स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 9 February 2022 02:21:49 PM
हैदराबाद। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी पर महान संत श्रीरामानुजाचार्य को श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके जन्म सहस्राब्दी समारोह को भी संबोधित किया। अमित शाह ने कहाकि यहां आकर मैं चेतना और उत्साह दोनों का अनुभव कर रहा हूं और जिन लोगों के मन में समाज केलिए कुछ करने की प्रेरणा होती है, ऐसे लोगों को यहां आकर कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहाकि किसी भी मत या संप्रदाय के अनुयायी हों, उन्हें एकबार यहां इसीलिए आना चाहिए, क्योंकि अंततोगत्वा सनातन धर्म की शरण में ही सबके उद्धार का मूल है। उन्होंने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य के जीवन के 1000 साल को इससे बड़ी कोई भावांजलि, स्मरणांजलि और कार्यांजलि नहीं हो सकती, उन्होंने वेदों के मूल वाक्य को समय की गर्त से बाहर निकालकर बिना कुछ बोले अनेक परंपराओं को तोड़ते हुए समाज केबीच रखा, उन्हें प्रस्थापित किया।
गृहमंत्री ने कहाकि स्टेच्यू ऑफ़ इक्वेलिटी का हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। उन्होंने कहाकि दूर से देखने पर ये प्रतिमा आत्मा को शांति देती है, चित्त और मन को प्रसन्न करती है, नज़दीक़ जाते ही श्रीरामानुजाचार्य का संदेश देश की हर भाषा में देखने को मिलता है। अमित शाह ने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य ने पूरी दुनिया केलिए समता का संदेश दिया और ये स्मारक युगों-युगों तक समग्र विश्व में सनातन धर्म का संदेश फ़ैलाने का काम करेगा। उन्होंने कहाकि अगर भारत के इतिहास को आजतक देखें तो कई उतार चढ़ाव आए हैं और सनातन धर्म समय के थपेड़ों को सहते-सहते अपने अस्तित्व को बचाते हुए और बिना कालबाह्य हुए आगे बढ़ता गया। गृहमंत्री ने कहाकि जब भी सनातन धर्म पर संकट आया है, कोई ना कोई आया है, जिसने सनातन धर्म की जोत को प्रज्ज्वलित किया और इस ज्ञान यात्रा को पूरे विश्व में आगे बढ़ाया। उन्होंने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य भी एक ऐसे ही व्यक्ति थे, जिन्होंने शंकराचार्य के बाद इस कार्य को अच्छी तरह से किया।
अमित शाह ने कहाकि आदि शंकराचार्य ने कई मत-मतांतरों को एक करते हुए सनातन धर्म की छत्रछाया में देश को एक करने का कार्य किया, श्रीरामानुजाचार्य ने कई कुप्रथाएं बिना कटु विरोध किए बदलीं, सनातन धर्म में मैं ही सत्य हूं, जड़ता और अहंकार नहीं है। गृहमंत्री ने कहाकि यहां स्मारक के साथ-साथ वेदाभ्यास की भी व्यवस्था की गई है, श्रीरामानुजाचार्य के जीवन के संदेश को हर व्यक्ति समझ सके, इसके लिए देश की हर भाषा में प्रसारित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहाकि ईश्वर ने कई कुप्रथाओं को सनातन धर्म से बाहर निकालने केलिए श्रीरामानुजाचार्य के रूपमें यहां आकर हम सबके बीच 120 साल तक काम किया। उन्होंने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य ने मध्य मार्ग को व्याखायित करते हुए विशिष्टाद्वैत की अवधारणा दी और भारतीय समाज में एकत्व लाने का क्रांतिकारी काम किया, उनके विशिष्टाद्वैत दर्शन के कारण पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भारत एक सूत्र में बंध गया। गृहमंत्री ने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य के जीवन और योगदान को सरल शब्दों में अगर कहा जाए तो समता-समरसता और सभी को ज्ञान ग्रहण करने का अधिकार है।
गृहमंत्री ने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य ने जातिगत भेदभाव को 1000 साल पहले समाप्त करने केलिए क्रांतिकारी कार्य किया, क्षमता के अनुसार काम का विभाजन, पूजा के अधिकारों, मंदिर के संचालन को 20 हिस्सों में बांटा। अमित शाह ने कहाकि उन्होंने भाषा की समानता और मोक्ष के अधिकार को भी एक वर्ग विशेष की जगह सबको दिया। अमित शाह ने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य ने कहा थाकि यदि शास्त्रों का ज्ञान केवल ईश्वर की भक्ति के बजाय अभिमान लाता है तो यह ज्ञान मिथ्या है और इससे बेहतर अज्ञानी रहना है। उन्होंने कहाकि बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर लिखते हैंकि हिंदूधर्म में समता की दिशा में यदि किसी ने महत्वपूर्ण कार्य किए और उन्हें लागू करने का प्रयास किया तो वो संत श्रीरामानुजाचार्य ने ही किया। मेलकोट में अपने प्रवास के दौरान श्रीरामानुजाचार्य ने देखाकि समाज के कुछ वर्गों के भक्तों को सामाजिक मानदंडों के कारण मंदिर के अंदर पूजा करने की अनुमति नहीं थी, इस प्रथा से वह बहुत दुखी थे, उन्होंने इस प्रथा में बदलाव किया और किसी भी भक्त को पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना भगवान की पूजा करने की अनुमति देने का मार्ग प्रशस्त किया।
गृहमंत्री ने कहाकि महिला सशक्तिकरण केलिए भी उस दौर में संत श्रीरामानुजाचार्य कैसे काम करते थे, इसके कई उदाहरण हैं, एकबार तिरुवल्ली में एक दलित महिला के साथ शास्त्रार्थ के बाद उन्होंने उक्त महिला से कहा कि आप मेरे से ज्यादा ज्ञानी हैं। जिसके बाद उन्होंने उस महिला को दीक्षा दी व मंदिर में उनकी मूर्ति बनाकर सनातन धर्म के अनुयायिओं को समता का संदेश दिया। गृहमंत्री ने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य बहुत विनम्र थे, परंतु वह विद्रोही भी थे और बहुत सारी कुप्रथाओं को इनके अंदर की विद्रोही आत्मा ने समाप्त करने का काम किया। उन्होंने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य ने समता और समरसता का संदेश अपने कार्यों से दिया। गृहमंत्री ने कहाकि जब विदेशी आक्रांताओं ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया तो मंदिर ध्वस्त होने लगे और तब श्रीरामानुजाचार्य ने भगवान को घरमें रखकर पूजा करने की परंपरा शुरु की, इसीके कारण हमारा सनातन धर्म चल रहा है, भाषा की समानता केलिए भी उन्होंने बहुत सारा काम किया।
गृहमंत्री ने कहाकि वे संस्कृत भाषा के वेद, श्रीमद्भागवत गीता, साहित्य का सम्मान करते रहे, परंतु उन्होंने रजवाड़ों के तमिल छंदों को भी मान देने की शुरुआत की। उन्होंने कहाकि मोक्ष का अधिकार सिर्फ संन्यासियों को होता था ऐसी किवदंती थी, श्रीरामानुजाचार्य ने बताया अगर छोड़ना ही सन्यास है तो अपने जीवात्मा की रक्षा जो ईश्वर पर छोड़ देता है, अपने जीवन को, अपने भाग्य को जो ईश्वर पर छोड़ देता है, वह भी सन्यासी है और उसको भी मोक्ष का अधिकार है। गृहमंत्री ने कहाकि यह विधाता का ही आशीर्वाद हैकि जिस कालखंड में स्टैचू ऑफ इक्वेलिटी बना है, उसी कालखंड में भव्य श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का 650 साल केबाद पूर्णोद्धार, केदारधाम, बद्रीधाम का भी पुनर्निर्माण का काम हो रहा है, यही कालखंड है, जहां से सनातन धर्म को पूर्णतया जागृत करके समग्र विश्व में हमें नैतिकता के ज्ञान को आगे बढ़ाना है। गृहमंत्री ने कहाकि श्रीरामानुजाचार्य की यह स्टैचू ऑफ इक्वेलिटी प्रतिमा विशिष्टाद्वैत, समानता और सनातन धर्म का संदेश विश्वभर को देगी।