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Wednesday 20 July 2022 04:27:08 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रमंडल खेल-2022 में भाग लेनेवाले भारतीय दल केसाथ बातचीत की। बातचीत में एथलीटों के साथ-साथ उनके कोचों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और खेल सचिव भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस पर राष्ट्रमंडल खेल केलिए भारतीय दल को शुभकामनाएं दीं। शतरंज ओलंपियाड भी 28 जुलाई से तमिलनाडु में हो रहा है। उन्होंने खिलाड़ियों को भारत को गौरवांवित करने केलिए शुभकामनाएं दीं, जैसाकि उनके पूर्ववर्तियों ने पहले किया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि जो 65 से ज्यादा एथलीट पहलीबार इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं, मुझे विश्वास हैकि वो भी अपनी जबरदस्त छाप छोड़ेंगे। उन्होंने उन्हें प्रेरित करते हुए सलाह दीकि आप लोगों को क्या करना है, कैसे खेलना है, इसके आप एक्सपर्ट हैं, मैं बस यही कहूंगाकि जीभरके, जमकर, पूरी ताकत और बिना किसी टेंशन के खेलिएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत के दौरान महाराष्ट्र के एथलीट अविनाश साबले से महाराष्ट्र से आने और सियाचिन में भारतीय सेना में काम करने के उनके जीवन के अनुभव के बारेमें जानकारी ली। उन्होंने कहाकि उन्हें भारतीय सेना में अपने 4 साल के कार्यकाल से बहुत कुछ सीखने को मिला है। अविनाश साबले ने कहाकि भारतीय सेना से उन्हें जो अनुशासन और प्रशिक्षण मिला है, उससे वे जिस क्षेत्र में भी जाएंगे, उन्हें चमकने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने उनसे पूछाकि उन्होंने सियाचिन में काम करते हुए स्टीपलचेज फील्ड को क्यों चुना? उन्होंने कहाकि स्टीपलचेस बाधाओं को पार करने के बारेमें है और उन्होंने सेना में इसी तरह का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रधानमंत्री ने इतनी तेजी से वजन कम करने के उनके अनुभव केबारे में पूछा, उन्होंने कहाकि सेना ने उन्हें खेलों में शामिल होने केलिए प्रेरित किया और उन्हें खुद को प्रशिक्षित करने केलिए अतिरिक्त समय मिला और इससे वजन कम करने में मदद मिली।
प्रधानमंत्री ने 73 किलोग्राम वर्ग में पश्चिम बंगाल की भारोत्तोलक अचिंता शुली से बात की और उनसे पूछाकि वह अपने शांतिपूर्ण स्वभाव और अपने खेल में भारोत्तोलन की शक्ति केबीच संतुलन कैसे बनाती हैं? अचिंता ने कहाकि उनकी नियमित योग दिनचर्या है, जो उन्हें मन को शांत करने में मदद करती है। प्रधानमंत्री ने उनसे उनके परिवार के बारेमें पूछा, जिसपर अचिंता ने जवाब दियाकि उनकी मां और बड़े भाई हैं, जो हर उतार-चढ़ाव में उनका साथ देते हैं। प्रधानमंत्री ने पूछाकि वह खेल के दौरान चोट लगने की समस्या से कैसे निपटती हैं, अचिंता ने जवाब दियाकि चोट लगना खेल का हिस्सा है और वह इसके लिए काफी सावधानी बरतनी हैं। उन्होंने कहाकि वह अपनी गलतियों का विश्लेषण करती हैं, जिससे चोट लगी है और यह सुनिश्चित करती हैंकि भविष्य में उन्हें दोहराया न जाए। प्रधानमंत्री ने उनके प्रयासों केलिए शुभकामनाएं दीं और उनके परिवार विशेष रूपसे उनकी मां और भाई की प्रशंसा की, जिन्होंने यह सुनिश्चित कियाकि अचिंता की सभी जरूरतें पूरी हो, जिससे वह आज यहां हैं।
प्रधानमंत्री ने केरल की बैडमिंटन खिलाड़ी ट्रीसा जॉली से पूछाकि उन्होंने बैडमिंटन को कैसे चुना, जबकि कन्नूर जहां से वह आती हैं, वह फुटबॉल और खेती केलिए लोकप्रिय है, उसने कहाकि उनके पिता ने उसे खेल में भाग लेने केलिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने गायत्री गोपीचंद के साथ उनकी दोस्ती और मैदान पर साझेदारी के बारेमें पूछा। जॉली ने बतायाकि फील्ड पार्टनर केसाथ एक अच्छी दोस्ती का रिश्ता उनके खेल में मदद करता है। प्रधानमंत्री ने वापस आने पर जश्न मनाने की उनकी योजनाओं के बारेमें भी पूछा। प्रधानमंत्री ने झारखंड की हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे से हॉकी के क्षेत्र में उनके और उनके पिता के सफर के बारे में पूछा। टेटे ने कहाकि वह अपने पिता को हॉकी खेलते देखकर प्रेरित हुई थी। प्रधानमंत्री ने टोक्यो ओलंपिक में खेलने का अपना अनुभव साझा करने को कहा। उन्होंने कहाकि वह टोक्यो जाने से पहले प्रधानमंत्री के साथ हुई बातचीत से प्रेरित थी। प्रधानमंत्री ने हरियाणा से शॉटपुट में पैरा एथलीट शर्मिला से बातचीत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शर्मिला से 34 साल की उम्र में खेल में करियर शुरू करने और केवल दो साल के समय में स्वर्ण पदक हासिल करने की प्रेरणा केबारे में पूछा।
पैरा एथलीट शर्मिला ने कहाकि उनकी बचपन से ही खेलों में रुचि रही है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उनकी शादी कम उम्र में हो गई थी और उन्हें अपने पति के अत्याचारों का सामना करना पड़ा था, उसे और उसकी दो बेटियों को छह साल केलिए अपने माता-पिता के पास वापस जाना पड़ा। उनके रिश्तेदार टेकचंद भाई, जो एक ध्वजवाहक थे ने उनका समर्थन किया और उन्हें दिन में आठ घंटे केलिए जोरदार प्रशिक्षण दिया। प्रधानमंत्री ने उनकी बेटियों केबारे में पूछा और कहाकि वह सिर्फ अपनी बेटियों केलिए नहीं, बल्कि पूरे देश केलिए एक आदर्श हैं। शर्मिला ने कहाकि वह चाहती हैंकि उनकी बेटियां खेलों में शामिल हों और राष्ट्र केलिए योगदान दें। प्रधानमंत्री ने उनके कोच टेकचंद के बारेमें भी पूछा, जो एक पूर्व पैरालिंपियन हैं, जिसपर शर्मिला ने जवाब दियाकि वह अपने पूरे करियर में उनकी प्रेरणा रहे हैं। शर्मिला के प्रशिक्षण के प्रति उनका समर्पण ही उन्हें खेलों में प्रतिस्पर्धा करने केलिए प्रेरित करता था। प्रधानमंत्री ने कहाकि दूसरों ने उस उम्र में छोड़ दिया होगा, जिस उम्र में उन्होंने अपना करियर शुरू किया और फिर उन्हें उनकी सफलता केलिए बधाई दी और राष्ट्रमंडल खेल केलिए शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने अंडमान-निकोबार के एक साइकिल चालक डेविड बेकहम से पूछाकि क्या उन्हें फुटबॉल का शौक है, क्योंकि उन्होंने एक दिग्गज फुटबॉलर का नाम साझा किया। उन्होंने कहाकि उन्हें फुटबॉल का शौक था, लेकिन अंडमान में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें खेल को आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिला। प्रधानमंत्री ने पूछाकि इतने लंबे समय तक इस खेल को आगे बढ़ाने केलिए कैसे प्रेरित रहे? उन्होंने कहाकि उनके आसपास के लोगों ने बहुत प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने पूछाकि खेलो इंडिया ने कैसे उनकी मदद की। उन्होंने कहाकि उनकी यात्रा खेलो इंडिया से शुरू हुई और प्रधानमंत्री ने मन की बात में उनके बारे में बात करके उन्हें और प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने सुनामी में उनको अपने पिता को खोने और उसके बाद जल्द ही अपनी मां को खोने के बादभी प्रेरित रहने केलिए उनकी प्रशंसा की। बातचीत केबाद खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि चाहकर भी संसद में व्यस्त रहने के कारण वह उनसे व्यक्तिगत रूपसे नहीं मिल पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उनसे वादा कियाकि जब वे वापस आएंगे तो उनसे मिलेंगे और उनकी जीत का जश्न एकसाथ मनाया जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज का ये समय भारतीय खेलों के इतिहास का एक तरह से सबसे महत्वपूर्ण कालखंड है, आज आप जैसे खिलाड़ियों का हौसला भी बुलंद है, ट्रेनिंग भी बेहतर हो रही है और खेल केप्रति देश में माहौल भी जबरदस्त है। उन्होंने कहाकि आप सभी नए शिखर चढ़ रहे हैं, नए शिखर गढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि जो पहलीबार बड़े अंतर्राष्ट्रीय मैदान पर उतर रहे हैं, उनसे मैं कहूंगाकि मैदान बदला है, आपका मिजाज नहीं, आपकी जिद नहीं, लक्ष्य वही हैकि तिरंगे को लहराता देखना है, राष्ट्रगान की धुन को बजते सुनना है, इसलिए दबाव नहीं लेना है, अच्छे और दमदार खेल से प्रभाव छोड़ना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्रमंडल खेल में एथलीट ऐसे समय में जा रहे हैं, जब देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का उत्सव मना रहा है और एथलीट अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे, जो देश केलिए एक उपहार होगा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ताकि विरोधी कौन है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सभी एथलीटों ने अच्छी तरह से और दुनिया में सबसे अच्छी सुविधाओं केसाथ प्रशिक्षण लिया है तथा उनसे प्रशिक्षण को याद रखने एवं इच्छाशक्ति पर भरोसा करने का आग्रह किया है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि एथलीटों ने जो हासिल किया है, वह निश्चित रूपसे प्रेरणादायक है, लेकिन उन्हें अब नए रिकॉर्ड बनाने और देश एवं देशवासियों केलिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का लक्ष्य रखना चाहिए। प्रधानमंत्री की बातचीत प्रमुख खेल आयोजनों में भाग लेने से पहले एथलीटों को प्रेरित करने के उनके निरंतर प्रयास का एक हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने टोक्यो 2020 ओलंपिक में भाग लेनेवाले भारतीय एथलीटों के दल और टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों केलिए भारतीय पैरा-एथलीटों के दल केसाथ भी बातचीत की थी। खेल आयोजनों के दौरान भी प्रधानमंत्री ने एथलीटों की प्रगति में गहरी दिलचस्पी दिखाई, कई मौकों पर उन्होंने व्यक्तिगत रूपसे एथलीटों को उनकी सफलता और ईमानदार प्रयासों केलिए बधाई देने केलिए फोन किया और उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने केलिए प्रेरित किया, इसके अलावा उनके देश लौटने पर उनसे मुलाकात और बातचीत भी की। राष्ट्रमंडल खेल-2022 बर्मिंघम में 28 जुलाई से 8 अगस्त 2022 तक होंगे। सीडब्ल्यूजी 2022 में खेल की 19 विधाओं में 141 आयोजनों में भाग लेते हुए कुल 215 एथलीट भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।