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Monday 2 May 2022 01:11:15 PM
नई दिल्ली। भारत और संयुक्त अरब अमीरात व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता आधिकारिक रूपसे लागू हो गया है। इस समझौता ज्ञापन पर 18 फरवरी 2022 को दोनों देशों की ओर से हस्ताक्षर किए गए थे। वाणिज्य विभाग के सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने न्यू कस्टम्स हाउस दिल्ली में समारोहपूर्वक भारत-यूएई सीईपीए केतहत भारत से संयुक्त अरब अमीरात केलिए आभूषण उत्पादों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने एक प्रतीकात्मक संकेत में रत्न और आभूषण क्षेत्र के तीन निर्यातकों को मूल प्रमाणपत्र भी सौंपा। वाणिज्य सचिव ने कहाकि खेप पर अब इस समझौते केतहत शून्य सीमा शुल्क लगेगा और खेप दुबई पहुंच चुकी है। उन्होंने बतायाकि रत्न और आभूषण क्षेत्र का यूएई को भारत से होनेवाली निर्यात में एक बड़ा योगदान होता है, यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे भारत-यूएई सीईपीए केतहत भारतीय उत्पादों केलिए प्राप्त शुल्क रियायतों से काफी लाभ होने की उम्मीद है।
वाणिज्य सचिव ने कहाकि भारत को अपनी 97 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर यूएई से प्रदान की जानेवाली तरजीही बाजार पहुंच से लाभ होगा, जो विशेष रूपसे श्रम-व्यापक क्षेत्रों जैसे-रत्न और आभूषण, वस्त्र, चमड़े, जूते-चप्पल, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि, लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल से से मूल्य के संदर्भ में यूएई को 99 प्रतिषत निर्यात करता है। सेवाओं में व्यापार के संबंध में भारतीय सेवा प्रदाताओं की 11 व्यापक सेवा क्षेत्रों के लगभग 111 उप-क्षेत्रों तक पहुंच में वृद्धि होगी। सीईपीए से पांच वर्ष के भीतर माल में द्विपक्षीय व्यापार के कुल मूल्य को 100 अरब डॉलर और सेवाओं में व्यापार को 15 अरब डॉलर से अधिक तक बढ़ने की उम्मीद है। वाणिज्य सचिव ने कहाकि दोनों देशों में रणनीतिक साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं और यह समझौता एक ट्रेंडसेटर है, क्योंकि बहुत कम समय में इसे लागू कर दिया गया है।
बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहाकि हालांकि समझौते में 100 अरब डॉलर के व्यापार के लक्ष्य की कल्पना की गई थी, भारत के बाजार के आकार और यूएई भारत को जो पहुंच प्रदान करेगा, उसे देखते हुए बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। वाणिज्य सचिव ने कहाकि यह समझौता दोनों देशों के राजनेताओं के दृष्टिकोण का परिणाम है, भारत केलिए यूएई दुनिया का प्रवेश द्वार होगा। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों के प्रतिस्पर्धी होने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहाकि हमारी क्षमताओं को बनाने और बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि सरकार रसद लागत को कम करने पर काम कर रही है, ताकि दूरदराज के उत्पादों को भी प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। वाणिज्य सचिव ने बताया कि भारत अन्य पूरक अर्थव्यवस्थाओं केसाथ बहुत तेजगति से व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है और ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय संघ से भी बातचीत चल रही है।
वाणिज्य सचिव ने इस तरह के व्यापार समझौतों के लाभों को आम आदमी की भाषा में निर्यातक समुदाय को संप्रेषित करने की जरूरत बताई, ताकि वे समझौते के प्रावधानों को समझ सकें और इनका सर्वोत्तम संभव उपयोग कर सकें। उन्होंने बाजार आसूचना और डेटा विश्लेषण पर प्रकाश डाला और निर्यातकों से मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने बतायाकि पिछले वित्तवर्ष के दौरान 670 अरब डॉलर का निर्यात (वस्तु और सेवा) हुआ, जो सकल घरेलू उत्पाद का 22.23 प्रतिशत था, निर्यात हर अर्थव्यवस्था में विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन है और दुनिया भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूपमें देखती है। सचिव ने कहाकि हम अगले 25 वर्ष में 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे, वाणिज्य विभाग इसके लिए तैयार होने और व्यापार को बढ़ावा देने पर ध्यान देने केसाथ कल की चुनौतियों का सामना करने केलिए खुद को मजबूत कर रहा है। विदेश व्यापार के महानिदेशक संतोषकुमार सारंगी, मुख्य सीमा शुल्क आयुक्त सुरजीत भुजबल, सीमा शुल्क आयुक्त संजय बंसल, वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग/ निर्यातक समुदाय और मीडिया प्रतिनिधियों ने समारोह में भाग लिया।