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Thursday 5 May 2022 05:28:13 PM
मुंबई। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा हैकि एक सॉफ्ट पावर के रूपमें सिनेमा राष्ट्र के ब्रांडिंग के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। मुंबई में दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहाकि भारतीय फिल्म उद्योग और सरकार आज उच्चतम स्तर पर संस्कृति की क्षमता को पहचानते हैं और किसीभी देश की सॉफ्ट पावर में अपनी संस्कृति का चित्रण एक बहुत ही मजबूत घटक होता है। अनुराग ठाकुर ने कहाकि वैश्विक बाज़ार में खुद को आकर्षक बनाने केलिए किसी राष्ट्र की वैचारिक क्षमताएं समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण पहलू बन गईं है। उन्होंने कहाकि सिनेमा राष्ट्र की ब्रांडिंग के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
अनुराग ठाकुर का कहना थाकि तेजीसे हुए उदारीकरण, नियंत्रण में छूट, मीडिया और संस्कृति के निजीकरण ने कुछ दशक में भारतीय फिल्म उद्योग को बदल दिया है, साथही वैश्विक डिजिटल मीडिया उद्योगों और वितरण प्रौद्योगिकियों के विस्तार ने भारतीय मनोरंजन चैनलों और फिल्में का वैश्विक मीडिया में अधिक से अधिक उपस्थिति और दृश्यता सुनिश्चित की है। विश्व मानचित्र पर भारतीय सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता पर अनुराग ठाकुर ने कहाकि आज हिंदी फिल्में दुनियाभर में एकसाथ रिलीज होती हैं जिससे इसके सितारे चेहरे अंतर्राष्ट्रीय विज्ञापन और मनोरंजन क्षेत्र में पहचान पाते हैं। उन्होंने कहाकि यहां तककि दूर-दराज के अफ्रीकी देश भी हमारी फिल्मों और संगीत से मोहित हैं। उन्होंने कहाकि हम नाइजीरिया जैसे देशों के बारेमें जानते हैं, जहां का नॉलिवुड बाजार भारतीय सिनेमा से बहुत प्रेरणा लेता है, बॉलीवुड ने लैटिन अमेरिका जैसे अज्ञात देशों मेभी विस्तार किया है तथा हमारा सिनेमा दक्षिण कोरिया, जापान, चीन जैसे देशों में भी पैठ बना रहा है।
अनुराग ठाकुर ने भारतीय भाषाई सिनेमा की निभाई जा रही भूमिका पर भी जोर दिया और कहाकि सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं, बल्कि भारतीय भाषाओं की फिल्मों को भी अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तरपर व्यापक दर्शक मिल रहे हैं। लोक कूटनीति में फिल्म उद्योग की भूमिका केबारे में बोलते अनुराग ठाकुर ने कहाकि विश्वभर मैं फैले भारतीय मूल के लोगों में खूब लोकप्रिय सिनेमा के वैश्वीकरण से इसमें मदद मिल सकती है। उन्होंने कहाकि हमें भारत को ब्रांड बनाने केलिए सामग्री तैयार करने और देश को दुनिया का सामग्री उपमहाद्वीप बनाने केलिए हमें फिल्म बिरादरी और भारत की ताकत का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। विदेशी भाषाओं में सब टाइटल को संस्थागत बनाने की आवश्यकता पर आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहाकि देश के विभिन्न हिस्सों से 95 से अधिक प्रतिनिधियों ने संगोष्ठी में भाग लिया, जिसमें भारतीय सिनेमा और उसकी सॉफ्ट पावर के आइडिया पर शायद पहलीबार चर्चा की गई।
विनय सहस्रबुद्धे ने दुनियाभर में भारतीय फिल्मों की पहुंच बढ़ाने केलिए विदेशी भाषाओं में भारतीय फिल्मों के उपशीर्षक केलिए संस्थागत व्यवस्था करने की वकालत की विशेष रूपसे उन देशों की भाषाओं में जहां भारत का सांस्कृतिक प्रभाव मजबूत है जैसे-म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान आदि। उन्होंने बतायाकि आईसीसीआर भारत में विदेशी भाषा के प्रशिक्षण और सॉफ्ट पावर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा। विनय सहस्रबुद्धे ने कहाकि हम अपने भाषाई सिनेमा को उन प्रवासी भारतीयों केलिए पेश कर सकते हैं, जो पीछे छोड़ गए अपनी संस्कृति के बारेमें उदासीन हैं। उन्होंने राय दीकि 'सॉफ्ट पावर प्रमोशन फ्रेंडली फिल्म्स’ की फिल्म अवॉर्ड्स में एक श्रेणी बनाई जा सकती है, वे फिल्में जो भारत के बारे में व्यापक और सही समझ को दिखाती हैं, उन्हें इस श्रेणी केतहत पुरस्कृत किया जा सकता है। आईसीसीआर और फ्लेम यूनिवर्सिटी पुणे की संयुक्त संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से लगभग 95 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय सिनेकारों और सिनेमा के विद्वानों को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा केलिए एकसाथ लाना था और समकालीन प्रासंगिक विषयों पर विचार-विमर्श करना था। प्रख्यात फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने संगोष्ठी का उद्घाटन किया था। प्रख्यात फिल्मी हस्तियों जैसे सुभाष घई, रूपा गांगुली, भारत बाला, अंबरीश मिश्रा, अरुणाराजे पाटिल, अशोक राणे, मीनाक्षी शेडे, मनोज मुंतशिर, परेश रावल और जीपी विजय कुमार ने विभिन्न तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता की।