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Saturday 23 July 2022 06:24:02 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज संसद के केंद्रीय कक्ष में विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा हैकि राजनीतिक प्रक्रियाएं पार्टी संगठनों के तंत्र के माध्यम से संचालित होती हैं, लेकिन पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और 'राष्ट्र सर्वोपरि' की भावना से यह विचार करना चाहिए कि आम देशवासियों के विकास और कल्याण केलिए क्या आवश्यक है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि वह राष्ट्रपति के रूपमें देश की सेवा करने का अवसर देने केलिए भारत के लोगों के हमेशा आभारी रहेंगे। उन्होंने कहाकि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न मंचों पर बातचीत की, सांसदों एवं अन्य क्षेत्रों के लोगों के कई प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और इस दौरान उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों केसाथ काम करने का अवसर भी मिला। राष्ट्रपति ने विशेष सम्मान केलिए सभी का धन्यवाद किया। उन्होंने संसद की महान परंपराओं को जारी रखते हुए उसके संचालन केलिए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी धन्यवाद दिया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि हमारे संविधान के अनुच्छेद 79 में राष्ट्रपति और दोनों सदनों से मिलकर बनी संसद का प्रावधान है, इस संवैधानिक प्रावधान को ध्यान में रखते हुए और उसमें अपनी भावना को पिरोते हुए वह राष्ट्रपति को संसदीय परिवार के अभिन्न अंग के रूपमें देखते हैं। उन्होंने कहाकि किसी परिवार की तरह इस संसदीय परिवार में भी मतभेद होना लाजमी है, वहां भी आगे की राह के बारेमें अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन हम एक परिवार हैं और राष्ट्रहित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि जब हम पूरे राष्ट्र को एक विशाल संयुक्त परिवार के रूपमें देखते हैं तो हम यह भी समझते हैंकि कभी-कभार मतभेद भी पैदा हो सकते हैं, इस तरह के मतभेदों को बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है, विरोध प्रकट करने केलिए नागरिकों और राजनीतिक दलों के पास कई संवैधानिक रास्ते खुले हैं, आखिरकार हमारे राष्ट्रपिता ने उस उद्देश्य केलिए सत्याग्रह के हथियार का इस्तेमाल किया था, लेकिन उन्हें दूसरे पक्ष की भी उतनी ही चिंता थी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि हमारे नागरिकों को अपनी मांगों केलिए दबाव बनाने और विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह हमेशा शांतिपूर्ण गांधीवादी तौर-तरीकों से होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि जनसेवक के रूपमें अपने और सरकारों के प्रयासों पर गौर करते समय हमें यह स्वीकार करना पड़ता हैकि समाज के हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के जीवनस्तर को बेहतर करने केलिए, हालांकि बहुत कुछ किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि देश धीरे-धीरे ही सही लेकिन सधे हुए कदमों से बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि वह मिट्टी से बने कच्चे घर में पले-बढ़े हैं, लेकिन अब ऐसे बच्चों की संख्या काफी कम हो गई है, जिन्हें आजभी उन कच्चे घरों में रहना पड़ता है, जिनमें छत से पानी टपकता हो, आज अधिक से अधिक ग़रीब लोग पक्के घरों में स्थानांतरित हो रहे हैं और इसके लिए उन्हें आंशिक तौरपर सरकार से सीधा समर्थन मिला है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दोनों सदनों की ओर से विदाई दी गई और उनके राष्ट्रपति कार्यकाल की भी खूब सराहना हुई।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि पीने का पानी लाने केलिए हमारी बहनों-बेटियों को मीलों पैदल चलना पड़ता था, जो अब अतीत की बात होती जा रही है, क्योंकि हमारा प्रयास हैकि हरघर में नल से जल पहुंचे, हमने घर-घर में शौचालय भी बनवाए हैं, जो स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत के निर्माण की नींव डाल रहे हैं। उन्होंने कहाकि सूर्यास्त केबाद लालटेन और दीया जलाने की यादें भी पुरानी हो रही हैं, क्योंकि लगभग सभी गांवों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध करा दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि जैसे-जैसे हमारे देशवासियों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं, उनकी आकांक्षाओं में भी बदलाव आ रहा है, अब आम भारतीयों के सपनों को पंख लग गए हैं, यह बदलाव भेदभाव रहित सुशासन सेही संभव हो सका है, यह चौतरफा प्रगति बाबासाहेब की परिकल्पना के अनुरूप है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, सांसद, मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।