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कानपुर में छापेमारी में 177 करोड़ रुपये मिले

इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां छापेमारी की बड़ी कार्रवाई हुई

उत्तर प्रदेश में कालेधन को आयकर एवं जीएसटी टीम की शह?

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 25 December 2021 01:32:17 PM

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कानपुर। मशहूर इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस और आयकर विभाग की छापेमारी में करीब 177 करोड़ रुपये से भी ज्यादा नकदी मिली है। घर में दो लाख रुपये नकदी रखी जा सकती है, लेकिन इतनी बड़ी नकदी ने सभी को सकते में डाल दिया है कि आखिर यह नकदी किसकी है और आयकर एवं गुड्स एंड सर्विस टैक्स विभाग कानपुर का बड़ा अमला यहां किसलिए है? साफ जाहिर हो रहा हैकि इन दोनों विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर कोई भी व्यक्ति इतनी बड़ी रकम को घर में रखने का दुस्साहस नहीं कर सकता। इससे पता चलता हैकि उत्तर प्रदेश में आयकर और जीएसटी के लोगों की सांठगांठ से कितना बड़ा आर्थिक गैंग मौजूद है। पीयूष जैन जैसे न जाने कितने लोग और प्रतिष्ठान इन दोनों विभागों से मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को लूटने में लगे हुए हैं। जीएसटी इंटेलिजेंस अहमदाबाद और आयकर मुंबई को इस छापेमारी की जिम्मेदारी दी गई थी और इस छापेमारी से कानपुर के अधिकारियों को दूर रखा गया था।
गौरतलब हैकि गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय अहमदाबाद के अधिकारियों ने खुफिया जानकारी पर स्थानीय सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों के सहयोग से 22 दिसंबर 2021 को कानपुर में तलाशी अभियान चलाया था। तलाशी अभियान में एम/एस तिरुमूर्ति फ्रैगरैंस प्राइवेट लिमिटेड कानपुर, शिखर ब्रांड पान मसाला एवं तम्बाकू उत्पादों के विनिर्माताओं के फैक्ट्री परिसरों और सामान की ढुलाई में शामिल एम/एस गणपति रोड कैरियर्स ट्रांसपोर्टनगर कानपुर के कार्यालय एवं गोदामों को कवर किया गया था। सूचना में विनिर्माता द्वारा लागू कर के भुगतान के बिना ही सामानों की गैर कानूनी आपूर्ति के संकेत मिले थे। जीएसटी इंटेलिजेंस अहमदाबाद और आयकर मुंबई ने संयुक्त रूपसे छापे की इस कार्रवाई को अंजाम दिया। रुपये गिनने केलिए करीब तेरह मशीनें लगाई गईं थीं और करीब पच्चीस बॉक्स में यह रकम आ पाई, जिसे छापे की कार्रवाई के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जमा कराया गया है। इस रकम के बारे में और भी छानबीन की जा रही है।
कानपुर में ये कंपनियां लंबे समय से टैक्स चोरी में शामिल थीं। यह जानकर आश्चर्य ही होगा कि इतनी बड़ी रकम एक घर में रखी गई थी। ट्रांसपोर्टर सामान की ढुलाई के दौरान ई-वे बिल से बचने केलिए ऐसी कंपनियों के नाम पर कई इनवॉयस का इस्तेमाल करता था, जो सभी 50,000 रुपये से कम की होती थीं। ट्रांसपोर्टर इस गैर कानूनी आपूर्ति की बिक्री से मिली धनराशि को नकद में ले रहा था और अपना कमीशन काटने के बाद विनिर्माता को सौंप रहा था। अधिकारियों ने शुरुआत में फैक्ट्री परिसर के बाहर ऐसे 4 ट्रकों को सफलतापूर्वक पकड़ा और सीज कर लिया, जो बिना इनवॉइस और ई-वे बिलों के फैक्ट्री से बाहर निकले थे, इससे मिली सूचना की पुष्टि हो गई थी। फैक्ट्री परिसरों के भीतर भौतिक रूपसे स्टॉक लेने के दौरान कच्चे माल और तैयार उत्पादों की कमी देखी गई, क्योंकि तैयार उत्पादों को गैरकानूनी रूपसे बाहर निकाला गया था। कंपनी के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता ने स्वीकार कियाकि जीएसटी के बिना सामान को बाहर भेजा गया है।
ट्रांसपोर्टर एम/एस गणपति रोड कैरियर्स के परिसरों में जीएसटी के भुगतान के बिना सामान की ढुलाई केलिए इस्तेमाल की गईं 200 से ज्यादा फर्जी इनवॉइस मिलीं। ट्रांसपोर्टर ने भी स्वीकार कियाकि फर्जी इनवॉइसेस के तहत ई-वे बिलों के बिना सामान बाहर भेजा गया था और बिक्री की धनराशि नकद में लेकर विनिर्माता को सौंपी जा रही थी। ट्रांसपोर्टर के कब्जे से 1.01 करोड़ रुपये की धनराशि नकद में जब्त की गई। खुफिया जानकारी मिलने पर परफ्यूमरी कम्पाउंड की आपूर्ति करने वाली एम/एस ओडोकेम इंडस्ट्री कन्नौज के साझीदारों के 143, आनंदपुरी कानपुर में आवासीय परिसरों की भी तलाशी ली गई, जहां ज्यादातर नकदी प्राप्त हुई। संदेह थाकि बिक्री से मिली नकद धनराशि को परिसरों में छिपाकर रखा गया है।
आवासीय परिसरों की तलाशी केदौरान बड़ी मात्रा में कागज में लिपटी नकद धनराशि प्राप्त हुई। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कानपुर के अधिकारियों की सहायता से नकदी की गिनती की प्रक्रिया की गई। कुल नकदी 150 करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है। एजेंसी ने जांच पूरी होने तक सीजीएसटी अधिनियम की धारा 67 के प्रावधानों के तहत नकदी को जब्त करने का प्रस्ताव किया है। कर बकायों के रूपमें 3.09 करोड़ रुपये की धनराशि मिली है। संवेदनशील प्रकृति केकारण इस जांच में आगे की जरूरी कार्रवाई भी की जा रही है।

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