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Thursday 16 June 2022 02:01:28 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मानवता की प्रगति केलिए विश्वशांति के महत्व पर जोर देते हुए कहा हैकि एक सभ्य समाज में आतंकवाद, विभाजन और घृणा की कोई जगह नहीं है। वेंकैया नायडू ने उपराष्ट्रपति निवास में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप के छात्रों केसाथ बातचीत में इस बात को दोहरायाकि भारतीयों को न केवल अपनी संस्कृति पर गर्व है, बल्कि हम सभी संस्कृतियों और धर्मों का भी सम्मान करते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करते हैं, भारत, विश्व का सबसे अधिक धर्मनिरपेक्ष देश है और कोईभी व्यक्ति चाहे उसका धर्म कुछ भीहो, इसके सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठ सकता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने विविधता में एकता के महत्व पर जोर दिया और कहाकि साझा करना और देखभाल भारतीय सभ्यता का मूल मूल्य है। उपराष्ट्रपति ने किसीभी धर्म या धार्मिक प्रतीक के अपमान करने को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताया, जो बहुलतावाद और समावेशिता में विश्वास करती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि किसी को किसीभी धर्म के खिलाफ अभद्र भाषा या अपमानजनक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, यह स्वीकार्य नहीं है। उपराष्ट्रपति ने छात्रों के विविध सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने कहाकि विरोध एक लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन हिंसक तरीकों का सहारा लेना राष्ट्र के हितों को नुकसान पहुंचाएगा। उपराष्ट्रपति ने विधायिकाओं में व्यवधान पर चिंता व्यक्त की और कहाकि आगे का रास्ता बाधा नहीं, बल्कि चर्चा, बहस व निर्णय होना चाहिए और बाधित नहीं होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि दलों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि वे लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं या कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया से विधायिकाओं में हंगामे को दिखाने से परहेज करने, लेकिन रचनात्मक बहस को प्रमुखता देने का अनुरोध किया। उपराष्ट्रपति ने राजनीति सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की पैरवी की। उपराष्ट्रपति ने नेतृत्व में जरूरी गुणों के बारे में छात्रों को बताया। वेंकैया नायडू कहाकि सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति को अनुशासित और लोगों केलिए समर्पित होना चाहिए। उन्होंने कहाकि विचारधारा से अधिक महत्वपूर्ण आदर्श व्यवहार है। उन्होंने एक अच्छा नेता बनने केलिए टीम वर्क, अच्छे संचार कौशल और लोगों के साथ लगातार संवाद के महत्व पर भी जोर दिया।