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'बच्चों को सुनाएं आज़ादी के नायकों की कहानियां'

आज़ादी के गुमनाम नायकों की कहानियों को लिपिबद्ध करें-वेंकैया

उपराष्ट्रपति ने किया पुस्तक 'ध्यास पंथे चलता' का विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 9 February 2022 02:17:27 PM

vice president  venkaiah naidu releasing the book 'dhyaas panthe chaalta'

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को सम्मानित करने और उनके जीवन से जुड़ी कहानियों को लिपिबद्ध करने की अपील की है, ताकि युवा और आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा ग्रहण कर सकें। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से सामाजिक समरसता की कहानियों का वर्णन करने सुझाव दिया, जो भारत की सभ्यता के महत्व को दर्शाती हैं। इतिहास पढ़ाने के महत्व की चर्चा करते हुए वेंकैया नायडु ने कहाकि हमें अपने बच्चों को ऐसे शूरवीर नायकों की कहानियां सुनानी चाहिएं, जिनकी यह धरती साक्षी है। उन्होंने कहाकि हमारे दिमाग में अगर कोई हीनभावना है तो हमारा गौरवशाली इतिहास उससे मुक्त होना चाहिए, दरअसल इतिहास हमें शिक्षित, प्रबुद्ध और स्वाधीन बना सकता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहाकि स्वतंत्रता केबाद भी हमारी शिक्षा प्रणाली में औपनिवेशिक झलक बनी रही, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियांवयन से इसे दूर किया जाना चाहिए। वेंकैया नायडु ने उपराष्ट्रपति निवास से पुस्तक 'ध्यास पंथे चलता' का विमोचन किया, जो महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी की 160 साल की विरासत का एक ऐतिहासिक लेखा पेश करती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि 1860 में पुणे में सोसायटी महान आद्य क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के जैसे दिग्गजों के युवाओं को वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान करने और लोगों में राष्ट्रवादी मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रयासों को लेकर देश में बनने वाले पहले निजी शैक्षणिक संस्थानों में से एक थी। वासुदेव बलवंत फड़के का उल्लेख करते हुए वेंकैया नायडु ने बतायाकि वह औपनिवेशिक शासन से भारत को आजाद कराने केलिए संग्राम करने वाले शुरुआती क्रांतिकारियों में शुमार थे, उन्होंने स्वराज के मंत्र का प्रचार करके और स्थानीय समुदायों का समर्थन जुटाकर जिस बहादुरी से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वह वास्तव में उल्लेखनीय है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि महाराष्ट्र, नेताओं एवं संगठनों का निर्माण करने और स्वतंत्रता संग्राम की वैचारिक नींव रखने में सबसे आगे था। उन्होंने भारत में सार्थक सामाजिक सुधार लाने में दादोबा पांडुरंग, गणेश वासुदेव जोशी, महादेव गोविंद रानाडे और महात्मा ज्योतिबा फुले जैसे दिग्गजों के नेतृत्व में परमहंस मंडली, पूना सार्वजनिक सभा और सत्यशोधक समाज जैसे संगठनों के प्रयासों का जिक्र किया। महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी, डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी और अन्य संस्थानों में शिक्षा को एक मिशन के रूपमें लेने का जिक्र करते हुए वेंकैया नायडु ने शिक्षा के कार्य को आगे बढ़ाने केलिए इसी तरह की भावना का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने राज्यों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अंतर्विधायिकता और बहु-विधायिकता पर जोर देने केसाथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उत्साहपूर्वक कार्यांवयन का आग्रह किया। उन्होंने उल्लेख कियाकि महामारी ने डिजिटल क्लासरूम, स्मार्ट डिवाइसेस और माइक्रो कोर्स के उपयोग को आवश्यक बना दिया है।
वेंकैया नायडु ने यह मानाकि शिक्षा की विधि अब यथास्थिति नहीं हो सकती है और निजी एवं सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा में इन नए हाइब्रिड स्टैंडर्ड यानी संकर मानकों को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहाकि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से दी जाने वाली दूरस्थ शिक्षा भौगोलिक बाधाओं को दूर कर सकती है और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच सकती है, उनका पूरी तरह से अन्वेषण होना चाहिए और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। कार्यक्रम में राजीव सहस्रबुद्धे शासी निकाय के अध्यक्ष एमईएस, डॉ भरत वांकटे सचिव एमईएस, सुधीर गाडे सहायक सचिव एमईएस, डॉ केतकी मोदक पुस्तक की लेखिका ने हिस्सा लिया।

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