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'भक्ति काव्य पर औपनिवेशिक ज्ञान परंपरा हावी'

आलोचक माधव हाड़ा को प्रोफेसर शुकदेव सिंह स्मृति सम्मान प्रदान

'भक्ति काव्य क्यों पढ़ें?' विषय पर कवि अरुण कमल का व्याख्यान

दिवाकर तिवारी

Monday 25 July 2022 04:52:39 PM

professor shukdev singh memorial award ceremony

वाराणसी। 'भक्ति काव्य सम्पूर्ण जीवन का काव्य है, उसमें भूख, दुःख, पीड़ा, संताप और उदासी के कई बिम्ब हैं, भक्ति काव्य सत्ता और समाज का मुखर प्रतिकार करता है तो जीवन के विकल्प भी सुझाता है।' ये विचार प्रसिद्ध कवि अरुण कमल ने 'भक्ति काव्य क्यों पढ़ें?' विषय पर व्याख्यान में व्यक्त किए। यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में प्रोफेसर शुकदेव सिंह स्मृति सम्मान समारोह था, जिसमें अरुण कमल ने कहाकि कबीर, सूर, तुलसी और मीरा आदि के यहां जो शब्द आए हैं, उन शब्दों को देखिए तो समय और समाज की सच्चाई दिखाई देगी। उन्होंने कहाकि भक्ति कविता भाषा और कला की दृष्टि से उच्चतर कविता है, भक्ति कविता सिखाती हैकि मनुष्य का सर मनुष्य के सम्मुख नहीं झुकता।
स्मृति सम्मान समारोह में सुपरिचित आलोचक प्रोफेसर माधव हाड़ा को प्रोफेसर शुकदेव सिंह स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान स्वीकार करते हुए प्रोफेसर माधव हाड़ा ने कहाकि दो तीन दशक में जो औपनिवेशिक ज्ञान परंपरा हावी हुई है, उसने भक्ति काव्य को समझने की देशज शैली को प्रभावित किया है। कबीर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाकि वे हमारे यहां कभीभी जातीय मुद्दा नहीं रहे, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता ने उन्हें भी जाति के सवाल में धकेल दिया। प्रोफेसर माधव हाड़ा ने प्रोफेसर शुकदेव सिंह के योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहाकि परम्परा का मूल्यांकन करने में हमेशा उन जैसे आचार्यों का योगदान स्वीकार किया जाएगा। विषय की प्रस्तावना प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी ने रखी। उन्होंने कहाकि तीन दशक से भक्ति काव्य को अपने-अपने सामाजिक राजनीतिक एजेंडे के रूपमें पढ़ने और उसे व्याख्यायित करने की परंपरा विकसित हुई है, इसलिए भक्ति काव्य ने जिन प्रगतिशील मूल्यों और समानता के भावों पर बल दिया है, उन्हें आज के दौर में बार-बार उद्धृत करने की ज़रूरत है।
प्रोफेसर मनोज सिंह ने समारोह में स्वागत वक्तव्य दिया। इस अवसर पर प्रोफेसर हाड़ा की पुस्तक कालजयी कवि और उनकी काव्य श्रृंखला की छह पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। अमीर खुसरो, कबीर, रैदास, तुलसीदास, सूरदास और मीरा पर इन पुस्तकों को राजपाल एंड संज ने प्रकाशित किया है। इनके साथ हिंदी की प्रसिद्ध लघु पत्रिका बनास जन के ताजा 'मध्यकालीन आख्यान' विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। स्मृति सम्मान समारोह में प्रोफेसर अवधेश प्रधान, प्रोफेसर बलिराज पांडेय, प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी, प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रोफेसर प्रभाकर सिंह भी शामिल हुए। डॉ भगवंती सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया एवं डॉ प्रज्ञा पारमिता ने अतिथियों का परिचय दिया। डॉ महेंद्र प्रसाद कुशवाहा ने स्मृति सम्मान समारोह का संचालन किया।

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