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गीता प्रेस की विदेशों में शाखा खोलने की योजना

'गीता प्रेस ने आध्यात्मिक व सांस्कृतिक ज्ञान जन-जन तक पहुंचाया'

गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में शामिल हुए राष्ट्रपति

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Sunday 5 June 2022 01:22:14 PM

president ramnath kovind and cm yogi at gita press

गोरखपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा हैकि गीता प्रेस ने अपने प्रकाशनों के माध्यम से भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहाकि गीता प्रेस की स्थापना के पीछे का उद्देश्य गीता को शुद्ध रूपमें सही अर्थ के साथ और कम कीमत पर जनता को उपलब्ध कराना था, जो उस समय आसानी से उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने कहाकि यह हम सभीके लिए बड़े गर्व की बात हैकि कोलकाता से शुरू की गई एक छोटी सी पहल अब पूरे भारत में अपने काम केलिए जानी जाती है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि श्रीमद्भागवद गीता के अलावा गीता प्रेस रामायण, पुराण, उपनिषद, भक्त-चरित्र आदि पुस्तकों का प्रकाशन करती है, इसने अबतक 70 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित करके एक कीर्तिमान बनाया है और इसे हिंदू धार्मिक पुस्तकों का दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाशक होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद जनता को सस्ते दामों पर धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध कराने केलिए गीता प्रेस की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहाकि गीता प्रेस की 'कल्याण' पत्रिका का आध्यात्मिक दृष्टि से संग्रहणीय साहित्य के रूपमें खास स्थान है, यह संभवतः गीता प्रेस के सबसे प्रसिद्ध प्रकाशनों में से एक है और ये भारत में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली धार्मिक पत्रिका है। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि गीता प्रेस के 1850 वर्तमान प्रकाशनों में से लगभग 760 प्रकाशन संस्कृत और हिंदी में हैं, लेकिन बाकी प्रकाशन अन्य भाषाओं जैसे-गुजराती, मराठी, तेलुगु, बंगाली, उड़िया, तमिल, कन्नड़, असमिया, मलयालम, नेपाली, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी में हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि यह हमारी भारतीय संस्कृति की अनेकता में एकता को दर्शाता है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि भारतीय संस्कृति का धार्मिक और आध्यात्मिक आधार पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक एक ही है। गीता प्रेस की विदेशों में शाखाएं स्थापित करने की योजना की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त कीकि इस विस्तार से भारत की संस्कृति और दर्शन से पूरी दुनिया लाभांवित होगी। उन्होंने गीता प्रेस से विदेशों में रहनेवाले प्रवासी भारतीयों केसाथ अपने संबंधों को बढ़ाने का आग्रह किया, क्योंकि वे भारतीय संस्कृति के संदेशवाहक हैं, जो दुनिया को भारत से जोड़ते हैं।

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