स्वतंत्र आवाज़
word map

'शिक्षा को 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ें'

वाराणसी में अखिल भारतीय शिक्षा समागम में प्रधानमंत्री का संबोधन

'हमारे युवा स्किल्ड, कॉन्फिडेंट, प्रैक्टिकल और कैलकुलेटिव हों'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 8 July 2022 01:01:16 PM

all india shiksha samagam on implementation of education policy in varanasi

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यांवयन पर वाराणसी में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें असंख्य संभावनाओं को साकार करने का एक साधन दिया है, जो पहले उपलब्ध नहीं था, हमें इसका पूरा उपयोग करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अमृतकाल के वादों को साकार करने में हमारी शिक्षा प्रणाली और युवा पीढ़ी का एक बड़ा हिस्सा है। उन्होंने महामना मदनमोहन मालवीय को नमन करते हुए समागम केलिए शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने एलटी कॉलेज में अक्षय पात्र मिड-डे मील किचन का शुभारंभ किया। उन्होंने कहाकि जिन छात्रों केसाथ उन्होंने बातचीत की उनकी उच्चस्तर की प्रतिभा उस प्रतिभा का लाभ प्राप्त करने केलिए आवश्यक प्रयास में जुटने का संकेत देती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अंग्रेजों की बनाई गई शिक्षा प्रणाली कभीभी भारतीय लोकाचार का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने शिक्षा के बहुआयामी भारतीय लोकाचार केबारे में बताया और उस पहलू को आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली में चिन्हित करने केलिए कहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम केवल डिग्रीधारक युवा तैयार न करें, बल्कि देश को आगे बढ़ने केलिए जितनेभी मानव संसाधनों की जरूरत हो, हमारी शिक्षा व्यवस्था वो देश को दे इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक नए भारत के निर्माण केलिए एक नई प्रणाली और आधुनिक प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि कोरोना की इतनी बड़ी महामारी से हम न केवल इतनी तेजी से उबरे, बल्कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजीसे बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक है, हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इको-सिस्टम हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहां पहले केवल सरकार ही सब करती थी, वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं केलिए नई दुनिया बन रही है, देश की बेटियों, महिलाओं केलिए भी जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे, आज वो सेक्टर बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने प्रकाश डालाकि नई शिक्षा नीति में बच्चों को उनकी प्रतिभा और उनकी पसंद के अनुसार कुशल बनाने पर पूरा ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहाकि हमारे युवा स्किल्ड, कॉन्फिडेंट, प्रैक्टिकल और कैलकुलेटिव हों शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है। प्रधानमंत्री ने एक नई विचार प्रक्रिया केसाथ भविष्य केलिए काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि बच्चे बहुत उन्नत स्तर की प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे हैं और हमें उनकी प्रतिभा की मदद करने केसाथ ही उनका लाभ उठाने केलिए तैयार रहने की जरूरत है।
नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तैयारी में किएगए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहाकि नीति के कार्यांवयन पर लगातार चर्चा और काम होता रहा है। नीति के कार्यांवयन के बारेमें बात करने केलिए प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से कई सेमिनारों और कार्यक्रमों में भाग लिया, इसका परिणाम यह हुआ हैकि देश के विकास में देश के युवा सक्रिय भागीदार बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने देश में शिक्षा के बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव की भी बात की, देश में कई नए कॉलेज, विश्वविद्यालय, आईआईटी और आईआईएम खुल रहे हैं। उन्होंने बतायाकि 2014 केबाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, विश्वविद्यालयों केलिए सामान्य प्रवेश परीक्षा विश्वविद्यालय प्रवेश में आसानी और समानता लाएगी। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही है, इसी क्रम में संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत वैश्विक शिक्षा के एक बड़े केंद्र के रूपमें उभर सकता है। उन्होंने कहाकि भारतीय उच्चशिक्षा को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने केलिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय मामलों केलिए 180 विश्वविद्यालयों में विशेष कार्यालय स्थापित किए गए हैं। उन्होंने विशेषज्ञों से इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं से अवगत होने केलिए कहा। प्रधानमंत्री ने व्यावहारिक अनुभव और फील्डवर्क के महत्व पर जोर दिया और 'लैब टू लैंड' के दृष्टिकोण केलिए आह्वान किया। उन्होंने शिक्षाविदों से सत्यापित परीक्षण केसाथ अपने अनुभव को मान्य करने केलिए कहा। उन्होंने साक्ष्य आधारित अनुसंधान केलिए कहा। उन्होंने भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश पर अनुसंधान करने और इसके इस्तेमाल की सर्वोत्तम तरीके खोजने और दुनिया के वृद्ध समाजों केलिए समाधान खोजने केलिए भी कहा, इसी तरह लचीला बुनियादी ढांचा अनुसंधान का एक अन्य क्षेत्र है।
शिक्षा मंत्रालय 7 से 9 जुलाई तक शिक्षा समागम का आयोजन कर रहा है, यह प्रख्यात शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और अकादमिक नेताओं को अपने अनुभवों को साझा करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यांवयन के रोडमैप पर चर्चा करने केलिए एक मंच प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम पूरे देश से विश्वविद्यालयों केंद्रीय, राज्य, डीम्ड और निजी और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, आईआईएसईआर के शैक्षणिक, प्रशासनिक और संस्थागत क्षेत्र की 300 से अधिक हस्तियों के क्षमता निर्माण के हिस्से के रूपमें आयोजित किया जा रहा है। शिक्षा समागम में एनईपी 2020 केतहत उच्चशिक्षा केलिए चिन्हित नौ विषयों पर पैनल चर्चा आयोजित की जा रही है। ये विषय हैं-बहुविषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोज़गार योग्यता, अनुसंधान नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केलिए शिक्षकों का क्षमता निर्माण, गुणवत्ता रैंकिंग और प्रत्यायन, डिजिटल सशक्तिकरण और ऑनलाइन शिक्षा, समान और समावेशी शिक्षा, भारतीय ज्ञान प्रणाली और उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अन्नपूर्णा देवी, डॉ सुभाष सरकार, डॉ राजकुमार रंजन सिंह, राज्य के मंत्री, शिक्षाविद और हितधारक उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]