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राष्ट्रपति चुनाव 2022 केलिए मतदान संपन्न हुआ

देश के 16वें राष्ट्रपति केलिए द्रौपदी मुर्मू व यशवंत सिन्हा हैं प्रत्‍याशी

संसद भवन सहित केंद्रीय और राज्य विधानसभाओं में हुआ मतदान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 19 July 2022 11:58:04 AM

voting concludes for presidential election 2022

नई दिल्ली। भारत का राष्ट्रपति पद देश का सर्वोच्च निर्वाचित पद है और देश के 16वें राष्ट्रपति के चुनाव केलिए संसद भवन, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी की विधानसभा सहित राज्य विधानसभाओं के मतदान स्थलों पर स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कल 18 जुलाई को सफलतापूर्वक मतदान संपन्न हो चुका है। भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति पद का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण चुनावों में से एक है, जिसका संचालन भारत निर्वाचन आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अधिदेश के तहत करता है। देश के 16वें राष्ट्रपति चुनाव केलिए प्रत्‍याशी रूपमें द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा हैं, इनके लिए मतदान 31 स्थानों पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे केबीच हुआ था। संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिनमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और सभी राज्यों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सहित) की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी सहित संसद के किसीभी सदन या राज्यों की विधानसभाओं केलिए मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम-1974 के नियम 40 के तहत भारत निर्वाचन आयोग को निर्वाचक मंडल के सदस्यों की एक सूची बनाकर रखने की जरूरत होती है। इस सूची में राज्यसभा, लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों और राज्यों की विधानसभाओं, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पुडुचेरी के संघशासित प्रदेश के निर्वाचित सदस्यों के नाम इसी क्रम में होते हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 8 के तहत अयोग्यता संबंधी सक्षम न्यायालय के फैसले केबाद दो सदस्य अनंत कुमार सिंह और महेंद्र हरि दलवी इस चुनाव में मतदान करने के पात्र नहीं थे, इसके अलावा राज्यसभा में 5 और राज्य विधानसभाओं में 6 रिक्तियां हैं, इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने केलिए निर्वाचक मंडल की सूची में कुल 4,796 निर्वाचक थे। संसद भवन में कमरा संख्या-63 और सभी राज्य विधानसभा सचिवालयों, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सहित में अन्य 30 मतदान केंद्रों को मतदान के स्थान के रूपमें निर्धारित किया गया था।
सांसदों ने नई दिल्ली में मतदान किया और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों, जिनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी की विधानसभाओं के सदस्य शामिल हैं, उन्होंने प्रत्येक विधानसभा में नियत स्थान पर मतदान किया। हालांकि चुनाव आयोग ने किसीभी संसद सदस्य या विधानसभा के सदस्य को उनके लिए निर्धारित मतदान केंद्र के अलावा किसी अन्य मतदान केंद्र पर मतदान करने की सुविधा भी प्रदान की थी। इस मुताबिक 44 सांसदों को राज्य मुख्यालय में, 9 विधायकों को संसद भवन में और 2 विधायकों को अन्य राज्य मुख्यालयों में मतदान करने की अनुमति दी गई थी। चुनाव आयोग के अनुसार मतदान करने के योग्य कुल 771 संसद सदस्यों में से (5 रिक्त) और मतदान करने के योग्य विधानसभाओं के कुल 4025 सदस्यों में से (6 रिक्त और 2 अयोग्य घोषित), 99 प्रतिशत से ज्यादा ने अपने वोट डाले। छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, पुडुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु से विधायकों द्वारा 100 प्रतिशत मतदान करने की सूचना मिली थी। मतदान की गोपनीयता तथा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने केलिए कुछ मुख्य विशेषताएं लागू की गई थीं।
चुनाव आयोग ने केंद्रीय स्तर पर बैंगनी स्याही के पृथक सीरियल नंबर वाले पेन की आपूर्ति की थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकेकि मतदाता ने वोट की वरीयता को चिन्हित करने केलिए किसी अन्य उपकरण का प्रयोग नहीं किया है। मतदान केंद्रों के बाहर प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करने केलिए चुनाव आयोग ने विशेष पोस्टर उपलब्ध कराए थे, जिनमें मतदान केलिए विशेष पेन और मतदाताओं केलिए ‘क्या करें और क्या न करें’ के बारेमें जानकारी दी गई थी। आरओ/एआरओ/सीईओ/ईसीआई अधिकारियों, ईसीआई पर्यवेक्षकों, सुरक्षाकर्मियों आदि केलिए विभिन्न व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए गए थे, जिनका राज्य मुख्यालय, संसद और भारत निर्वाचन आयोग केसाथ गतिविधियों की बारीकी से निगरानी और समन्वय करने केलिए व्यापक रूपसे उपयोग किया गया। चुनाव प्रक्रिया केसाथ चुनाव केदौरान होनेवाली किसीभी तरह की अनियमितता पर नज़र रखने केलिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ-साथ संसद में मतदान के सभी केंद्रों पर पर्यवेक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। संसद भवन में मतगणना प्रक्रिया केलिए 2 पर्यवेक्षक भी तैनात किए गए थे।
सोलहवें राष्ट्रपति चुनाव केलिए चुनाव आयोग की शुरू की गई नई विशेषताएं थीं, जैसे-चुनाव आयोग ने कोविड-19 पॉजिटिव मतदाताओं को मतदान के अंतिम घंटे में या राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण/ संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से समय-समय पर जारी किएगए सभी मौजूदा कोविड दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सभी गैर-कोविड मतदाताओं के मतदान करने केबाद की अवधि में मतदान करने की अनुमति दी थी। दो कोविड-19 पॉजिटिव मतदाताओं ने तमिलनाडु विधानसभा में अपने वोट डाले और एक कोविड-19 पॉजिटिव संसद सदस्य ने केरल के तिरुवनंतपुरम में अपना वोट डाला। इस बार आयोग ने संबंधित निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया थाकि वे पर्यावरण के अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग सुनिश्चित करें तथा भारत सरकार के मौजूदा निर्देशों के अनुसार निषिद्ध प्लास्टिक सामग्री के उपयोग को समाप्त करें। संविधान के अनुच्छेद 55 (3) के अनुसार भारत के राष्ट्रपति के पद का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्‍यवस्‍था के अनुसार एकल हस्‍तांतरणीय मत के माध्यम से होता है और ऐसे चुनाव में मतदान गोपनीय होता है।
संविधान के चौरासीवें संशोधन कानून-2001 में प्रावधान हैकि जबतक वर्ष 2026 केबाद की जानेवाली पहली जनगणना केलिए जनसंख्या के उपयुक्‍त आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते, तबतक राष्ट्रपति चुनाव केलिए वोटों के मूल्य की गणना के प्रयोजनों केलिए राज्यों की जनसंख्या का अर्थ 1971 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या का निर्धारण होगा। खाली मतपेटियों की हिफाजत और उन्‍हें ईसीआई से राज्यों तक 12 और 13 जुलाई 2022 को सुरक्षित पहुंचाने केलिए पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था कर ली गई थी। इसी तरह 30 मतदान मतपेटियों को वापस लाने केलिए भी राज्य की टीमों केलिए परिवहन व्यवस्था की गई थी। सभी मतपेटियां और अन्य चुनाव सामग्री 19 जुलाई 2022 तक संसद भवन यानी मतगणना स्थल पर पहुंच गई है। मतों की गिनती 21 जुलाई 2022 को 11 बजे से की जाएगी।

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