Friday 10 June 2022 05:03:17 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली। देश का टीवी मीडिया आज जुमे की नमाज़ के बाद दिनभर देश-दुनिया को देशमें जहां-तहां 'राष्ट्रवादी मुसलमानों' की अराजक पत्थरबाजी, हिंसक उपद्रव, काजियों, मौलानाओं, मुफ्तियों और इमामों की शांति के नाम पर हेट तकरीरें और ज़हरीले कमेंट सुनाता दिखाता रहा। उपद्रवियों की भी हद यहां तक हुई है कि तेलंगाना राज्य के महमूदनगर में इस्लामिक चरमपंथियों ने सीधे-सीधे देश के खिलाफ खुला विद्रोह किया और भारतीय ध्वज तिरंगे में चक्र को हटाकर उसमें कलमा लिखकर उसे लहराकर अपमान किया, 'राष्ट्रवादी मुसलमान' देशविरोधी और धार्मिक जेहादी नारे लगाते रहे। टीवी चैनलों के अधिकांश रिपोर्टरों की दिलचस्पी पत्थरबाजी हिंसा को हतोत्साहित करने में कम थी, बल्कि काजियों, मौलानाओं, मुफ्तियों और इमामों के कमेंट लेने में ज्यादा थी। टीवी एंकर अपनी टीआरपी बढ़ाने के जतन में लगे थे, हर उपद्रव को अपनी ब्रेकिंग ख़बर बनाते रहे। कहने वालों का कहना हैकि अपवाद को छोड़कर टीवी मीडिया देशमें जिन विघटनकारी सांप्रदायिक और देशविरोधी अभियानों और विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने वालों के कृत्य दिखा रहा है, वास्तव में वह देश-दुनिया को दिखाकर उनका देशविरोधी हौसला ही बढ़ा रहा है।
मीडिया चैनल 'हदीस' में पैगम्बर के बारे में लिखी गई उस बात पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं, वह तो नूपुर शर्मा को उसकी हेटस्पीच बताकर उसकी निंदा करके उसको ही उछाल रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि नूपुर शर्मा देशभर के इस्लामिक कट्टरपंथियों, हिंसक पत्थरबाजों के निशाने पर रही, यहां तककि कहीं उसके पुतले को फांसी पर लटकाया गया, कहीं उसका सिर कलम किया गया, कहीं उसको फांसी देने के पोस्टर लगाए गए और कहीं उसे भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं। हद हुई कि आज हैदराबाद में जिसवक्त जिस मक्का मस्जिद में ईरान के विदेशमंत्री नमाज पढ़ रहे थे, उस मस्जिद के बाहर पत्थरबाज़ इस्लामिक चरमपंथी पुलिस और जनसामान्य पर पत्थरबाजी कर रहे थे। अनेक नामधारी टीवी समाचार चैनल को देखा जाए तो वह अपनी डिबेट और समाचारों में इस्लामिक उपद्रवियों एवं उनके आकाओं के लाइव इंटरव्यू एवं उपद्रव दिखाकर पूरी दुनिया में यही स्थापित कर रहे हैंकि भारत में मुसलमानों केसाथ बुरा हो रहा है। किसीभी टीवी चैनल ने और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी हदीस के वह विवादित अंश देश-दुनिया को दिखाने की कोशिश नहीं की, जिनका टीवी चैनल पर संदर्भ लेने कारण नूपुर शर्मा को मुसलमानों में सजाए मौत सुनाई जा रही है। मीडिया में हिंसा की खबरों और डिबेट के अलावा ऐसा कोई उल्लेखनीय प्रयास नहीं दिख रहा, जिसमें उपद्रवियों से जूझते हुए पुलिस और प्रशासन को शांति स्थापना में भी सहयोग किया जा रहा है।
नूपुर शर्मा के उस कथन को वापस लेने और माफी मांगने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व, भारत सरकार और उसका मीडिया मैनेजमेंट भी इस मामले को हैंडल करने में पूरी तरह विफल दिख रहा है। भाजपा ने अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ तथ्यों के विपरीत जाकर एक्शन लिया है, उसके बाद तो भाजपा नेताओं के मुंह में मानों बर्फ जम गई है। भाजपा को हदीस के वे अंश तुरंत देश-दुनिया के सामने रख देने चाहिएं थे, जो नूपुर शर्मा ने शिवलिंग का निरंतर अपमान कर रहे उस मुल्ला के सामने रखे थे। टीवी चैनल हदीस के उस हिस्से को सच और प्रमाण के रूपमें सार्वजनिक करने से पीछे हट गए क्यों? आखिर नूपुर शर्मा का मोर्चा सोशल मीडिया और देशके जनमानस ने संभाला है। संघ से लेकर भाजपा तक ने जिस भी रणनीति के तहत नूपुर शर्मा का साथ छोड़ा है, मगर संदेश साफ गया है कि भारत के भीतर और बाहर विघटनकारी हिंसक साम्प्रदायिक शक्तियों को नूपुर शर्मा के बहाने ज़हर घोलने का पूरा मौका मिला है। भारत की जनता के पास भाजपा के साथ चलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है, इस बात को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अच्छी तरह भुनाता आ रहा है और अपनी गलतियों पर परदा डालकर अपने कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराता आ रहा है या उनके मरने-कटने का इंतजार करता है। पश्चिम बंगाल इसका एक सशक्त उदाहरण है, जहां भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा नेतृत्व के असहयोग के कारण उसका साथ छोड़ते जा रहे हैं।
भाजपा की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा का दोष तब था, जब उसने टीवी चैनल पर भगवान शिव का निरंतर अपमान कर रहे एक तथाकथित इस्लामिक स्कॉलर को पैगम्बर के बारे में हदीस में लिखी गई जानकारी से अलग हटकर कुछ बोला होता। भाजपा के विद्वान नेताओं ने इसके बावजूद जनसामान्य के सामने आकर यह कहने की हिम्मत नहीं कीकि नूपुर शर्मा से जवाब मांगने या उसकी निंदा करने से पहले पैगम्बर के बारे में हदीस में जो कहा गया है, उसे देखा जाए कि वह क्या है? भाजपा नेतृत्व इसी हिंदू वोट के दमपर सत्ता में है, चाहे वो उत्तर प्रदेश राज्य हो या भाजपाशासित देश के दूसरे राज्य। अगर कोई यह कह रहा है कि भाजपा को मुसलमानों ने वोट दिया है तो यह एक अपवाद हो सकता है, लेकिन भारतीय मुसलमानों के दिलों में भाजपा या हिंदुओं केलिए रत्तीभर भी जगह नज़र नहीं आती है। असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं के भाषण और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों का भाजपा के खिलाफ एकतरफा वोट करना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। भारतीय जनता पार्टी ने ऐसे ही अपने कार्यकर्ताओं की भारी उपेक्षा की है, जिसका परिणाम यह हैकि भाजपा उत्तर प्रदेश में दो सौ पचपन पर सिमट गई है। इसके लिए भाजपा किसको जिम्मेदार मानती है? जाहिर हैकि भाजपा कार्यकर्ता पूर्व की भांति अभीभी उत्तरप्रदेश में परेशान हैं, लेकिन भाजपा नेतृत्व इस सच्चाई से दूर भाग रहा है, क्योंकि हिंदू भाजपा के अलावा और जाएंगे कहां? भाजपा कार्यकर्ता ही फील्ड में साम्प्रदायिकता या अराजक तत्वों से जूझ रहे हैं और नूपुर शर्मा ने एक मुल्ला को कुछ तथ्यात्मक जवाब क्या दे दिया कि किसी रणनीति के बहाने भाजपा उसका साथ छोड़कर एक तरफ जा खड़ी हुई।
दुनिया में भारत की खराब छवि ही प्रस्तुत कर रहे हैं अधिकांश टीवी चैनल। आज मुसलमानों के जुमे के प्रदर्शन को समाचार चैनलों पर दिखाने की होड़ देखी गई और नूपुर शर्मा के खिलाफ बयानों को जमकर प्रसारित किया गया। चैनलों के संवाददाता कस्बा नगर और महानगर में इन प्रदर्शनों को जिस महिमामंडन के साथ ब्रेकिंग न्यूज़ बताकर प्रस्तुत करते रहे, उससे लगाकि इन्हें अपने राष्ट्र के शांतिपूर्ण वातावरण से कोई सरोकार नहीं है। एंकरिंग इतनी गैरजिम्मेदाराना हो चुकी है और ऐसा लगता हैकि इनके पास समाचार ही नहीं हैं और समय पास करने केलिए इनको कोई न कोई मसाला मिलता रहना चाहिए। आज दिनभर इनके पास जहां-तहां के उपद्रवियों और उनके आकाओं की लाइव बाईट दिखाने के अलावा और कुछ नहीं था। पूरी दुनिया में यह स्थापित करने की होड़ सी हैकि भारत में मुसलमानों के साथ ऐसा-वैसा हो रहा है। एंकरों के सवाल स्तरहीन, केवल उकसाने वाले और वीडियो आग में घी से कम नहीं हैं। ऐसा लगता हैकि टीवी मीडिया वास्तव में आज जिन गैरजिम्मेदाराना हाथों में है, उससे दुनिया में भारत की छवि और भी ज्यादा खराब होने से नहीं बच सकेगी। गौरतलब हैकि इन्हीं समाचार चैनलों ने निर्भया जैसे मामले को जिस अतिरेक से उछाला, उसका परिणाम यह हुआ है कि भारत दुनिया में बलात्कारियों का देश समझा जाने लगा है। नूपुर शर्मा के मामले को सावधानी से प्रस्तुत करने के बजाए इसे बवंडर बना दिया गया और ऊपर से भाजपा नेतृत्व ने नूपुर शर्मा को भाजपा से निलंबित कर साम्प्रदायिक शक्तियों को जेहादी मौका दे दिया।
जुमे की नमाज़ शक्तिप्रदर्शन का जरिया बन गई है। इसमें रही-सही कसर अनेक नामधारी टीवी चैनल पूरी कर रहे हैं। यह मीडिया का एक निराशाजनक पक्ष है, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। जहां तक इसमें भारत सरकार की भूमिका का प्रश्न है तो वह भी निराशाजनक ही दिखाई देती है। नूपुर शर्मा का पुतला बनाकर सड़क पर टांगा गया। सहारनपुर, प्रयागराज, कानपुर, बिजनौर, लखनऊ, पंजाब, पश्चिम बंगाल, रांची, मुरादाबाद, मुंबई, हैदराबाद, कोल्हापुर में जुमे पर इस्लामिक उपद्रवियों का नंगा नाच देखा गया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार उपद्रवियों से सख्ती से निपट रही है और यही एक मॉडल है, जो इन उपद्रवियों को निपटने में कारगर लग रहा है, अन्यथा जो देखने में आ रहा है और जिस मीडिया को शांति स्थापित करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए, वह टीआरपी केलिए केवल डिबेट, खबरें, विज्ञापन या कुछ लोगों केलिए पीआर स्टोरीज़ गढ़ने में लगा है। राष्ट्र के संवेदनशील मुद्दों पर अपवाद को छोड़कर इन टीवी चैनलों के एंकर अपनी अज्ञानता का कचरा फैलाने में लगे हैं सो अलग। जहां-तहां नूपुर शर्मा को उसका गला काटने की धमकी दी जा रही है और भारत सरकार मुस्लिम देशों के सामने घुटने टेककर सफाई दे रही है, उससे देश की जनता के मनोबल पर बुरा असर पड़ता दिख रहा है।