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Tuesday 12 July 2022 12:57:00 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय की पहली 'एआई इन डिफेंस' संगोष्ठी और प्रदर्शनी के दौरान हाल में विकसित 75 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों का शुभारंभ किया। आजादी के अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूपमें लॉंच किएगए उत्पाद विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं, इन उत्पादों में एआई प्लेटफॉर्म ऑटोमेशन, स्वायत्त मानवरहित रोबोटिक्स प्रणालियां, ब्लॉक चेन आधारित स्वचालन, कमान नियंत्रण संचार कंप्यूटर और इंटेलिजेंस निगरानी और टोही, साइबर सुरक्षा, मानव व्यवहार संबंधी विश्लेषण, बुद्धिमान निगरानी प्रणाली, घातक स्वायत्त हथियार प्रणाली, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, परिचालन डेटा विश्लेषिकी, विनिर्माण और रखरखाव, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का उपयोग करते हुए परीक्षण उपकरण और समभाषण या आवाज़ विश्लेषण शामिल हैं।
रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने ऐसे तीन एआई उत्पाद विकसित किए हैं, जिनमें दोहरे उपयोग के अनुप्रयोग और अच्छी बाजार क्षमता है अर्थात भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के एआई-सक्षम वॉयस ट्रांसक्रिप्शन या विश्लेषण सॉफ्टवेयर, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड की ड्राइवर थकान निगरानी प्रणाली और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एवं इंजीनियरों के विकसित गैर-विनाशकारी परीक्षण के एक्स-रे में वेल्डिंग दोषों के एआई-सक्षम मूल्यांकन की कार्यक्रम केदौरान जांच की गई। इनसे रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों केलिए व्यापार के नए रास्ते खुलने की उम्मीद है। रक्षामंत्री ने इन 75 उत्पादों के विवरण वाली एक पुस्तक के भौतिक के साथ ही ई-संस्करण का भी विमोचन किया। पुस्तक में सेवाओं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, आईडीईएक्स, स्टार्टअप्स और निजी उद्योग द्वारा एआई क्षेत्र में चार वर्ष के दौरान किए गए सामूहिक प्रयासों को प्रदर्शित किया गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एआई को मानवता के विकास में एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहाकि यह प्रमाण हैकि मनुष्य इस ब्रह्मांड में सबसे विकसित प्राणी है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त कियाकि एक मानव मस्तिष्क ने न केवल ज्ञान का सृजन व पुन: उत्पादन किया है, बल्कि ऐसी बुद्धि का विकास किया है, जो ज्ञान का सृजन कर रही है। राजनाथ सिंह ने कहाकि एआई ने रक्षा, स्वास्थ्य और चिकित्सा, कृषि, व्यापार और वाणिज्य तथा परिवहन सहित लगभग हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है। उन्होंने सभी रक्षा हितधारकों से मानव चेतना की संयुक्तता के बंधन को बढ़ाने तथा एआई की योग्यता को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूपमें शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि जब युद्धों में पूर्ण मानव भागीदारी रही है, एआई अनुप्रयोगों की सहायता से नए स्वचालित हथियार एवं प्रणालियां विकसित की गई हैं, वे मानव नियंत्रण के बिना ही दुश्मन के प्रतिष्ठानों को नष्ट कर सकती हैं। एआई-सक्षम सैन्य उपकरण बड़ी मात्रा में डेटा को कुशलतापूर्वक संभालने में समर्थ हैं, यह उपकरण जवानों को प्रशिक्षण देने में भी काफी मददगार साबित हो रहे हैं, आनेवाले समय में ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी तकनीकों का भी प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा।
रक्षामंत्री ने इस बात की सराहना कीकि रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बल, डीआरडीओ, डीपीएसयू और उद्योग रक्षा केलिए नवाचार एवं स्वदेशी एआई समाधान प्रदान करने केलिए सार्थक प्रयास कर रहे हैं और भविष्य की प्रौद्योगिकी भी विकसित कर रहे हैं। उन्होंने सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा भारत को 'एआई का ग्लोबल हब' बनाने केलिए एआई-सक्षम और एआई आधारित अनुप्रयोगों को विकसित करने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की प्रशंसा की। उन्होंने उम्मीद जताई की कि भारत जल्दही एआई के क्षेत्र के अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा। रक्षामंत्री ने कहाकि भविष्य के युद्ध में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए हथियारों एवं प्रणालियों का विकास किया जा रहा है, हमने रिमोट पायलट मानवरहित हवाई वाहनों आदि में एआई अनुप्रयोगों को शामिल करना शुरू कर दिया है, हमें इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है, ताकि हम स्वचालित हथियार प्रणाली विकसित कर सकें। उन्होंने कहाकि रक्षाक्षेत्र में एआई और बिग डेटा जैसी प्रौद्योगिकियों का समय पर समावेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि हम प्रौद्योगिकी प्रगति में पीछे न रहें और अपनी सेवाओं केलिए प्रौद्योगिकी का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम हो सकें।
रक्षामंत्री ने कहाकि रक्षा सेवाओं में एआई अनुप्रयोगों को तेजीसे बढ़ावा देने केलिए उद्योग केसाथ कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने कहाकि इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस पहल केतहत एआई से संबंधित कई चुनौतियां सामने आई हैं, रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम मैनेजमेंट, अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस, सैटेलाइट इमेज एनालिसिस और फ्रेंड या फ्यू आइडेंटिफिकेशन सिस्टम सहित विभिन्न क्षेत्रों में ऐसी चुनौतियां हैं। उन्होंने उद्योग और स्टार्ट-अप से नए रास्ते तलाश करने और पूर्ण आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने केलिए सरकार केसाथ मिलकर काम करने का अनुरोध किया। राजनाथ सिंह ने कहाकि रूस प्रौद्योगिकी रूपसे उन्नत देश है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। रक्षामंत्री ने कहाकि एआई के बारेमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा थाकि जो कोई भी इस क्षेत्र में दिग्गज बनेगा, वहीं दुनिया का शासक बन जाएगा, हालांकि भारत 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सिद्धांत में विश्वास करता है और उसका दुनिया पर शासन करने का कोई इरादा भी नहीं है। हमें अपनी एआई प्रौद्योगिकी क्षमता विकसित करनी चाहिए, ताकि कोई भी देश हमपर शासन करने के बारेमें सोच भी न सके।
रक्षाक्षेत्र को मजबूत बनाने में शिक्षाविदों की महत्वपूर्ण भूमिका पर रक्षामंत्री ने कहाकि रक्षा मंत्रालय अनुसंधान मंच, डीआरडीओ और रक्षा क्षेत्र सार्वजनिक उपक्रम अत्याधुनिक एआई अनुसंधान को आगे बढ़ाने में विभिन्न संस्थानों को सहायता प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि डीआरडीओ तकनीकी विकास कोष परियोजनाओं और 'डेयर टू ड्रीम' प्रतियोगिताओं के माध्यम से एआई के क्षेत्र में प्रगति का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहाकि देश में कई रक्षा-उद्योग-अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं और उनमें से अधिकांश के मांगपत्रों में एआई को प्रमुखता दी जा रही है। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमारे देश में वैज्ञानिक और तकनीकी रूपसे प्रशिक्षित युवाओं की कोई कमी नहीं है, युवाओं के पास नवाचारी दिमाग है और उनमें राष्ट्र निर्माण केलिए योगदान करने की इच्छा है, ऐसे में हम आनेवाले समय में अपने देश के साथ-साथ दुनिया की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं, यद्यपि रक्षा मंत्रालय के संगठनों का ध्येय सशस्त्र बलों केलिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों का विकास करना है, जिसके लाभ नागरिकों को भी उपलब्ध होंगे।
रक्षामंत्री ने कहाकि प्रारंभिक अवस्था में एआई की नैतिकता और इसके संभावित खतरों के बारे मेंभी विचार करने की जरूरत है, जबभी कोई नई तकनीक पेश की जाती है तो समाज को उसके अपनाने में समय लगता है, चूंकि एआई एक ऐसी प्रौद्योगिकी है, जो व्यापक बदलाव लाती है। उन्होंने कहाकि हमें किसी भी कानूनी, नैतिक, राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों केलिए अग्रिम रूपसे तैयार रहना होगा, हमें एआई के भविष्य को सकारात्मक दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए, लेकिन इसके साथ-साथ हमें तैयार भी रहना चाहिए। उन्होंने कहाकि हमें इस प्रौद्योगिकी का उपयोग समाज के कल्याण, विकास और शांति केलिए करना चाहिए, हमें इसके लोकतांत्रिक उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने एआई के उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर देते और रक्षा मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहाकि सशस्त्र बल अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं। उन्होंने कहाकि रक्षा क्षेत्र में एआई के रणनीतिक एकीकरण केलिए 2018 में एक टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी और तीन महीने में ही उसने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं, इन सिफारिशों को रक्षामंत्री की अध्यक्षता में रक्षा एआई परिषद के माध्यम से लागू किया गया था।
रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल संदीप सिंह, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी, विदेशों के राजदूत, अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और उद्योग के साथ-साथ छात्र भी इस अवसर पर उपस्थित थे। वर्ष 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात को हासिल करने और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने केलिए रक्षा मंत्रालय के दृष्टिकोण के अनुरूप, सार्वजनिक क्षेत्र से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और निजी क्षेत्र से इंडो-एमआईएम को 'रक्षा निर्यात रत्न' पुरस्कार प्रदान किए गए। इन्होंने हाल के वर्षों में सबसे अधिक रक्षा निर्यात किया है। भविष्य के एआई समाधानों पर बेहतर नवाचारी विचारों को प्राप्त करने केलिए आयोजित की गई 'जेननेक्स्ट एआई' समाधान प्रतियोगिता के तीन श्रेष्ठ छात्रों को रक्षामंत्री ने सम्मानित किया। रक्षा क्षेत्र में एआई के नए विचारों को प्रोत्साहित करने केलिए सशस्त्र सेवाओं, शिक्षाविदों, छात्रों, अनुसंधान संगठनों और उद्योग की सक्रिय भागीदारी केसाथ तीन पैनल चर्चाएं भी हुईं। प्रदर्शनी ने नवप्रवर्तकों को अपनी क्षमताओं, उत्पादों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया।