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Saturday 18 June 2022 01:42:42 PM
गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपनी मां हीराबा मोदी को उनके 100वें जन्मदिन की शुभकामनाएं घर जाकर दीं। मां के 100वें साल में प्रवेश करने पर प्रधानमंत्री ने एक भावनात्मक ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने मां केसाथ बिताए हुए कुछ पलों को याद किया। नरेंद्र मोदी ने लिखाकि मेरी मां के जीवन की कहानी में मैं भारत की मातृशक्ति की तपस्या, बलिदान और योगदान देखता हूं, जबभी मैं मां और उनके जैसी करोड़ों महिलाओं को देखता हूं तो मुझे लगता हैकि भारतीय महिलाओं केलिए कुछभी असंभव नहीं है। नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के जीवन की कहानी का कुछ शब्दों में इस तरह वर्णन किया हैकि अभावों की हर कहानी से परी, एक मां की गौरवशाली गाथा है, हर संघर्ष से कहीं ऊपर, एक मां का दृढ़ संकल्प है। उन्होंने उनको बड़ा करने केदौरान मां के बलिदानों को याद किया और उनकी विभिन्न खूबियों का उल्लेख किया, जिससे उनके मस्तिष्क, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को स्वरूप मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा हैकि आज मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी और सौभाग्य की अनुभूति हो रही हैकि मेरी मां हीराबा मोदी अपने 100वें साल में प्रवेश कर रही हैं, यह उनका जन्म शताब्दी वर्ष होने जा रहा है। बचपन में अपनी मां के सामने आई मुश्किलों को याद करते हुए उन्होंने कहाकि मेरी मां जितनी सरल हैं, उतनी ही असाधारण हैं, बिल्कुल दूसरी सभी माताओं की तरह। उन्होंने लिखाकि छोटी सी उम्र में ही उनकी मां ने अपनी मां को खो दिया था, उन्हें मेरी नानी का चेहरा या उनकी गोद तक याद नहीं है, उन्होंने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया है। प्रधानमंत्री ने वडनगर में मिट्टी की दीवारों और मिट्टी की खपरैल की छत से बने अपने छोटे से घर को याद किया, जहां वह अपने माता-पिता और भाई-बहिन केसाथ रहा करते थे। उन्होंने रोजमर्रा में आनेवाली मुश्किलों का उल्लेख किया, जिनका उनकी मां ने सामना किया और उनपर विजय प्राप्त की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि कैसे उनकी मां न सिर्फ घर के सभी काम किया करती थीं, बल्कि कम घरेलू आय की भरपाई केलिए भी काम करती थीं, वह कुछ घरों में बर्तन माजा करती थीं और घरेलू खर्च में सहायता के उद्देश्य से चरखा चलाने केलिए समय निकालती थीं। नरेंद्र मोदी ने याद करते हुए लिखाकि बारिश में हमारी छत से पानी टपकता था और घर में पानी भर जाता था, मां बारिश के पानी को जमा करने केलिए बाल्टियां और बर्तन रखती थीं, ऐसे विपरीत हालात में भी मां लचीलेपन की प्रतिमूर्ति थीं। प्रधानमंत्री ने लिखाकि स्वच्छता एक ऐसा कार्य था, जिसके लिए उनकी मां हमेशा ही खासी सतर्क रहीं, उन्होंने अपनी मां के स्वच्छता बनाए रखने से जुड़े कई उदाहरण दिए। प्रधानमंत्री ने ब्लॉग पोस्ट में लिखाकि उनकी मां साफ-सफाई में लगे लोगों के प्रति गहरा सम्मान रखती थीं, जबभी कोई उनके घर से लगी नाली की सफाई करने आता था तो उनकी मां उसे चाय पिलाए बिना नहीं जाने देती थीं।
नरेंद्र मोदी ने लिखाकि उनकी मां दूसरे लोगों की खुशियों में अपनी खुशी तलाश लेती थीं, उनका दिल बहुत बड़ा है। उन्होंने लिखाकि उनके पिता के एक दोस्त पासके गांव में रहा करते थे, उनकी असमय मृत्यु केबाद मेरे पिता अपने दोस्त के बेटे अब्बास को हमारे घर पर ले आए, वह हमारे साथ रहा और अपनी पढ़ाई पूरी की, मां को हम भाई-बहिनों की तरह अब्बास से पर्याप्त स्नेह था और उसकी देखभाल करती थीं, हर साल ईद पर वह उसके पसंदीदा व्यंजन बनाती थीं, त्योहारों पर पड़ोस के बच्चों का घर पर आना और मां की खास तैयारियों का लुत्फ उठाना आम बात थी। नरेंद्र मोदी ने लिखाकि उनकी मां उनके साथ सार्वजनिक रूपसे सिर्फ दो अवसरों पर गईं। उन्होंने उन दो अवसरों के बारेमें बताया जब वह मां केसाथ सार्वजनिक रूपसे गए थे, एकबार वह अहमदाबाद के एक सार्वजनिक समारोह में गए जब उन्होंने श्रीनगर से वापस लौटने पर उनके माथे पर तिलक लगाया था, जहां उन्होंने एकता यात्रा पूरी करते हुए लालचौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था, दूसरा मौका तब जब उन्होंने 2001 में पहलीबार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूपमें शपथ ली थी।
नरेंद्र मोदी ने लिखाकि उनकी मां ने उन्हें यह एहसास करायाकि औपचारिक रूपसे शिक्षा हासिल किए बिना भी सीखना संभव है। उन्होंने एक घटना साझा की जब वह अपनी सबसे बड़ी शिक्षक अपनी मां केसाथ अपने सभी शिक्षकों को सार्वजनिक रूपसे सम्मानित करना चाहते थे, हालांकि उनकी मां ने यह कहकर इनकार कर दिया, देखो मैं एक सामान्य महिला हूं, मैंने तुम्हें भलेही जन्म दिया है, लेकिन तुम्हें सर्वशक्तिमान ने पढ़ाया और बड़ा किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भलेही उनकी मां कार्यक्रम में नहीं आईं, लेकिन उन्होंने सुनिश्चित कियाकि वह अपने स्थानीय शिक्षक जेठाभाई जोशी के परिवार से किसी को बुलाएं, जिन्होंने उन्हें अक्षर यानी अल्फाबेट पढ़ाए थे। उन्होंने लिखाकि उनकी विचार की प्रक्रिया और दूरदर्शी सोच उन्हें हमेशा चौंकाती रही है। नरेंद्र मोदी ने बतायाकि एक कर्तव्यपरायण नागरिक के रूपमें उनकी मां ने चुनाव की शुरुआत केबाद से पंचायत से लेकर संसद तक हर चुनाव में मतदान किया। मां की अत्यंत सरल जीवनशैली के बारेमें उन्होंने लिखाकि आजभी मां केनाम पर कोई संपत्ति नहीं है, मैंने उन्हें कोई सोने का आभूषण पहने नहीं देखा और उन्हें उनमें कोई दिलचस्पी नहीं है, पहले की तरह वह आजभी अपने छोटेसे कमरे में बेहद सरल जीवनशैली जीती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग में बतायाकि हालमें मैंने उनसे पूछाकि वह रोजाना कितनी देर टीवी देखती हैं, उन्होंने बतायाकि टीवी पर ज्यादातर लोग एक-दूसरे से लड़ने में व्यस्त रहते हैं और वह सिर्फ उन्हें ही देखती हैं, जो शांति से समाचार पढ़ते हैं और हर बात विस्तार से बताते हैं, मुझे सुखद आश्चर्य हुआकि मां घटनाओं पर इतनी नज़र रखती हैं। नरेंद्र मोदी ने 2017 की एक अन्य घटना के बारेमें बताया, जिससे उनकी ज्यादा उम्र के बावजूद सतर्कता का पता चलता है। नरेंद्र मोदी ने लिखाकि वे काशी से सीधे मां से मिलने गए और जब मां से मिले तो उन्होंने तत्काल पूछाकि क्या मैंने काशी विश्वनाथ महादेव को नमन किया, मां अभी तक पूरा नाम काशी विश्वनाथ महादेव बोलती है। उन्होंने मुझसे पूछाकि क्या काशी विश्वनाथ मंदिर जानेवाली गलियां पहले जैसी हैं, मानो किसी के घर के अंदर कोई मंदिर हो, मैं आश्चर्यचकित रह गया और पूछाकि आप कब मंदिर घूमने गई थीं। उन्होंने बतायाकि वह काशी कई साल पहले गई थीं, लेकिन आश्चर्य की बात थीकि उन्हें सब कुछ याद था।
नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग में लिखाकि मां न सिर्फ दूसरों की पसंद का सम्मान करती हैं, बल्कि अपनी पसंद थोपने सेभी बचती हैं, विशेष रूपसे मेरे मामले में उन्होंने मेरे फैसलों का सम्मान किया, कभी मेरे लिए बाधा खड़ी नहीं की और मुझे प्रोत्साहित किया, बचपन सेही उन्हें लगता थाकि मेरे भीतर एक अलग सोच विकसित हो रही है, यह मां ही थीं, जिन्होंने उन्हें पूरा समर्थन दिया, जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया, उनकी इच्छाओं को समझते हुए और उन्हें आशीर्वाद देते हुए मां ने कहाकि वैसा करो जैसा तुम्हारा दिल कहता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि मां ने हमेशा ही उन्हें दृढ़ संकल्प और गरीब कल्याण पर ध्यान देने केलिए प्रेरित किया है। उन्होंने बतायाकि 2001 में जब उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री घोषित किया गया था, गुजरात पहुंचने केबाद वे सीधे अपनी मां से मिलने गए, वह बहुत खुश थीं और कहाकि मैं सरकार में तुम्हारा काम नहीं समझती, लेकिन मैं तुमसे सिर्फ इतना चाहती हूंकि कभी रिश्वत मत लेना और अपनी बड़ी जिम्मेदारियों का ध्यान रखना। जब भी वह फोन पर उनसे बात करते हैं मां कहती हैं कि गरीबों केलिए काम करते रहना। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनके माता-पिता की ईमानदारी और आत्मसम्मान उनकी सबसे बड़ी खूबी है, गरीबी और उससे जुड़ी चुनौतियों से उबरने का उनका सबसे प्रमुख मंत्र लगातार कठोर परिश्रम था।