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Sunday 27 March 2022 05:29:51 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और दिल्ली पुलिस के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विशेष पुलिस इकाई के सहयोग से 'नस्लीय विविधता केप्रति संवेदनशील होना' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की, जिसका उद्देश्य भारत में विभिन्न संस्कृतियों केप्रति जागरुकता फैलाना और विविध रीति-रिवाजों केबीच आपसी समझ को मजबूत करने केलिए रणनीति की अनुशंसा करना था। केंद्रीय विदेश और शिक्षा राज्यमंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने मुख्य अतिथि के रूपमें संगोष्ठी को संबोधित किया और कहाकि संगोष्ठी का उद्देश्य राष्ट्रीय अखंडता एवं एकता की भावना को बढ़ावा देना है और इस तरह के संवेदनशील बनाने के कार्यक्रम निश्चित रूपसे एक-दूसरे केप्रति हमारे व्यवहार में सहानुभूति लाने में योगदान देंगे। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के आदर्श वाक्य पर जोर देते हुए कहाकि समय की मांग हैकि सूचना का प्रसार हो, संस्कृति का आदान-प्रदान हो और लोग संवेदनशील हों।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहाकि आपसी समझ और विश्वास भारत की ताकत की आधारशिला है और सभी नागरिकों को भारत के सभी क्षेत्रों में रहते हुए सांस्कृतिक रूपसे एकीकृत या आपस में जुड़ा महसूस करना चाहिए। उन्होंने पुलिस को संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी जोर दिया और पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने केलिए आयोग के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी साझा की। संगोष्ठी में विभिन्न विचार प्राप्त करने केलिए आयोग ने कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया था, जिनमें प्रमुख हैं-बाइचुंग भूटिया भारतीय फुटबॉल के पूर्व कप्तान, सोनम वांगचुक लद्दाख के भारतीय इंजीनियर नवोन्मेषी और शिक्षा सुधारक, हिबू तमांग संयुक्त पुलिस आयुक्त उत्तर-पूर्व क्षेत्र केलिए विशेष पुलिस, आदित्यराज कौल कार्यकारी संपादक टीवी 9/ राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक मामले, रॉबिन हिबू आईपीएस विशेष पुलिस आयुक्त सशस्त्र पुलिस डिवीजन दिल्ली पुलिस और एनजीओ हेल्पिंग हैंड्स के अध्यक्ष, तजेंदर सिंह लूथरा निदेशक राष्ट्रीय पुलिस मिशन, रिनचेन ल्हामो सदस्य राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, सोसोशैज़ा पूर्व सदस्य एनसीडब्ल्यू, पूजा एलंगबम आईएएस एसडीओ पोरोमपत, इंफाल पूर्व और प्रोफेसर अजेलिउ नियामई प्रमुख सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूजन एंड इनक्लूसिव पॉलिसी हैदराबाद विश्वविद्यालय।
संगोष्ठी का उद्देश्य देश की विविधता में एकता का उत्सव मनाना और लोगों के बीच पारंपरिक रूपसे विद्यमान भावनात्मक बंधनों के ताने-बाने को बनाए रखना और मजबूत करना था। संगोष्ठी में विभिन्न नस्लों और संस्कृतियों केप्रति अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाना एवं नस्लीय संघर्षों से जुड़े मुद्दों से निपटने केलिए दिल्ली में रहनेवाले विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधियों को जागरुक बनाना जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। पैनल सदस्यों ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। भारतीय फुटबॉल के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने खेल अनुभव साझा करते हुए कहाकि खेल एक ऐसा माध्यम है, जहां आपकी पृष्ठभूमि के आधार पर आपके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर को अधिक प्रतिनिधित्व देने में खिलाड़ियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लद्दाख के इंजीनियर सोनम वांगचुक ने कहाकि भारत एक ऐसा देश है, जो अनेकता में एकता की बात करता है, जबकि कई राष्ट्र ऐसा नहीं करते हैं। उन्होंने कहाकि एकीकरण में मीडिया को अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत है, फिल्म, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समेत सभी तरह का मीडिया माध्यम लोगों को एकसाथ लाने में अहम भूमिका निभा सकता है। संयुक्त पुलिस आयुक्त उत्तर पूर्व क्षेत्र केलिए विशेष पुलिस हिबू तमांग ने कहाकि दिल्ली पुलिस ने पूर्वोत्तर के लोगों की समस्याओं के समाधान केलिए कई पहलें की हैं और मैंने अपनी सेवा के 5 वर्ष में देखा हैकि पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ नस्लीय टिप्पणियों में कमी आई है और लोग अधिक जागरुक हुए हैं।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रिनचेनलामो ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार लद्दाख के विकास केलिए काम कर रही है और इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने तथा लद्दाख में चल रहे विकास कार्यों केलिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं। अजैलिउ नुमाई ने कहाकि पूर्वोत्तर की महिलाओं को आसान शिकार समझा जाता है, पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति नस्लीय दृष्टिकोण अज्ञानता से पैदा हुआ है, कई नस्लीय घटनाएं हुई हैं, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण हैं, हालांकि अब स्थितियां काफी बेहतर हुई हैं। पूजा एलंगबम ने कहाकि नस्ल एक सामाजिक रचना है, जिस प्रकार लिंग एक सामाजिक रचना है। उन्होंने कहाकि विभिन्न विभागों और संगठनों के लोगों के एकसाथ आने केलिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहाकि शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जिससे हम समस्या का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि हमारी शिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम भारत की विविधता को दर्शाते हैं, यदि बचपन से ही आवश्यक संवेदनशीलता की भावना पैदा की जाती है तो हमारी शिक्षा प्रणाली बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम होगी।
एनसीडब्ल्यू की सदस्य रहीं सोसोशैज़ा ने कहाकि सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे विभेदों को स्वीकार करना है, भारत के नागरिक के रूपमें यदि हम अन्य समुदायों को स्वीकार और सम्मान करते हैं तो हम अलग-थलग होने की भावना महसूस नहीं करेंगे, इसलिए स्वीकृति सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। तजेंदर सिंह लूथरा निदेशक राष्ट्रीय पुलिस मिशन ने कहाकि प्रकृति ने हम सभी को विशिष्ट बनाया है, हालांकि हमारे रंग अलग-अलग हैं और हम अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, लेकिन हम सभी अविश्वसनीय, अद्वितीय और विशेष हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष सैयद शहजादी, महानिदेशक बीपीआरएंडडी के अध्यक्ष बालाजी श्रीवास्तव और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।