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Saturday 30 April 2022 02:25:31 PM
नागपुर। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कर प्रणाली को और सरल बनाने का आह्वान किया है, ताकि स्वेच्छा से अनुपालन को बढ़ावा दिया जा सके और मुकद्मेबाजी को कम किया जा सके। जटिल और उबाऊ प्रक्रियाओं को दूर करने के सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने एक स्थिर, उपयोगकर्ता अनुकूल और पारदर्शी कर व्यवस्था बनाने की दिशा में चल रहे प्रयासों को तेज करने का आह्वान किया। नागपुर में राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी) में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 74वें बैच के विदाई समारोह को आज संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि एक पारदर्शी और करदाता के अनुकूल व्यवस्था बनाने के प्रयासों में प्रौद्योगिकी बेहद सक्षम हो सकती है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि वित्तीय समावेशन, सेवा वितरण को आसान बनाने और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से रिसाव को रोकने केलिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों से एक उच्च बेंचमार्क स्थापित करके लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने केलिए प्रणाली में सुधार करने को कहा। उन्होंने कहाकि हम यथास्थिति से संतुष्ट नहीं हैं, हम अपने स्वराज को सुराज में परिवर्तित करना चाहते हैं। कर संग्रह के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में भारतीय राजस्व सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए वेंकैया नायडू चाहते थेकि वे कर कानूनों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट और आसान बनाए, ताकि कर अनुपालन प्रतिमान बन जाए और नागरिक स्वेच्छा और सहजता से समय पर करों का भुगतान करें। महाभारत से एक उपमा का हवाला देते हुए उन्होंने कहाकि एक शासक को लोगों से उसी तरह कर वसूल करना चाहिए जैसे मधुमक्खियां फूल को नुकसान पहुंचाए बिना फूलों से अमृत निकालती हैं।
उपराष्ट्रपति ने प्रभावी कर प्रशासन को राष्ट्रीय विकास का आधार और सुशासन के स्तंभों में से एक बताते हुए कहाकि कर संग्रह को बढ़ाने की आवश्यकता है, लेकिन इसे पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से किया जाना चाहिए, नकि मनमाने तरीके से। उन्होंने कहाकि यदि करदाता अपनी संबंधित उत्पादक गतिविधियों में वृद्धि करना जारी रखते हैं, तो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद और राजस्व संग्रह दोनों में वृद्धि जारी रहेगी। हाल के वर्ष में अनेक कर सुधारों जैसे बार-बार अपीलों से बचने केलिए मुकद्मेबाजी के पर ध्यान केंद्रित करने, फेसलैस रेजीम और करदाताओं को अपनाने के चार्टर की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि मेरा दृढ़ विश्वास है कि करदाताओं और कर लेने वालों केबीच बातचीत में विश्वास, पारदर्शिता और आपसी सम्मान की भावना होनी चाहिए। वेंकैया नायडू ने करों को न केवल सरकार केलिए राजस्व का एक स्रोत बताया, बल्कि वांछित सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने और आनेवाले वर्षों में खुशहाल समाज केलिए एक प्रभावी साधन भी कहा।
वेंकैया नायडु ने भारत केलिए प्रधानमंत्री के विजन @ 100 की चर्चा करते हुए सभीसे आनेवाले वर्षों में भारत को एक विकसित, समृद्ध और खुशहाल समाज बनाने केलिए काम करने की अपील की। युवा अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों से अभिभूत न होने का आह्वान करते हुए वह चाहते थेकि वे दुनियाभर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों से परामर्श और ज्ञान लेकर समाधान खोजने में माहिर हों। उपराष्ट्रपति ने न केवल राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने में, बल्कि राष्ट्रों के समूह में इसकी गरिमा को बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने केलिए प्रशासनिक अधिकारियों की उल्लेखनीय भूमिका की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि प्रशिक्षण पूरा करनेवाले अधिकारी अपने व्यक्तिगत करियर में सेवा की समान भावना और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण रखेंगे। उन्होंने कहाकि यह उनकी दक्षता बढ़ाने और उन लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समृद्ध करने केलिए महत्वपूर्ण है, जिनकी वे सेवा करेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कर प्रशासन की समकालीन और भविष्य की जरूरतों के अनुसार अधिकारियों को प्रशिक्षण देने केलिए एनएडीटी के अधिकारियों और संकाय की सराहना की। उन्होंने इस वर्ष अबतक का सबसे अधिक आयकर संग्रह सुनिश्चित करने केलिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को बधाई दी। उन्होंने कहाकि परिवर्तन कभी भी आसान नहीं होते हैं, लेकिन बोर्ड ने अबतक इस कट्टरपंथी नागरिक मित्रवत पहल को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है और समय केसाथ यकीन हैकि यह सब औरभी बेहतर हो जाएगा। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल, भगतसिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत, सीबीडीटी के अध्यक्ष जेबी महापात्र, एनएडीटी पीआर डीजी प्रवीण कुमार, एनएडीटी के एडीजी (इंडक्शन) बी वेंकटेश्वर राव, एडीजी (योजना एवं अनुसंधान) डॉ विनय कुमार सिंह, पाठ्यक्रम निदेशक ऋषि बिशन और आईआरएस के 74वें बैच के अधिकारी उपस्थित थे।