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Tuesday 19 July 2022 03:51:08 PM
मुंबई। भारतीय बंदरगाहों में निवेश की निजी-सार्वजनिक भागीदारी यानी पीपीपी प्रणाली ने 25 वर्ष केदौरान उल्लेखनीय प्रगति की है। इसकी शुरूआत जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से की गई थी, परिणामस्वरूप क्षमता और उत्पादकता में बढ़ोतरी और सुधार हुआ है। पीपीपी प्रणाली के तहत रियायत देनेवाले प्राधिकार और रियायत पानेवाले केबीच पहला समझौता सफल रहा, जिसने इस वर्ष जुलाई में 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं। प्रमुख बंदरगाहों के मद्देनज़र पीपीपी परियोजनाओं के विकास पर इस समझौते का जबरदस्त असर देखा गया है। अब जेएनपी देश का ऐसा पहला बंदरगाह बन गया है, जहां सभी गोदियों का संचालन पीपीपी प्रणाली से हो रहा है और बंदरगाह की अवसंरचना पर प्राधिकरण का शत प्रतिशत मालिकाना हक रहेगा तथा उसी के नियमों का पालन होगा।
जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह देश का अग्रणी कंटेनर बंदरगाह है तथा विश्व के 100 बंदरगाहों में 26वें नंबर पर आता है, जैसाकि लॉयड लिस्ट टॉप 100 पोर्ट्स 2021 रिपोर्ट में दर्ज है। इस समय जेएनपी में पांच कंटेनर टर्मिनल काम कर रहे हैं, जिसमें से केवल एक बंदरगाह के स्वामित्व में है। अपनी शानदार सुविधाओं की बदौलत जेएनपी अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है, वहां का माहौल उपयोग करने वालों के अनुकूल है तथा दूर-दराज के इलाकों से वह रेल व सड़क के माध्यम से जुड़ा है। सीएफएस, आईसीटी केसाथ कनेक्टिविटी, सम्पूर्ण कस्टम हाउस, हवाई अड्डा, होटल, मुम्बई, पुणे, नासिक से निकटता तथा औद्योगिक पट्टी के कारण यह अनोखा कंटेनर टर्मिनल बन जाता है। जेएनपीसीटी के पास दो गोदियां हैं, जिनकी लंबाई 680 मीटर और तली 15 मीटर है, इन गोदियों को इस पीपीपी संविदा के तहत सौंप दिया जाएगा, इसके तहत 54.74 सहायक रकबा भी शामिल है, यह संविदा 30 वर्ष के लिए है।
जेएनपीसीटी इस समय 9000 टीईयू क्षमता वाले जहाजों को संभालता है, इसकी क्षमता में इजाफा करने केबाद अब वह 12200 टीईयू क्षमता वाले जहाजों को भी संभाल सकता है। यह भी प्रस्ताव किया गया हैकि पटरी पर चलने वाली जहाजी क्रेन की चौड़ाई 20 मीटर से बढ़ाकर 30.5 मीटर कर दी जाए। इस परियोजना केलिए निवेश रियायत प्राप्तकर्ता करेगा, जिसकी लागत 872 करोड़ रुपये होगी। रियायत देने वाला प्राधिकार इस टर्मिनल का उन्नयन, संचालन, रख-रखाव करेगा तथा पीपीपी आधार पर इसे स्थानांतरित कर देगा। इस परियोजना को दो चरणों में क्रियांवित किया जाएगा। पहले चरण में 400 मीटर लंबी गोदी का उन्नयन करके उसे 12,200 टीईयू क्षमता वाले जहाजों को संभालने के लायक बनाया जाएगा। जेएनपीए ने लेटर ऑफ अवार्ड जेएम बख्शी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स लिमिटेड तथा सीएमए टर्मिनल को प्रदान किया है। रियायत सम्बंधी समझौते पर 27 जुलाई 2022 को हस्ताक्षर किए जाएंगे। सभी शर्तों को 180 दिन में पूरा करने केबाद रियायत प्रदान कर दी जाएगी। प्रथम चरण की अवधि रियायत समझौता मिलने की तारीख से 18 महीने तक की होगी, पहले चरण की लागत 591.99 करोड़ रुपये है।
दूसरे चरण में 280 मीटर लंबाई वाली गोदी को उन्नत किया जाएगा, ताकि वह 12,200 टीईयू क्षमता वाले जहाजों को संभाल सके, दूसरे चरण का विकास 1.02 मिलियन टीईयू प्राप्त करने या सात वर्ष में, जोभी पहले हो, उस दौरान चालू होगा। दूसरे चरण को 18 महीने की अवधि में पूरा करना होगा और उसकी लागत 280.17 करोड़ रुपये आएगी। इस परियोजना का 11 निवेशकों ने भरपूर स्वागत किया, ये निवेशक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हैं। संविदा प्राप्त करने केलिए संयुक्त उपक्रम के तौरपर जेएम बख्शी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स और सीएमए टर्मिलन्स ने रियायती अवधि के दौरान 4,520 रुपये प्रति टीईयू की रायल्टी कीमत देने का प्रस्ताव पेश किया है। रायल्टी में थोक मूल्य सूचकांक में तेजी के आधार पर हर वर्ष बढ़ोतरी की जाएगी। नए प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम के तहत टर्मिनल संचालक को यह छूट मिलेगीकि वह शुल्कों को बाजारभाव पर तय कर सके। एमजीसी को आशा हैकि परिचालन के पहले वर्ष का चार लाख टीईयू दसवें वर्ष में बढ़कर नौ लाख टीईयू हो जाएगा तथा 30 वर्ष के समझौते के अंततक इसी तरह बढ़ोतरी होती रहेगी।
बंदरगाह सेक्टर में निवेश को आकर्षित करने केलिए पीपीपी को कारगर तरीका माना जाता है। पीपीपी के तहत अबतक 55,000 करोड़ रुपये की कीमत की 86 परियोजनाओं को मंजूर किया गया है। पीपीपी आधार पर प्रमुख परियोजनाओं में गोदी, मशीनीकरण, तेल जेट्टी का विकास, कंटेनर जेट्टियों का विकास, कंटेनर टर्मिनल के ओ-एंड-एम का विकास, अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल के ओ-एंड-एम का विकास, पीपीपी प्रणाली के गैर-प्रमुख परिसम्पत्तियों का वाणिज्यीकरण, पर्यटन परियोजनाओं का विकास जैसे-बंदरगाहों, द्वीपों का विकास, ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। कार्गो के परिमाण में भी बढ़ोतरी की आशा है, जिसके मद्देनजर यह बढ़ोतरी 2020 के 1.7 प्रतिशत के बढ़कर 2020 तक दोगुनी हो जाएगी। संभावना हैकि पीपीपी या अन्य संचालकों द्वारा प्रमुख बंदरगाहों पर माल की लदाई-उतराई का प्रतिशत वर्ष 2030 तक 85 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए हर वर्ष अहम है। लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने वित्तवर्ष 2025 तक तमाम परियोजनाओं को चिन्हित किया है।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने वित्तवर्ष 2022 केलिए 6954 करोड़ रुपये की 13 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। वित्तवर्ष 2023 में 12,550 करोड़ रुपये की 24 परियोजनाओं को लक्षित किया गया है। वित्तवर्ष 2024 और वित्तवर्ष 2025 में 23,000 करोड़ रुपये की 24 परियोजनाओं की तैयारी है। पारादीप के पश्चिमी बंदरगाह और जेएन बंदरगाह कंटेनर टर्मिनल जैसी उच्च परियोजनाओं का कुल मूल्य 3,800 करोड़ रुपये से अधिक है, इनमें डीपीए की दो परियोजनाओं को आवंटित किया जा चुका है, जिनका मूल्य 6000 करोड़ रुपये है, ये आरएफक्यू चरण में हैं। इस उपलब्धि पर पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा हैकि जैसाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विचार हैकि पीपीपी प्रणाली प्रगति केलिए सक्षम साझेदारों के रूपमें निजी उद्यमों के समावेश के सिद्धांत पर आधारित है, इसके मद्देनजर यह परियोजना टर्मिनल में क्रेन और गोदी की क्षमता के इस्तेमाल में सुधार लाएगी, इसके अलावा जेनपीसीटी में माल की लदाई-उतराई की मौजूदा क्षमता में 2020-21 की 1.5 मिलियन टीईयू से बढ़कर 1.8 मिलियन टीईयू हो जाएगी। उन्होंने कहाकि इससे जेएनपीए की हैसियत ‘भारत के प्रमुख कंटेनर बंदरगाह’ के रूपमें हो जाएगी।