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बाबा बंदासिंह बहादुर शहीद स्मारक पोस्टर

'बाबा बंदासिंह बहादुर मुगलों को हराने वाले महान योद्धा थे'

संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने जारी किया पोस्टर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 4 June 2022 06:06:05 PM

baba bandasingh bahadur martyr memorial poster released

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के एक समारोह में 9 जून को बाबा बंदासिंह बहादुर के 306वें बलिदान दिवस से पहले ‘बाबा बंदासिंह बहादुर शहीद स्मारक पोस्टर’ का विमोचन किया। संस्कृति राज्यमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि बाबा बंदासिंह बहादुर अवश्य ही बहुत साहसी रहे होंगे, लेकिन उस वक्त उनके बेटे की प्रशासन द्वारा हत्या किए जानेके बावजूद उन्होंने खुद को शांत रखा। उन्होंने कहाकि धर्म की रक्षा करने केलिए उनके बलिदान को निश्चित रूपसे सर्वोच्च सम्मान केसाथ देखा जाना चाहिए।
संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहाकि महरौली में बाबा बंदासिंह बहादुर के शहीद स्मारक को एएसआई केतहत राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की एनएमए की मांग प्रधानमंत्री के समक्ष ले जाई जाएगी और संस्कृति मंत्रालय इस मांग को पूरा करने केलिए हर संभव कार्य करेगा। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। तरुण विजय ने खुलासा कियाकि उन्होंने तथा सदस्य हेमराज कामदार (गुजरात) ने मेहरौली में महान सिखयोद्धा बाबा बंदासिंह बहादुर के शहीद स्मारक के बारेमें जानकारी देने केलिए केंद्रीय पर्यटन तथा संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात की। जी किशन रेड्डी ने इस कदम की सराहना की तथा मंत्रालय से सहायता का आश्वासन दिया। गौरतलब हैकि बाबा बंदासिंह बहादुर भारत की रक्षा करने तथा मुगलों को हराने वाले एक महान योद्धा थे, उनका मूल नाम बाबा माधवदास था तथा वह एक बैरागी साधु थे।
बाबा बंदासिंह बहादुर का उद्देश्य राष्ट्रीय जागृति फैलाना तथा मुगलों के उत्पीड़क शासन से देश को मुक्त कराना था। हालांकि भारत में स्वतंत्रता बहुत बादमें आई, लेकिन बाबा बंदासिंह बहादुर ने ही पहलीबार भारतीयों को लड़ना, जीतना तथा अपना स्वतंत्र शासन स्थापित करना सिखाया। बाबा बंदासिंह बहादुर और उनके पुत्र अजय सिंह 9 जून 1716 ईस्वी को अपने अन्य 18 साथियों केसाथ तथाकथित सूफी संत कुतुब-उद-दीन बख्तियार काकी की कब्र के रास्ते पर शहीद हो गए थे। कसाइयों ने सबसे पहले उनके पुत्र अजय सिंह को उनकी गोद में मार डाला, लेकिन बाबा बंदासिंह बहादुर अडिग बने रहे तथा शांत स्थिति में बैठे रहे। उसके बाद बाबा बंदासिंह बहादुर की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई। उनकी महान शहादत गुरुग्रंथ साहिब में भगत कबीर के प्रति समर्पण की पुष्टि करती है।

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