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Saturday 5 February 2022 02:40:11 PM
बेंगलुरू। कोरोना वायरस में म्यूटेशन के कारण कोविड-19 महामारी तेजी से फैल रही है, ऐसी स्थिति में कम लागत वाला एंटीवायरल मास्क को विकसित करने की तत्काल जरूरत थी, इसके लिए सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी और बेंगलुरू में कंपनी रेसिल केमिकल्स की सहभागिता से भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र-इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फोर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स के वैज्ञानिकों ने स्व-कीटाणुनाशक फेस मास्क विकसित किया है, यह कार्य कोविड-19 से जंग केलिए डीएसटी की प्रायोजित नैनो मिशन परियोजना केतहत किया गया है। भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक उद्योग साझेदार की सहभागिता में कोविड-19 महामारी से लड़ाई केलिए एक स्व-कीटाणुनाशक 'कॉपर आधारित नैनोपार्टिकल-कोटेड एंटीवायरल फेस मास्क' विकसित किया है।
एंटीवायरल मास्क कोविड-19 विषाणु के साथ-साथ कई अन्य वायरल एवं बैक्टीरियल संक्रमणों के खिलाफ बेहतर काम करता है और यह बायोडिग्रेडेबल यानी जैविक रूपसे नष्ट होने वाला, सांस लेने में सुविधाजनक और धोने योग्य है। सार्स-सीओवी-2 के कारण होने वाले कोविड-19 विषाणु के प्रसार को कम करने में सार्वजनिक स्थलों पर मास्क का उपयोग सबसे प्रभावी है। सार्स-सीओवी-2 एक आवरणयुक्त पॉजिटिव सेंस सिंगल स्ट्रेन आरएनए वायरस है, जो हवा के माध्यम से श्वसन कणों के जरिए संचारित होता है। कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने केलिए मास्क के उपयोग से संबंधित पहलुओं पर तेजीसे वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय बाजार में ऐसे महंगे मास्कों की बिक्री हो रही है, जिनमें विषाणुरोधी और जीवाणुरोधी विशेषताएं नहीं होती हैं। इन बातों को देखते हुए पारंपरिक मास्क पहनकर विशेष रूपसे घनी आबादी वाले स्थानों जैसे अस्पतालों, हवाईअड्डों, स्टेशनों, शॉपिंग मॉल आदि जहां विषाणु की संख्या बहुत अधिक होती है, संक्रमण को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल काम है।
एआरसीआई ने एक फ्लेम स्प्रे पायरोलिसिस यानी आग की लौ का छिड़काव करके पदार्थ को विघटित करने की प्रक्रिया के जरिए लगभग 20 नैनोमीटर के तांबा आधारित नैनो कण विकसित किए। सॉलिड लोडिंग और पीएच (पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन) को अनुकूलित करके स्थिर नैनो पार्टिकल सस्पेंशन प्राप्त किया गया। एक उपयुक्त बाइंडर का उपयोग करके अच्छे आसंजन केसाथ सूती कपड़े पर इस नैनो-कोटिंग की एक समान परत प्राप्त की गई थी। इस लेपित कपड़े ने जीवाणु के खिलाफ 99.9 फीसदी से अधिक की दक्षता का प्रदर्शन किया। सीएसआईआर-सीसीएमबी ने अपने रोगाणुशोधन गुणों केलिए सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इस कपड़े की दक्षता का परीक्षण किया और जैसाकि मानक परिणामों से स्पष्ट है, इसके रोगाणुनाशक होने की क्षमता 99.9 फीसदी होने की जानकारी दी। बाहरी परत के रूपमें नैनो कण लेपित कपड़े केसाथ एकल परत और तीन परतों जैसे विभिन्न डिजाइन वाले प्रोटोटाइप मास्क का प्रदर्शन किया गया। सिंगल लेयर मास्क एक नियमित मास्क के ऊपर एक सुरक्षात्मक विषाणुरोधी बाहरी मास्क के रूपमें विशेष रूपसे उपयोगी होता है।
औद्योगिक साझेदार कंपनी बेंगलुरू में रेसिल केमिकल्स बड़े पैमाने पर ऐसे दोहरी परत वाले मास्क का निर्माण कर रही है। मौजूदा समय में फेस मास्क विषाणु को मारते नहीं हैं, उनका केवल फिल्टर करते हैं, इसे देखते हुए मास्क को ठीक से नहीं पहनने या सही तरीके से निपटान नहीं करने पर संक्रमण का खतरा रहता है। समुदाय में सामान्य बहु-परत वाले कपड़े के मास्क का उपयोग कोविड-19 संक्रमण को कम करने में एक व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करते हैं और इन स्व-रोगाणुनाशक कपड़े के मास्क को पहनना निश्चित रूपसे उनमें से एक है। विश्व में उपयोग किए जाने केबाद मास्क के निपटान को लेकर एक बड़ी चिंता व्यक्त की गई है। कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी अधिकांश पारंपरिक मास्क एकबार के उपयोग योग्य हैं और प्राकृतिक रूपसे नष्ट होने वाले नहीं हैं, इसके चलते पर्यावरण से संबंधित गंभीर चिंताएं और अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे हैं। मौजूदा विषाणुरोधी मास्क सूती कपड़े से निर्मित है और प्राकृतिक रूपसे नष्ट होने वाला है, इसके चलते यह इन समस्याओं को समाप्त करने के साथ-साथ सांस लेने में सुविधाजनक है और इसे धोया भी जा सकता है।