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Friday 6 May 2022 02:24:47 PM
नई दिल्ली/ श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक परिसीमन का कार्य पूर्ण हो चुका है। जम्मू और कश्मीर में अब सात नए विधानसभा क्षेत्र बढ़ाते हुए 90 विधानसभा क्षेत्र हो जाएंगे। लोकसभा क्षेत्रों का भी परिसीमन हुआ है। परिसीमन आयोग ने राज्य में पहलीबार अनुसूचित जनजातियों केलिए सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र प्रस्तावित किए हैं, कश्मीरी पंडितों एक पुरुष और एक महिला के मनोनयन केलिए भी दो विधानसभा सीटें आरक्षित करने की सिफारिश की गई है। परिसीमन आदेश को अंतिम रूप देने केलिए कल बैठक हुई, जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई, परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य सुशील चंद्रा (मुख्य चुनाव आयुक्त) और केके शर्मा (राज्य चुनाव आयुक्त केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर) प्रमुख रूपसे शामिल हुए। इसकी राजपत्र अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी गई है। परिसीमन आदेश केंद्र सरकार की अधिसूचित तिथि से लागू हो जाएंगे। परिसीमन अधिनियम-2002 की धारा 9(1)(ए) तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 की धारा 60(2)(बी) के अनुसार 90 विधानसभा क्षेत्रों मेसे 43 क्षेत्र जम्मू का हिस्सा होंगे और 47 कश्मीर घाटी क्षेत्र का हिस्सा होंगे। इसीके साथ राज्य में जल्द चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की चर्चा शुरू हो गई है।
जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग ने सहयोगी सदस्यों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिकों, नागरिक समाज समूहों के परामर्श केबाद 9 विधानसभा क्षेत्र एसटी केलिए आरक्षित किए गए हैं, जिनमें से 6 जम्मू क्षेत्रमें और 3 विधानसभा क्षेत्र कश्मीर घाटी में हैं। क्षेत्रमें पांच संसदीय क्षेत्र हैं। परिसीमन आयोग ने जम्मू और कश्मीर क्षेत्र को एक एकल केंद्रशासित प्रदेश के रूपमें माना है, इसलिए घाटी में अनंतनाग क्षेत्र और जम्मू क्षेत्र के राजौरी तथा पुंछ को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया है। इस पुनर्गठन केबाद प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में समान संख्या में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र होंगे। प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्रमें 18 विधानसभा क्षेत्र होंगे। स्थानीय प्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ विधानसभा क्षेत्रों केनाम भी बदले गए हैं। गौरतलब हैकि भारत सरकार ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से परिसीमन अधिनियम-2002 (2002 का 33) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए परिसीमन आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपने काम केलिए जम्मू और कश्मीर से निर्वाचित लोकसभा के पांच सदस्यों को जोड़ा था, इन सहायक सदस्यों को लोकसभा के अध्यक्ष ने नामित किया था।
परिसीमन आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 (2019 का 34) के भाग-V एवं परिसीमन अधिनियम-2002 (2002 का 33) के प्रावधानों के अनुरूप जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का काम सौंपा गया था। संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों (अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332) तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 14 की उप-धारा (6) और (7) को ध्यान में रखते हुए जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों केलिए आरक्षित की जाने वाली सीटों की संख्या की गणना 2011 की जनगणना के आधार पर की गई है। तदनुसार परिसीमन आयोग ने पहलीबार एसटी केलिए 9 विधानसभा क्षेत्र और एससी केलिए 7 विधानसभा क्षेत्र आरक्षित किए हैं। उल्लेखनीय हैकि तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान ने विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों केलिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 तथा परिसीमन अधिनियम-2002 ने सामान्य मानदंड निर्धारित किए थे, जिनके भीतर ये परिसीमन कार्य पूरे किए जाने थे।
परिसीमन आयोग ने हालांकि सुचारू कामकाज और प्रभावी परिणामों केलिए जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन केलिए दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली तैयार की एवं परिसीमन प्रक्रिया के दौरान इनका पालन किया गया। परिसीमन अधिनियम-2002 की धारा 9(1) में वर्णित विभिन्न कारकों के रूपमें भौगोलिक विशेषताओं, संचार के साधनों, सार्वजनिक सुविधा, क्षेत्रों की निकटता आदि एवं आयोग के 6 से 9 जुलाई 2021 तक यूटी की यात्रा के दौरान एकत्रित इनपुट को ध्यान में रखते हुए आयोग ने सभी 20 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया, अर्थात मुख्य रूपसे पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों वाले जिले, पहाड़ी और समतल क्षेत्रों वाले जिले और मुख्य रूपसे समतल क्षेत्रों वाले जिले। आयोग ने जिलों केलिए निर्वाचन क्षेत्रों के आवंटन का प्रस्ताव करते हुए प्रति विधानसभा क्षेत्रमें औसत आबादी के +/- 10 प्रतिशत अंतर को ध्यान में रखा है। आयोग ने कुछ जिलों केलिए एक अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्र बनाने का भी प्रस्ताव किया है, ताकि अपर्याप्त संचार वाले भौगोलिक क्षेत्रों, अत्यधिक दुर्गम परिस्थितियों के कारण सार्वजनिक सुविधाओं की कमीवाले क्षेत्रों या अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर निवास योग्य परिस्थितियों के अभाव वाले क्षेत्रों केलिए प्रतिनिधित्व को संतुलित किया जा सके।
परिसीमन आयोग ने निर्णय लिया थाकि परिसीमन प्रशासनिक इकाइयों यानी जिलों, तहसीलों, पटवार मंडलों आदि को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा जो 15-06-2020 को अस्तित्व में थे और आयोग ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में परिसीमन पूरा होने तक प्रशासनिक इकाइयों जैसे वे 15-06-2020 तक मौजूद थे में फेरबदल न करने केलिए यूटी प्रशासन को सूचित किया था। आयोग ने सुनिश्चित किया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से एक जिले में समाहित होगा और सबसे निचली प्रशासनिक इकाई यानी पटवार मंडल (जम्मू नगर निगम में वार्ड)को बांटा नहीं गया तथा उन्हें एक विधानसभा क्षेत्र में रखा गया। परिसीमन आयोग ने विधानसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों केलिए आरक्षित सीटों की पहचान करने और इन समुदायों केलिए आरक्षित सीटों का पता लगाने में जहांतक संभव हो सका अत्यधिक सावधानी बरती है। उन क्षेत्रों का चयन किया गया, जहांउनकी जनसंख्या का अनुपात कुल जनसंख्या की तुलना में सबसे अधिक है, इसके लिए प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आबादी के प्रतिशत की गणना करके और उन्हें अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया तथा इस प्रकार आवश्यक संख्या में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की गई।
जम्मू और श्रीनगर के राजधानी शहरों में क्रमशः 4 और 5 अप्रैल 2022 को सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों, जनप्रतिनिधियों, राजनीतिक नेताओं और अन्य हितधारकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिला। सार्वजनिक सूचना के जवाब में आपत्ति एवं सुझाव दाखिल करने वाले सभी लोगों की बातों को विशेष रूपसे सुना गया। सार्वजनिक बैठकों के दौरान लिखित या मौखिक रूपसे दिए गए जनता के सभी सुझावों और विभिन्न हितधारकों के अभ्यावेदनों को आयोग के सचिवालय द्वारा सारणीबद्ध किया गया था। परिसीमन आयोग ने सभी सुझावों की जांच केलिए आंतरिक बैठकों का अंतिम दौर आयोजित किया और मसौदा प्रस्तावों में किए जानेवाले बदलावों पर निर्णय लिया। अधिकांश अभ्यावेदनों में व्यक्त जनभावना को देखते हुए प्रस्तावित निर्वाचन क्षेत्रोंके नामों में परिवर्तन को आयोग द्वारा स्वीकार किया गया। बदले जाने वाले नामों में शामिल हैं-तांगमर्ग-एसी का नाम गुलमर्ग-एसी, ज़ूनीमार-एसी का नाम जैदीबल-एसी, सोनवार-एसी का नाम लालचौक-एसी, पैडर-एसी का नाम पैडर-नागसेनी-एसी, कठुआ नॉर्थ-एसी का नाम जसरोटा-एसी, कठुआ-साउथ एसी का नाम कठुआ एसी, खुर-एसी का नाम छंब-एसी, महोर-एसी का नाम गुलाबगढ़-एसी, दरहाल-एसी का नाम बुधल-एसी आदि।
परिसीमन आयोग के अनुसार इनके अलावा तहसीलों को एक विधानसभा से दूसरे विधानसभा में स्थानांतरित करने से संबंधित कई अभ्यावेदन आए थे, इनमें से कुछ अभ्यावेदनों को आयोग ने तार्किक पाया और इन्हें स्वीकार कर लिया जैसे-श्रीगुफवाड़ा तहसील को पहलगाम-एसी से बिजबेहरा-एसी में स्थानांतरित करना, क्वारहामा और कुंजर तहसीलों को गुलमर्ग-एसी में स्थानांतरित करना और वगूरा-करेरी-एसी में मौजूद करीरी और खोई तहसीलों की सीमाओं को फिरसे तैयार करना तथा वागूरा और तंगमर्ग तहसीलों के हिस्से को भी फिरसे तैयार करना, दारहल-तहसील को बुढल एसी से थन्नमंडी-एसी में स्थानांतरित करना। इनके अतिरिक्त प्रस्तावित विधानसभा के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में मामूली बदलाव केलिए कुछ अनुरोध थे, जिनका आयोग में पूरी तरह से विश्लेषण किया गया था और उनमें से कुछ जो तार्किक थे, उनको अंतिम आदेश में शामिल किया गया है। जम्मू और कश्मीर में विधानसभा एवं संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। आयोग ने दो बार केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का दौरा किया, पहली यात्रा पर आयोग ने चार स्थान श्रीनगर, पहलगाम, किश्तवाड़ और जम्मू में लगभग 242 प्रतिनिधिमंडलों केसाथ बातचीत की।
परिसीमन आयोग की दूसरी जम्मू और कश्मीर यात्रा के दौरान जम्मू तथा श्रीनगर में क्रमशः 4 और 5 अप्रैल 2022 को आयोजित सार्वजनिक बैठकों में लगभग 1600 लोगों ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। केंद्रशासित प्रदेश के भू-सांस्कृतिक परिदृश्य ने अनूठे मुद्दों को प्रस्तुत किया जैसे-भौगोलिक और सांस्कृतिक रूपसे अलग जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धी राजनीतिक आकांक्षाएं, जिलों केबीच जनसंख्या घनत्व में भारी अंतर, एक तरफ घाटी-मैदानी जिलों में 3436 प्रतिवर्ग किलोमीटर तो मुख्य रूपसे पहाड़ी और दुर्गम जिलों में केवल 29 प्रतिवर्ग किलोमीटर, कुछ जिलों के भीतर उप-क्षेत्रों का अस्तित्व, जहां असाधारण भौगोलिक बाधाओं के कारण अंतर-जिला संपर्क अत्यंत कठिन है, कुछ क्षेत्र सर्दियों के दौरान पर्वतीय दर्रों को अवरुद्ध करने वाली बर्फ के कारण कुछ महीनों तक पूरी तरह से कट जाते हैं, जीवन की अनिश्चितता और सीमावर्ती जिलों में अकारण रुक-रुक कर होने वाली गोलीबारी या गोलाबारी की संभावना वाले अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे गांवों में कनेक्टिविटी और सार्वजनिक सुविधाओं की अपर्याप्त उपलब्धता आदि।
जम्मू और कश्मीर में असमान परिस्थितियों में रहने वाली आबादी ने लोकतांत्रिक अधिकारों के न्यायसंगत प्रयोग के इन प्रतिस्पर्धी दावों को यूटी के सभी विविध क्षेत्रों की ओर से राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और व्यक्तियों के साथ-साथ मीडिया ने अच्छी तरह से व्यक्त किया था, जिन्होंने आयोग के समक्ष गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की और दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के लोगों ने पोषित लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में तथा उपयुक्त निर्वाचन क्षेत्रों को तैयार करके एक निष्पक्ष और मजबूत ढांचा प्रदान करने में योगदान दिया, ताकि विविध परिस्थितियों में रहने वाले मतदाता समान रूपसे एवं सुविधाजनक तरीके से मताधिकार के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें। ऐसे सभी परिवर्तनों को शामिल करने केबाद अंतिम आदेश भारत सरकार के साथ-साथ केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। अंतिम आदेश प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी प्रकाशित किया जाता है एवं इसे आयोग तथा सीईओ, जम्मू और कश्मीर की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है।
परिसीमन आयोग को जन सुनवाई के दौरान कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों के भी कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे। कश्मीरी प्रवासियों के प्रतिनिधिमंडलों ने आयोग के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत कियाकि उन्हें उत्पीड़ित किया गया, तीन दशक से अपने ही देश में शरणार्थी के रूपमें और निर्वासन में रहने केलिए मजबूर किया गया। यह आग्रह भी किया गयाकि उनके राजनीतिक अधिकारों की रक्षा केलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा और संसद में उनके लिए सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। पीओजेके के विस्थापित व्यक्तियों ने भी आयोग से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उनके लिए कुछ सीटें आरक्षित करने का अनुरोध किया। तदनुसार परिसीमन आयोग ने केंद्र सरकार को सिफारिशें कीं हैं-विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से कम से कम दो सदस्यों (उनमें से एक महिला होनी चाहिए) का प्रावधान और ऐसे सदस्यों को केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी की विधानसभा के मनोनीत सदस्यों की शक्ति के समान शक्ति दी जा सकती है। केंद्र सरकार पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों के प्रतिनिधियों के नामांकन के माध्यम से पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों को जम्मू और कश्मीर विधानसभा में कुछ प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर सकती है।
पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य से जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश को संसद द्वारा पारित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 (2019 का 34) के माध्यम से गठित किया गया था। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान तथा जम्मू और कश्मीर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1957 द्वारा शासित था। पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों का अंतिम रूपसे परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार 1995 में किया गया था। जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद भारत सरकार का यह सबसे बड़ा कदम है, जिससे जम्मू और कश्मीर की राजनीतिक आर्थिक भौगोलिक और शिक्षा एवं सामाजिक स्थिति में ऐतिहासिक परिवर्तन देखने को मिलेगा। इससे यहां की राजनीतिक स्थिति में बड़ा फेरबदल देखने को मिलेगा, जिसमें अलगाववादी गुटों के नेताओं को मुंहकी खानी पड़ेगी। इस परिसीमन से पाक प्रायोजित आतंकवाद पर तगड़ा प्रहार होगा और जो लोग जम्मू और कश्मीर की मुख्यधारा में आने से झिझक रहे हैं, उनके उज्जवल भविष्य के रास्ते खुलने जा रहे हैं।