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Monday 4 July 2022 11:49:54 AM
हैदराबाद। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रौद्योगिकी के निरंतर विकसित होते स्वरूप और बदलते समय में युद्धकला में इसके बढ़ते महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए स्वदेशी क्षमताओं केसाथ तकनीकी मोर्चे पर अप-टू-डेट बने रहने की आवश्यकता पर जोर दिया है। रक्षा क्षेत्र में बाधाओं को दूर करने तथा रूपांतरकारी सुधार लाने केलिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि सशस्त्र बलों को चुस्त, फिट, आधुनिक और विश्वस्तरीय रक्षा सेवा बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अग्निपथ स्कीम को देश, सशस्त्र बलों तथा युवाओं के हित में एक क्रांतिकारी सुधार बताया। उन्होंने कहाकि हमने कई देशों की रक्षा प्रणालियों का अध्ययन किया तथा इन निष्कर्षों को अपनी जमीनी सच्चाइयों केसाथ जोड़कर इस योजना को अंतिम रूप दिया। उन्होंने कहाकि भारतीय वायुसेना को अग्निपथ स्कीम केतहत बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं, अन्य सेनाओं में भी इसी प्रकार की प्रतिक्रिया अपेक्षित है, हमारे युवाओं को आगे आना चाहिए तथा देश की सेवा करने के इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सभी रक्षा उपकरण हितधारकों सशस्त्र बलों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविद तथा उद्योग को निरंतर विकसित होनेवाली स्थिति के अनुकूल उत्पादों या प्रणालियों को विकसित करने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने तेलंगाना में भारत डायनैमिक्स लिमिटेड की भानुर इकाई का दौरा किया और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम के स्थापित नए विनिर्माण सुविधा केंद्रों को राष्ट्र को समर्पित किया, इनमें भानुर इकाई में एक वॉरहेड फैसिलिटी तथा कंचनबाग इकाई में एक रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर फैसिलिटी शामिल हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि प्रौद्योगिकी पूर्वानुमान को सुदृढ़ बनाने, अत्याधुनिक विनिर्माण और परीक्षण क्षमताओं में निवेश करने पर जोर दिया और कहाकि आरएफ सीकर फैसिलिटी तथा वॉरहेड फैसिलिटी का उद्घाटन उसी दिशामें एक सही कदम है। रक्षामंत्री ने शोधकर्ताओं, इंजीनियरों, तकनीविदों तथा बीडीएल के कार्मिकों को संबोधित करते हुए इन विनिर्माण सुविधा केंद्रों के उद्घाटन को रक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के मार्ग को प्राप्त करने की दिशा में डीपीएसयू की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण बताया।
राजनाथ सिंह ने मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड विजन की तर्ज पर विदेशी कंपनियों के सहयोग से स्वदेशी रूपसे उत्पादों के विनिर्माण के द्वारा आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशामें एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने केलिए बीडीएल की सराहना भी की। उन्होंने अगले पांच वर्ष केलिए एक स्वदेशीकरण योजना तैयार करने तथा पहले दो वर्ष के टार्गेट को सफलतापूर्वक अर्जित करने केलिए कंपनी को बधाई दी। आरएफ सीकर फैसिलिटी, जिसका उद्घाटन रक्षामंत्री ने वर्चुअल रूप से किया था आरएफ सीकर के उत्पादन तथा परीक्षण केलिए एक समेकित केंद्र है। सीकर एक महत्वपूर्ण तथा प्रौद्योगिकी केंद्रित सबसिस्टम है, जिसका उपयोग टार्गेट ट्रैकिंग केलिए भविष्य के सभी मिसाइलों में किया जाएगा। इस सुविधा केंद्र की स्थापना बीडीएल ने 50 करोड़ रुपये की लागत से की है। राजनाथ सिंह ने बीडीएल को सीकर का उत्पादन करने की क्षमता रखने वाली विश्वभर की चुनिंदा कंपनियों के एलीट क्लब में शामिल होने पर बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सुविधा केंद्र मिसाइल उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अर्जित करने में बड़ी भूमिका का निर्वाह करेगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास जतायाकि वॉरहेड सुविधा केंद्र भविष्योन्मुखी वॉरहेड के विनिर्माण के दायरे में विविधता लाएगा और भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। उन्होंने कहाकि इस सुविधा केंद्र के साथ बीडीएल ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है, क्योंकि सुविधा केंद्र का उपयोग इसके वर्तमान तथा भविष्योन्मुखी मिसाइलों दोनों केलिए किया जाएगा। रक्षामंत्री ने 'नो-हाउ' से 'नो-व्हाई' की तरफ बढ़ते हुए रक्षा विनिर्माण संगठनों तथा शैक्षणिक संस्थानों केबीच एक दीर्घकालिक साझीदारी विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि दीर्घकालिक सहयोग शिक्षा क्षेत्र को कोर प्रौद्योगिकीय समस्याओं पर काम करने तथा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को 'सैद्धांतिक विश्लेषण' से वास्तविक उत्पादों में रूपांतरण की ओर बढ़ने में सहायता करेगा। उन्होंने कहाकि यह दोनों केलिए ही लाभ की स्थिति होगी तथा देश के रक्षा परितंत्र को बढ़ावा देगी। रक्षामंत्री ने तीसरी पीढ़ी टैंकरोधी गाइडेड मिसाइल अमोघ के अनुसंधान एवं विकास पर काम करने केलिए बीडीएल की सराहना की। उन्होंने कहाकि डीपीएसयू 1980 के दशक में भारत के मिसाइल मैन तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम केतहत आरंभ किए गए इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि इस कार्यक्रम ने मिसाइल विकास के क्षेत्र में विदेशों पर हमारी निर्भरता कम करदी तथा आत्मनिर्भरता के बीज बो दिए। उन्होंने कहाकि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने एकबार कहा थाकिइस दुनिया में डर का कोई स्थान नहीं है, केवल ताकत ही ताकत को सम्मान देती है और बीडीएल उनके सपनों को साकार करने की दिशा में समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ काम कर रही है। रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में बीडीएल की अहम भूमिका की सराहना की तथा इस उपलब्धि को इस बात का प्रमाण बतायाकि सेना नियमित रूपसे स्वदेशी प्रणालियों को शामिल करती रहेगी। उन्होंने कहाकि बीडीएल के विभिन्न मदों को हाल ही में जारी तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची में जगह मिली है, जो त्वरित डिलीवरी सुनिश्चित करने के अतिरिक्त कंपनी की क्षमताओं में भी वृद्धि करेगी। रक्षामंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन, सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना, रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाना तथा इनोवेशन फॉर डिफेस एक्सेलेंस लांच करने जैसे कुछ अन्य सुधारों की भी चर्चा की। उन्होंने सभी हितधारकों से अपनी तैयारी बढ़ाने, अनुसंधान एवं विकास में और अधिक निवेश करने तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार की खोज कर इसमें विस्तार करने की अपील की। उन्होंने इस प्रयास में बीडीएल को रक्षा मंत्रालय का पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया।
बीडीएल की विशाखापट्टनम इकाई में एक सेंट्रल स्टोरेज सुविधा केंद्र का भी राजनाथ सिंह ने वर्चुअल उद्घाटन किया। यह अत्याधुनिक सुविधा केंद्र वर्टिकल कैरोसेल सिस्टम, मैकेनिकल कौम्पैक्टर तथा मोटोराइज्ड कौम्पैक्टर से निर्मित्त आधुनिक भंडारण प्रणाली से सुसज्जित है, जो इकाई की समस्त स्टोरेज आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है, इस फैसिलिटी का निर्माण 4.90 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। रक्षामंत्री ने बीडीएल के अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी पहलों के हिस्से के रूपमें पश्चिमी गोदावरी जिले के सैन्य माधवरम गांव में निर्मित्त बुनियादी सुविधाओं यानी बहुद्देशीय सामुदायिक हॉल, जिम्नाजियम, सरकारी कनिष्ठ महाविद्यालय में विज्ञान प्रयोगशालाएं, जिला परिषद स्कूल में नौ अतिरिक्त क्लास रूम, प्राथमिक विद्यालय में दो अतिरिक्त क्लासरूम का भी वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। तेडेपलिगुडम के निकट माधवरम गांव का लोकप्रिय नाम 'सैन्य माधवरम' भी है, क्योंकि यहां सशस्त्र बलों में शामिल होने वालों की एक बड़ी संख्या है। एक डीपीएसयू होने के नाते बीडीएल ने इस गांव को अपने सीएसआर के एक हिस्से के रूपमें गोद लिया है और 4.5 करोड़ रुपये की लागत से बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। राजनाथ सिंह ने बीडीएल परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर बीडीएल के सीएमडी कमोडोर सिद्धार्थ मिश्रा (सेवानिवृत्त), रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सिविल और सैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।