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बच्चों की शिक्षा को लेकर उपराष्ट्रपति चिंतित!

'महामारी के चलते विद्यालय बंद होने से शिक्षा बहुत प्रभावित हुई'

'ई-शिक्षण में शिक्षकों के कौशल को उन्नत करना भी महत्वपूर्ण'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 15 February 2022 05:11:50 PM

vice president interacting with the faculty members and students of nitttr chennai

चेन्नई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहाकि विद्यालय बंद होने से लड़कियां, वंचित पृष्ठभूमि के बच्चे, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले, दिव्यांग बच्चे और जनजातीय अल्पसंख्यकों के बच्चे अपने साथियों की तुलना में अधिक प्रभावित हुए एवं होते हैं। उन्होंने कहाकि केंद्र और राज्य सरकारें डिजिटल शिक्षण को बढ़ावा देने केलिए कई कारगर प्रयास कर रही हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हैकि कोई डिजिटल विभाजन न हो। उन्होंने विशेष रूपसे ग्रामीण क्षेत्रों एवं सुदूर इलाकों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने और शैक्षणिक अनुभव के केंद्र में समावेशिता का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि इसके लिए मंत्र-ग्रहण करना, जोड़ना, प्रबुद्ध करना और सशक्त बनाना होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने ये बातें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च चेन्नई में खेल केंद्र और मुक्त शैक्षणिक संसाधन के उद्घाटन कार्यक्रम में कहीं।
उपराष्ट्रपति ने एनआईटीटीटीआर खुला शिक्षण संसाधन को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से समावेशिता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। वेंकैया नायडु ने कहाकि इससे शिक्षकों को अपने ज्ञान के आधार और शिक्षण पद्धति में सुधार करने में सहायता मिलेगी। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि ई-शिक्षण में शिक्षकों के कौशल को उन्नत करना महत्वपूर्ण उपायों में से एक है। देशमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षक प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहाकि शिक्षक एक राष्ट्र की बौद्धिक जीवनरेखा का निर्माण करते हैं और इसके विकास को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वेंकैया नायडु ने आनेवाले दिनों में ऐसे शिक्षकों के निर्माण की जरूरत पर जोर दिया जो शिक्षार्थी और ज्ञान के निर्माता हों, ऐसे शिक्षक जो जीवन को समझते हों और मानवीय स्थिति को ऊपर उठाना चाहते हों। उन्होंने कहाकि हमें अपनी कक्षाओं विशेष रूपसे ग्रामीण भारत में प्रेरित करने, परिवर्तन लानेवाले शिक्षकों की आवश्यकता है।
भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश पर उन्होंने कहाकि भारत की विशाल युवा आबादी को जिम्मेदार नागरिक बनाने में शिक्षकों की बड़ी जवाबदेही है। उन्होंने कहाकि शिक्षा का मतलब केवल डिग्री नहीं है, शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य ज्ञान, सशक्तिकरण और बौद्धिकता है। उपराष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों से छात्रों में एक सुदृढ़ और सकारात्मक सोच विकसित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने 'कोविड वॉरियर्स' की भूमिका निभाने और महामारी के दौरान अपने छात्रों की शैक्षणिक निरंतरता सुनिश्चित करने को लेकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने केलिए शिक्षकों की प्रशंसा भी की। उन्होंने उल्लेख कियाकि शिक्षण समुदाय ने तकनीक की खोज की और छात्रों को पढ़ाई में सहायता करने केलिए अपनी रणनीतियों एवं कार्यप्रणाली से लचीलापन दिखाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दूरदर्शी दस्तावेज बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह हमारे देश में शिक्षा के वातावरण को रूपांतरित करना चाहता है और युवा शिक्षकों को ऊर्जाशील एवं प्रेरित करने के महत्व को रेखांकित करता है। उन्होंने शिक्षकों से बौद्धिक रूपसे जीवंत एवं सहयोगी वातावरण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और वैश्विक चुनौतियों एवं अवसरों केलिए अभिनव रणनीतियों को अपनाने का अनुरोध किया।
भारत की शिक्षा प्रणाली को उपनिवेशीकरण से मुक्त करने की जरूरत बतलाते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणालियों और उन महान संतों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया, जिन्होंने भारत को विश्वगुरू-एक ज्ञान दाता बनाया था। उन्होंने उस स्थिति को फिरसे प्राप्त करने का आह्वान करते हुए जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा के आधार पर समाज को विभाजन से मुक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उपराष्ट्रपति ने भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने और उन्हें संरक्षित करने की जरूरत पर जोर दिया, वहीं भारतीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने केलिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् की सराहना की। उन्होंने इस बात को दोहरायाकि किसी भी भाषा को थोपने या विरोध करने का काम नहीं किया जाना चाहिए, जितना संभव हो उतनी भाषाएं सीखनी चाहिएं, लेकिन मातृभाषा को जरूर प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने शिक्षकों को छात्रों को 'अनुभव संबंधी शिक्षा' प्रदान करने की सलाह दी और कहाकि इस तरह की शिक्षण पद्धति रचनात्मकता और नवीन परिणामों को बढ़ावा देने में सहायता करती है। उन्होंने शिक्षण को संचार के एकतरफा माध्यम से दोतरफा माध्यम में ले जाने को कहा, जहां गतिविधियों को सामग्री के संदर्भ से जोड़ने की जरूरत होती है।
उपराष्ट्रपति ने एनआईटीटीटीआर से बेहतर ढांचागत और वैज्ञानिक रूपसे डिजाइन किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षकों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने पिछले दो वर्ष में 60,000 से अधिक शिक्षार्थियों को प्रशिक्षण देने में इसके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विदेश मंत्रालय के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग केतहत राष्ट्रीय के साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देने केलिए संस्थान की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने शिक्षकों को स्वस्थ रहने एवं अपने छात्रों को नियमित रूपसे खेल या योग का अभ्यास करने केलिए प्रेरित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि कोरोना महामारी ने रोगों के खिलाफ अच्छी प्रतिरक्षा केलिए शारीरिक स्वास्थ्य और स्वस्थ भोजन के महत्व को रेखांकित किया है। उपराष्ट्रपति ने एनआईटीटीटीआर के छात्रों और शिक्षकों से भी बातचीत की, विशेष रूपसे तकनीकी संस्थानों में शिक्षण विधियों को रूपांतरित करने की जरूरत पर जोर दिया।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने एक प्रश्न के उत्तर में ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे अस्पतालों, विद्यालयों, सड़कों और कनेक्टिविटी जैसी बेहतर सुविधाओं का निर्माण करने का आह्वान किया, जिससे ग्रामीण-शहरी विभाजन को समाप्त किया जा सके और शहरों की ओर पलायन को रोका जा सके। उन्होंने राज्य सरकारों से स्मार्ट सिटी कार्यक्रम पर अपना ध्यान केंद्रित करने और अन्य शहरी केंद्रों को अपनी सुविधाओं में सुधार को लेकर प्रेरित करने केलिए मॉडल शहर बनाने का भी अनुरोध किया। कार्यक्रम में तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री थिरुमा सुब्रमण्यम, एनआईटीटीटीआर-चेन्नई की बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ वीएसएस कुमार, एनआईटीटीटीआर-चेन्नई की निदेशक डॉ उषा नतेसन, एनआईटीटीटीआर के प्रोफेसर डॉ जी कुलंथीवेल और एनआईटीटीटीआर-चेन्नई के शिक्षक एवं कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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