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Monday 13 June 2022 05:46:14 PM
मसूरी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने एवं भविष्य की चुनौतियों से निपटने केलिए नागरिक प्रशासन और सशस्त्र बलों की अधिक से अधिक संयुक्तता का आह्वान किया है, जो हमेशा विकसित होनेवाली वैश्विक स्थिति से उत्पन्न हो सकती हैं। रक्षामंत्री आज मसूरी में लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 28वें संयुक्त नागरिक-सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। रक्षामंत्री ने बतायाकि राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा व्यापक हो गई है, जैसाकि सैन्य हमलों से सुरक्षा के अधिक सामान्य पहलू में कई गैर-सैन्य आयाम जोड़े गए हैं। राजनाथ सिंह ने रूस-यूक्रेन की स्थिति और इसी तरह के अन्य संघर्षों को इस बात का प्रमाण बतायाकि दुनिया पारंपरिक युद्ध से कहीं अधिक चुनौतियों का सामना कर रही है। रक्षामंत्री ने कहाकि युद्ध और शांति अब दो अनन्य राज्य नहीं हैं, बल्कि एक निरंतरता है, शांति के दौरान भी कई मोर्चों पर युद्ध जारी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि पूर्ण पैमाने पर युद्ध किसी देश केलिए उतना ही घातक होता है, जितनाकि उसके दुश्मनों केलिए, इसलिए पिछले कुछ दशक में पूर्ण पैमाने पर युद्धों से बचा गया है, उनकी जगह परदे के पीछे और गैर-लड़ाकू युद्धों ने ले ली है, प्रौद्योगिकी, आपूर्ति लाइन, सूचना, ऊर्जा, व्यापार प्रणाली, वित्त प्रणाली आदि को हथियार बनाया जा रहा है, जो आनेवाले समय में हमारे खिलाफ एक हथियार के रूपमें इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि सुरक्षा चुनौतियों के इस व्यापक दायरे से निपटने केलिए लोगों के सहयोग की जरूरत है। रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ केपद के सृजन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना केसाथ नागरिक-सैन्य संयुक्तता की पूर्ण प्रक्रिया शुरू की गई है। राजनाथ सिंह ने कहाकि ये फैसले देश को भविष्य की चुनौतियों केलिए तैयार करने में मददगार साबित हो रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने केलिए उठाए गए कदमों के परिणाम सामने आने लगे हैं।
उन्होंने कहाकि अब भारत न केवल अपने सशस्त्र बलों केलिए उपकरण बना रहा है, बल्कि मित्र देशों की जरूरतों कोभी पूरा कर रहा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' के दृष्टिकोण के अनुरूप है। राजनाथ सिंह कहाकि जबतक मिश्रित खतरों से निपटने केलिए नागरिक प्रशासन और सशस्त्र बलों के साइलो को नहीं तोड़ा जाता, तबतक राष्ट्र भविष्य की चुनौतियों का जवाब देने केलिए पर्याप्त तैयारी की उम्मीद नहीं कर सकता। उन्होंने कहाकि तालमेल का मतलब एक-दूसरे की स्वायत्तता का उल्लंघन नहीं है, इसका अर्थ है अपनी पहचान का सम्मान करते हुए एकसाथ काम करना जैसे-इंद्रधनुष में रंग। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है, जो युद्ध नहीं चाहता, इसने कभी किसी देशपर हमला नहीं किया और न ही किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा किया है, हालांकि अगर कोई हमपर बुरी नज़र डालता है तो हम उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। रक्षामंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि एलबीएसएनएए में संयुक्त नागरिक-सैन्य कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम नागरिक-सैन्य एकीकरण की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जो वर्तमान सरकार के तहत शुरू हुआ है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त कीकि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय और सहयोग की समझ विकसित करने में सिविलसेवकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों केलिए फायदेमंद साबित होगा। रक्षामंत्री ने कहाकि जहां भारत जैसे विशाल देश के सुचारू संचालन केलिए कार्य विभाजन आवश्यक था, समय केसाथ विभागों और मंत्रालयों ने अलग-अलग काम करना शुरू कर दिया। राजनाथ सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साइलो में काम करने के दृष्टिकोण को बदल दिया गया है, जो संयुक्त रूपसे काम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने कहाकि इस नए दृष्टिकोण के साथ सरकार ने राष्ट्र के समग्र विकास को सुनिश्चित किया है। पिछले कई दशक में एलबीएसएनएए द्वारा राष्ट्र को प्रदान की गई सेवाओं को अद्वितीय बताते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि संस्थान अपने प्रशिक्षण के माध्यम से सिविल सेवा अधिकारियों का पोषण कर रहा है, जिन्हें देश की प्रणाली के स्टील फ्रेम के रूपमें जाना जाता है। राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने राष्ट्र के उत्थान केलिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
राजनाथ सिंह ने कहाकि शास्त्रीजी ने देश में एकता और एकता के विचार का सम्मान किया था, जनता से लेकर प्रशासन तक वे कार्य को एकता की दृष्टि से देखने में विश्वास रखते थे, पिछले दो दशक से चलाया जा रहा यह संयुक्त नागरिक सैन्य कार्यक्रम शास्त्रीजी के उस विजन को आगे बढ़ा रहा है। गौरतलब हैकि राष्ट्रीय सुरक्षा की साझा समझ केलिए सिविल सेवकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों केबीच संरचित इंटरफेस को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2001 में संयुक्त नागरिक-सैन्य कार्यक्रम शुरू किया गया था। प्रतिभागियों को सिविल सेवा, सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से लिया जाता है। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रबंधन, उभरते बाहरी और आंतरिक सुरक्षा वातावरण और वैश्वीकरण के प्रभाव केलिए चुनौतियों से परिचित कराना है। प्रतिभागियों को इस विषय पर बातचीत करने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करना और उन्हें नागरिक-सैन्य तालमेल की अनिवार्यता से अवगत कराना है।