स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 30 June 2022 12:18:19 PM
चेन्नई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने देशभर के विद्यालयों से छात्रों में जिज्ञासा, नवाचार और उत्कृष्टता की भावना को बढ़ावा देने का अनुरोध किया है, जिससे वे तकनीक संचालित 21वीं सदी के विश्व की चुनौतियों केलिए तैयार हो सकें। वेंकैया नायडु ने रटने वाली पढ़ाई को छोड़ते हुए शिक्षा केलिए भविष्यवादी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि सबसे अच्छा कौशल जो विद्यालय आज छात्रों को प्रदान कर सकते हैं, वह अनुकूलन क्षमता है। उपराष्ट्रपति ने विद्यालयों से छात्रों को आत्मचिंतन करने और अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके नवाचार करने को लेकर प्रशिक्षित करने केलिए कहा। उन्होंने ये विचार चेन्नई में वीआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की पहल पर वेल्लोर इंटरनेशनल स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने शैक्षणिक यात्रा में इस महत्वपूर्ण उपलब्धि केलिए वीआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के प्रबंधन की सराहना भी की। उन्होंने कहाकि वीआईटी समूह निजी क्षेत्र में उच्च शिक्षा को मजबूत करने केलिए लगातार प्रयास कर रहा है और विश्वास हैकि यह संस्थान उनकी एक और उपलब्धि होगी।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहाकि भारत प्राचीनकाल से ज्ञान का भंडार और अकादमिक उत्कृष्टता का उद्गम स्थल रहा है। उन्होंने कहाकि गुरुकुल प्रणाली में शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया गया था और एक व्यक्ति के समग्र विकास केलिए ज्ञान व कौशल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। उन्होंने कहाकि वास्तव में तक्षशिला, पुष्पगिरि और नालंदा जैसे विश्वस्तरीय शिक्षा केंद्रों के कारण भारत को कभी विश्वगुरु के रूपमें जाना जाता था, इन केंद्रों पर हजारों छात्र, जिनमें विदेशों के भी कई छात्र भी शामिल थे, विविध विषयों का अध्ययन करते थे। उन्होंने कहाकि भारत ने प्राचीनकाल से ही अन्य विषयों के साथ-साथ विज्ञान, गणित, दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कई तरह का योगदान किया है। उन्होंने कहाकि एक बच्चे के शुरुआती वर्षों के दौरान स्कूली शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इसपर अपनी चिंता व्यक्त कीकि छात्र पारंपरिक शिक्षा प्रणाली केतहत कक्षा की चारदीवारी में अधिकांश समय बिता रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों को बाहर के संसार का अनुभव करने-प्रकृति की गोद में समय बिताने, समाज के सभी वर्गों केसाथ बातचीत करने और विभिन्न शिल्प एवं व्यापार को समझने केलिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। वेंकैया नायडु ने कक्षा की पढ़ाई को क्षेत्रीय गतिविधियों, सामाजिक जागरुकता और सामुदायिक सेवा पहलों केसाथ पूरक बनाए जाने की अपनी इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहाकि कम उम्र से ही छात्रों में सेवा और देशभक्ति की भावना पैदा करने की सख्त जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने इस बात को याद कियाकि भारत की प्राचीन गुरुकुल प्रणाली शिक्षक के बच्चों केबीच समय बिताने केसाथ एक व्यक्ति के समग्र विकास पर केंद्रित थी, इसमें छात्रों के चरित्र निर्माण और सही मूल्यांकन पर जोर दिया गया था। उन्होंने विद्यालयों से 'गुरु शिष्य परंपरा' के सकारात्मक पहलुओं को अपनाने पर जोर दिया, इसके अलावा पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों केबीच कृत्रिम अलगाव को दूर करने और शिक्षा में बहु-विषयकता को प्रोत्साहित करने का भी आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि उनकी इच्छा हैकि विद्यालय एक मूल्य आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करें, जो हर एक छात्र में महान क्षमता और उच्चतम गुणों का विकास करे। उन्होंने उल्लेख कियाकि मूल्यों के बिना शिक्षा, शिक्षा न मिलने के समान है। उपराष्ट्रपति ने विद्यालयों में शिक्षा के माध्यम के रूपमें मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया। वेंकैया नायडु ने कहाकि हमें छात्रों को अपने सामाजिक परिवेश में अपनी मातृभाषा में स्वतंत्र रूपसे बोलने केलिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जब हम स्वतंत्र रूपसे और गर्व केसाथ अपनी मातृभाषा में बात कर सकेंगे, उस समय ही हम अपनी सांस्कृतिक विरासत की सही मायने में सराहना कर सकते हैं। उन्होंने रेखांकित कियाकि अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं में किसी की दक्षता सांस्कृतिक जुड़ाव के निर्माण में सहायता करती है और अनुभव के नए संसार केलिए खिड़कियां खोलती हैं।
वेंकैया नायडु ने कहाकि हालांकि किसीभी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए और न ही इसका कोई विरोध होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दियाकि यथासंभव भाषाएं सीखनी चाहिएं, लेकिन मातृभाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि ने विद्यालयों से बच्चों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने केलिए छात्रों को नियमित शारीरिक गतिविधि केलिए प्रोत्साहित करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने छात्रों को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने केलिए उत्साहपूर्वक खेल या किसी भी तरह के व्यायाम की सलाह दी। कार्यक्रम में तमिलनाडू के एमएसएमई मंत्री टीएम अंबारासन, वीआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के संस्थापक एवं कुलपति डॉ जी विश्वनाथन, वीआईटी के वीआईएस एवं उपाध्यक्ष जीवी सेल्वम, वीआईटी के उपाध्यक्ष शंकर विश्वनाथन, वीआईटी के उपाध्यक्ष सेकर विश्वनाथन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।