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Friday 22 April 2022 02:50:36 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि भारत का हर क्षेत्र, हर कोना हमारे गुरुओं के प्रभाव और ज्ञान से रोशन है, श्रीगुरु नानकदेवजी ने पूरे देश को एकसूत्र में पिरोया, श्रीगुरु तेगबहादुरजी के अनुयायी हर तरफ हुए, पटना में पटना साहिब और दिल्ली में रकाबगंज साहिब हमें हर जगह गुरुओं के ज्ञान और आशीर्वाद के रूपमें ‘एक भारत’ के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे यहां हर कालखंड में जब-जब नई चुनौतियां खड़ी होती हैं तो कोई न कोई महान आत्मा इस पुरातन देश को नए रास्ते दिखाकर दिशा देती है। प्रधानमंत्री ने धार्मिक कट्टरता और उस दौरमें धर्म केनाम पर हिंसा करने वालों के घोर अत्याचारों को याद करते हुए कहाकि उस समय देशमें मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी, धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे, जिन्होंने धर्म केनाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी, उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने केलिए एक बड़ी उम्मीद श्रीगुरु तेगबहादुरजी के रूपमें दिखी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय श्रीगुरु तेगबहादुरजी ‘हिंद दी चादर’ बनकर एक चट्टान कीतरह खड़े हो गए थे, उनके बलिदान ने भारत की कई पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की गरिमा और उसके आदर एवं सम्मान की रक्षा केलिए जीने और मरने केलिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहाकि बड़ी शक्तियां गायब हो गई हैं, बड़े तूफान शांत हो गए हैं, लेकिन भारत अभीभी अमर है, आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री लालकिले में श्रीगुरु तेगबहादुरजी के 400वें प्रकाश पर्व के भव्य समारोह में शामिल हुए और श्रीगुरु तेगबहादुरजी को नमन किया। प्रधानमंत्री 400 रागियों द्वारा किए गए शबद कीर्तन के समय प्रार्थना में बैठे। इस अवसर पर सिख नेतृत्व ने प्रधानमंत्री को सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज हमारा देश पूरी निष्ठा केसाथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने लालकिले के ऐतिहासिक महत्व केबारे में चर्चा करते हुए कहाकि इस किले ने श्रीगुरु तेगबहादुरजी की शहादत को भी देखा है और यह राष्ट्र के इतिहास और आकांक्षा का प्रतिबिंब रहा है। उन्होंने कहाकि इस पृष्ठभूमि में इस ऐतिहासिक स्थल पर इस कार्यक्रम का बहुत महत्व है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि सैकड़ों साल की गुलामी से भारत की आजादी और भारत की आजादी को उसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा से अलग नहीं किया जा सकता है, इसलिए देश आजादी का अमृत महोत्सव और श्रीगुरु तेगबहादुरजी के 400वें प्रकाश पर्व को एकही संकल्प केसाथ मना रहा है। उन्होंने कहाकि हमारे गुरुओं ने हमेशा ज्ञान और आध्यात्मिकता केसाथ-साथ समाज एवं संस्कृति की जिम्मेदारी ली, उन्होंने सामर्थ्य को सेवा का माध्यम बनाया। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये भारतभूमि सिर्फ एक देशही नहीं है, बल्कि महान विरासत है, महान परंपरा है, इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों-हजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उनके विचारों को समृद्ध किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि लालकिले के पासमें ही श्रीगुरु तेगबहादुरजी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है, ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता हैकि हमारी महान संस्कृति की रक्षा केलिए श्रीगुरु तेगबहादुरजी का बलिदान कितना बड़ा था। प्रधानमंत्री ने कहाकि एकबार फिर दुनिया आशा और उम्मीद केसाथ भारत की ओर देख रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि नए भारत के आभामंडल में हम हरजगह श्रीगुरु तेगबहादुरजी का आशीर्वाद महसूस करते हैं।
नरेंद्र मोदी ने सिख विरासत का उत्सव मनाने केलिए सरकार के प्रयासों के बारेमें कहाकि पिछले वर्षही सरकार ने साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बालदिवस मनाने का निर्णय लिया है, सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने केलिए भी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहाकि करतार साहिब का इंतजार खत्म हुआ और कई सरकारी योजनाएं इन पवित्र स्थानों की तीर्थयात्रा को आसान एवं सुगम बना रही हैं, स्वदेश दर्शन योजना केतहत आनंदपुर साहिब और अमृतसर साहिब सहित कई प्रमुख स्थानों को मिलाकर एक तीर्थयात्रा सर्किट बन रहा है, हेमकुंड साहिब में रोपवे का काम चल रहा है। नरेंद्र मोदी ने श्रीगुरुग्रंथ साहिब की महिमा को नमन करते हुए कहाकि श्रीगुरुग्रंथ साहिब हमारे लिए आत्मकल्याण के पथ-प्रदर्शक के साथ-साथ भारत की विविधता और एकता का जीवंत स्वरूप भी है, इसलिए अफ़ग़ानिस्तान में संकट से सुरक्षित पवित्र श्रीगुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को लाया गया है। उन्होंने यहभी कहाकि नागरिकता संशोधन अधिनियम से पड़ोसी देशोंसे आनेवाले सिखों और अल्पसंख्यकों केलिए नागरिकता का रास्ता साफ हो गया है।
भारत के दार्शनिक मूल केबारे में प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने कभी किसी देश या समाज केलिए खतरा पैदा नहीं किया, आजभी हम पूरे विश्व के कल्याण केलिए सोचते हैं, हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति का लक्ष्य सामने रखते हैं, आज का भारत वैश्विक संघर्षों के बीच भी स्थिरता केसाथ शांति केलिए प्रयासरत है और भारत देश की रक्षा एवं सुरक्षा केलिए समान रूपसे दृढ़ है। उन्होंने कहाकि हमारे सामने गुरुओं की महान सिख परंपरा है, उन्होंने पुरानी रूढ़ियों को दूर करके नए विचारों को सामने रखा, उनके शिष्यों ने उन्हें अपनाया और उनसे सीखा। उन्होंने कहाकि हमारे गुरुओं ने हमें मानवता को सर्वोपरि रखने की सीख दी है, प्रेम और सौहार्द हमारे संस्कारों का हिस्सा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नई सोच का यह सामाजिक अभियान सोच के स्तरपर एक नवाचार था। प्रधानमंत्री ने कहाकि नई सोच, सतत परिश्रम और शत-प्रतिशत समर्पण ये आजभी हमारे सिख समाज की पहचान है, आजादी के अमृत महोत्सव में देश काभी यही संकल्प है, हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है, हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। उन्होंने कहाकि देश का विकास, देश की तेज प्रगति ये हमसबका कर्तव्य है, इसके लिए ‘सबके प्रयास’ की जरूरत है।