुष राज्यमंत्री ने कहाकि आध्यात्मिक, मानसिक तथा शारीरिक कल्याण पर केंद्रित सिद्ध प्रणाली की अवधारणाएं, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य की परिभाषा के अनुरूप हैं। उन्होंने कहाकि आयुष प्रणाली को जन स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ जोड़ने से आम लोगों तक स्वास्थ्य सेवा के विकल्प बढ़ेंगे और जन स्वास्थ्य सेवा के वितरण में सुधार हो सकेगा। विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक ने कहाकि मंत्रालय ने आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर, एम्स तथा आयुष संस्थानों सहित वैज्ञानिकों के प्रतिनिधित्व में एक अंतःविषय आयुष आरएंडडी टास्क फोर्स का गठन किया और टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर कोविड-19 केलिए आयुष उपायों को शामिल करते हुए अंतःविषय अध्ययन शुरू किया। स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करने केलिए 2015-20 के दौरान कुल 184 नए एएसयूएंडएच कॉलेजों को अनुमति दी गई है, जिसमें तमिलनाडु में सिद्ध मेडिकल कॉलेज शामिल है। इस पहल से स्नातक की अतिरिक्त 16824 सीटें और स्नातकोत्तर की 2258 सीटें उपलब्ध हुई हैं।
आयुष राज्यमंत्री ने कहाकि सिद्ध अनुसंधान केलिए शीर्ष संगठन सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन सिद्ध और सिद्ध का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिद्ध, दुनियाभर में सिद्ध दवा के प्रचार और सत्यापन में उत्कृष्ट तरीके से काम कर रहे हैं। आयुर्वेद सलाहकार डॉ मनोज नेसारी कार्यक्रम की अध्यक्षता की। तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विकास के प्रधान सचिव डॉ जे राधाकृष्णन, तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय के निदेशक एस गणेश और संयुक्त निदेशक पी पार्थिभान विशेष आमंत्रित अतिथि के रूपमें उपस्थित थे।