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वाशिंगटन। अमरीका के द्वितीय राष्ट्रपति जॉन ऐडम्ज़ और उनकी धर्मपत्नी ऐबीगेल ने इस भवन में प्रवेश किया था तो वे इसे देख कर चकित रह गए थे। अब यह भवन संसार भर में प्रसिद्ध हो चुका है। इस समय बाराक ओबामा दम्पत्ति और उनकी दो पुत्रियां अमेरीकी राष्ट्रपति के महल की शोभा बढ़ा रहे हैं। ऐडम्ज़ परिवार सन् 1800 में नवंबर के अत्यंत ठंडे महीने में इस भवन में रहने आया था। तब ऐडम्ज़ की राष्ट्रपति पद पर रहने की अवधि कुल चार महीने रह गई थी। फिर यह भवन पूरी तरह बन कर तैयार भी नहीं हुआ था। भृत्यों के आवास भी नहीं बन पाए थे। देश की प्रथम महिला को गीले कपड़े ठंडे पूर्वी कमरे में सुखाने के लिए लटकाने पड़ते थे। उन्होंने अपनी बेटी को बताया था कि 'इस महान किले' में ठंड से बचने के लिए उन्हें 13 अंगीठियां जलानी पड़ती थीं और कुछ ही दिनों में जलाने की लकड़ी खत्म हो गई थी। 'मुझे नहीं सूझता कि मैं क्या करूं,' ऐबीगेल ने लिखा।अमरीका के 26 वें राष्ट्रपति टैडी रूज़वेल्ट ने इस महल जैसे भवन को सरकारी तौर पर ह्वाइट हाउस नाम दिया था। ऐडम्ज़ परिवार ने इस भवन में अपना समय बड़े कष्ट से गुज़ारा था किंतु आज यहां किसी भी प्रकार की असुविधा नज़र नहीं आती। आज यह संसार का सबसे बड़ा राजनीतिक पुरस्कार है और इसे संसार भर में पृथ्वी पर अंतिम महाशक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह भवन बकिंघम प्रासाद या क्रेमलिन में समा सकता है, किंतु ह्वाइट हाउस, जैसा दिखाई पड़ता है, उसकी अपेक्षा यहां कुछ और भी है। इसके बाग़ और मैदान सात हेक्टेयर में फैले हुए हैं। यहां बने 132 कमरों के 412 दरवाज़ों की पीतल की मूठों पर पालिश होती रहती है। यहां मूर्तियां, बेशकीमती झाड़ फ़ानूस, चित्र, कलाकृतियां और रेखाचित्र भी टंगे हैं।संसार में ह्वाइट हाउस ही किसी राष्ट्राध्यक्ष का ऐसा अकेला निवास है जहां आम जनता नियमित रूप से आती जाती है। इनके अलावा यहां आयोजित रात्रि भोजों और स्वागत समारोहों में भाग लेने के लिए प्रति वर्ष एक लाख से भी अधिक सरकारी मेहमान आते हैं। किंतु इन भौतिक बातों, शान शौकत और दर्शकों के अतिरिक्त ह्वाइट हाउस ऐसा स्थान है जो लगभग दो शताब्दियों से अमरीका के राष्ट्रपतियों की परीक्षा और सफलता की घड़ियों का साक्षी रहा है।जैफ़रसन ने 1801 में आठ वर्ष की अवधि के लिए यहां रहना शुरू किया था, तब ह्वाइट हाउस अपने वर्तमान द्वार मंडपों, खंभों और खंडों के बिना भी अमरीका का सबसे बड़ा भवन था। जैफ़रसन कहा करते थे कि यह भवन 'दो सम्राटों, एक पोप और एक मुख्य लामा के रहने के लिए पर्याप्त' था। उन्होंने इस भवन को शानदार रात्रि भोजों, बढ़िया फ्रांसीसी फ़र्नीचर और अपनी ईजाद की हुई खाना लाने ले जाने वाली बढ़ियां लिफ़्टों से समृद्धशाली बनाया। सन् 1807 में उन्होंने टैरेस पैविलियन (खुली छत पर मंडप) बनवाए। उनके बाद आने वाले राष्ट्रपति की पत्नी डॉली मैडिसन ने इन मंडपों का अपने सामाजिक कार्यक्रमों के लिए खूब प्रयोग किया।मैडिसन दंपती बड़े अटपटे दिखाई देते थे, 1.5 मीटर से थोड़ा ऊंचे क़द के और मुश्किल से 45 किलोग्राम वज़न के राष्ट्रपति का व्यक्तित्व मुरझाया हुआ था। किंतु उनकी पत्नी लंबी, भड़कीली, पर दयालु महिला थीं। जेम्स मैडिसन 1808 में राष्ट्रपति चुने गए थे। सन् 1812 में वह फिर से चुने गए। उनकी इस विजय का प्रमुख कारण यही था कि उन्होंने अमरीकी संसद के उन सदस्यों का साथ दिया जो अमरीकी व्यापारिक बेड़े के नाविकों को डराने धमकाने के कारण ब्रिटेन से लड़ने के पक्षधर थे। युद्ध शुरू होने पर अमरीका ने कनाडा पर हमला कर दिया और यॉर्क (इन दिनों टोरंटो) स्थित गवर्नर का घर जला दिया। इसका बदला लेने के लिए ब्रिटिश आक्रमणकारी चेज़ापीक बे से आए और उन्होंने 24 अगस्त 1814 को ह्वाइट हाउस में आग लगा दी, किंतु मूसलाधार वर्षा के कारण इस भवन का बाहरी ढांचा बचा रहा।असली ह्वाइट हाउस जैसा ही भवन केवल तीन साल में फिर बन कर तैयार हो गया। सन् 1817 में जेम्स मनरो यहां रहने आए। उन्होंने इस भवन को फ्रांसीसी साम्राज्य के फ़र्नीचर से भर दिया। वाशिंगटन के निवासियों ने देखा कि मनरो दंपती बहुत ही रूखे थे। वे सामाजिक समारोहों से दूर रहते थे। सन् 1829 में एंड्रयू जैकसन के आने तक ह्वाइट हाउस का दक्षिणी द्वार मंडप बन गया था। जैकसन के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर कम घने आबाद इलाक़ों के उनके लगभग 20,000 प्रशंसक यहां जमा हो गए थे और उन्होंने इसे सराय बना दिया था, फिर भी जैकसन ने इस भवन को खाने पीने के बहुत बढ़िया पात्रों से सजाया संवारा और आठ साल तक राजनीतिक लोगों का शानदार स्वागत सत्कार कर उनका मनोरंजन करते रहे।अब्राहम लिंकन के ज़माने में ह्वाइट हाउस सैनिक सदर मुक़ाम बन गया था। तब इस पर दक्षिण अमरीकी राज्यों का अलग संघ बनाने वालों के जासूसों की नज़र लगी रहती थी। संघीय सरकार की सेना पूर्वी कक्ष में डेरा डाले थी। उनकी गृह युद्ध की परेशानियां अस्थिर चित्त पत्नी के कारण और बढ़ गई थीं। एक बार मैरी लिंकन ने ह्वाइट हाउस को फिर से सजा संवार कर अपने शौक़ को तो पूरा कर लिया, किंतु ऐसा करने में उन्होंने संसद के इस काम के लिए स्वीकृत 20 हज़ार डॉलर से बहुत अधिक राशि खर्च कर दी। यह देख लिंकन को बहुत क्रोध आया। 'इस पुराने मकान की चमक दमक पर,' लोगों के करों से वसूल किए गए धन की उसने कैसी फिजूलखर्ची कर दी 'जबकि सैनिकों के पास कंबल तक नहीं?' उन्होंने उनसे पूछा।अब्राहम लिंकन ने 1863 के नव वर्ष दिवस पर ग़ुलामों को मुक्ति देने की घोषणा पर ह्वाइट हाउस के अपने कार्यालय में हस्ताक्षर किए थे। तब उनका कार्यालय दूसरी मंज़िल के साधारण से कमरे में हुआ करता था। अप्रैल 1865 में उन्हें स्वप्न आया कि पूर्वी कमरे में ताबूत रखने के लिए चबूतरा बना है जिसके चारों ओर सैनिक और शोकाकुल नागरिक जमा हैं। कुछ ही दिन बाद उनका यह दु:स्वप्न सत्य हो गया। अब्राहम लिंकन की हत्या के कारण ह्वाइट हाउस में अव्यवस्था छा गई। शोक में डूबी मैरी, पांच सप्ताह तक अपने बिस्तर में पड़ी रहीं और इस बीच उठाईगीर बेरोकटोक घूमते रहे और उन के हाथ जो लगा, उसे चुराते रहे।राष्ट्रपति यूलिसिस एस ग्रांट की पत्नी जूलिया ने अपने पति के आठ वर्ष (1869-77) के शासन काल में इस भवन को फिर से सजाया संवारा और यहां का सामाजिक जीवन फिर शुरू किया। पूर्वी कक्ष में उनकी बेटी नैली की शानदार शादी हुई। जूलिया ग्रांट ने ह्वाइट हाउस के अपने जीवन को 'शानदार और सुंदर स्वप्न' बताया। उनके पति ने कहा, 'मैं उस जगह को कभी नहीं छोड़ना चाहता था, किंतु राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए उत्सुक था।' ग्रांट के उत्तराधिकारी रदरफ़ोर्ड बी हेज़ को भी राष्ट्रपति पद का काम अच्छा नहीं लगा। उन्होंने और उनकी पत्नी ने ह्वाइट हाउस के सभी समारोहों में मद्य परोसने पर पाबंदी लगा दी थी। इस पर उनका मज़ाक उड़ाया गया था। हेज दंपत्ति अपनी पांचों संतानों से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने ही ह्वाइट हाउस में सबसे पहली बार ईस्टर-ऐग रोल का आयोजन शुरू किया था।उपराष्ट्रपति टैडी रूज़वेल्ट की आयु 42 वर्ष ही थी कि 1901 में विलियम मैकिनली की हत्या के कारण वह अचानक ह्वाइट हाउस में आ गए। वह अमरीका के सबसे छोटी उम्र के राष्ट्रपति थे। उनके साथ उनके छ: हंसमुख और शैतान बच्चे भी आए जो तीन साल से 17 साल तक के थे। इन बच्चों ने गंभीर वातावरण वाले ह्वाइट हाउस को रात-दिन खेलने का मैदान बना दिया। वे अपने पिता के साथ तकिया युद्ध करते, पालतू सांप से अतिथियों को डराते और घास के मैदान में टट्टू दौड़ाते।पहले से अधिक कर्मचारी मिल जाने पर दूसरे राष्ट्रपति, इस भवन में जगह की तंगी के कारण झुंझलाने लगे थे। रूज़वेल्ट का परिवार बड़ा था। उन्होंने 1902 में इस भवन का बड़े पैमाने पर विस्तार करने का आदेश दिया। इसके कारण सफ़ेद चूना पत्थर का पश्चिमी खंड बनाया गया। इस खंड में राष्ट्रपति का कार्यालय, मंत्रिमंडल कक्ष, संवाददाता कक्ष और अनेक कर्मचारियों के कार्यालय थे। मुख्य भवन की दूसरी मंजिल, परिवार का आवास बन गई। रूज़वेल्ट ने इस भवन का मौलिक स्वरूप सुरक्षित रखने पर भी ध्यान दिया। वह 'राष्ट्र की इस संपत्ति' में अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों की उपस्थिति निरंतर अनुभव करते रहते थे।रूज़वेल्ट के उत्तराधिकारी, 136 किलोग्राम वज़न के विलियम हॉवर्ड टैफ़्ट ने 1909 में पश्चिमी खंड में ओवल ऑफ़िस बना कर इसे वास्तव में काम करने की जगह बना दिया। किंतु टैफ़्ट को इस कार्यालय को इस्तेमाल करने का बहुत कम समय मिल सका, और न ही वह अपने नहाने के लिए बनाए गए विशालकाए टब का प्रयोग कर सके, क्योंकि दूसरी बार के चुनाव में वुडरो विल्सन ने उन्हें हरा दिया। विल्सन उच्च विचारों और आदर्शो से अनुप्राणित प्रेसबिटेरियन ईसाई थे। वह अपनी पत्नी ऐलेन से बहुत स्नेह करते थे। वह यूरोप में महायुद्ध शुरू होते ही 1914 में मरी तो विल्सन कई दिन तक उनके शव के पास बैठे रहे थे। उन्होंने शव ताबूत में भी रखने नहीं दिया।बाद में विल्सन ने ईडिथ गॉल्ट से विवाह कर लिया और उनका मधुर दांपत्य जीवन फिर शुरू हो गया। किंतु सार्वजनिक क्षेत्र में उनका जीवन तनावों से परिपूर्ण था। युद्ध के उन्माद ने उन्हें अपना शांतिवाद छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उन्हें अमरीकी सैनिक यूरोप भेजने पड़े। दो वर्ष से भी कम अवधि में 1लाख 17 हज़ार अमरीकी सैनिक मारे गए। युद्ध समाप्त हो गया, और अमरीकी सीनेट ने वरसाइ संधि की पुष्टि करने से या लीग ऑव नेशंस में अमरीका के शामिल होने से इनकार कर दिया। विल्सन को लकवा मार गया, जिसके कारण वे अपंग हो गए। ह्वाइट हाउस के अपने अंतिम 17 महीनों में ईडिथ विल्सन गुपचुप रूप से अमरीका के राष्ट्रपति पद का काम चलाती रहीं।फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट जब मार्च 1933 में 1600, पेंसिलवेनिया एवेन्यू पहुंचे तो वे लोगों से मिलने जुलने में सकुचाते थे। वह पहली बार ओवल कार्यालय के एकांत में हर्बर्ट हूवर की पुरानी मेज़ के पीछे बैठे तो अचानक उनके दिमाग़ में ख़ालीपन छा गया। कमरे में शांति थी, उन्हें दबाने के लिए कोई बटन नहीं दिखाई दिया। मेज की दराजें ख़ाली थीं। काफ़ी समय इसी तरह बीत गया। अंत में रूज़वेल्ट ने चुप्पी तोड़ी-वह चिल्ला पड़े। लोग भागते हुए आए, कार्यालय लोगों से भर गया और नए राष्ट्रपति हुक्म जारी करने लगे।फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट की तुलना में हैरी ट्रूमैन किसी और ग्रह के निवासी लगते थे। रूज़वेल्ट के लिए ह्वाइट हाउस काम करने की जगह थी। किंतु अमरीका के इतिहास के प्रेमी ट्रूमैन के लिए यह स्थान पूजनीय था। ट्रूमैन कोने का पत्थर ग़ायब हो जाने जैसी बातों पर झुंझलाते रहते थे। उन्हें सबसे अधिक चिंता 150 वर्ष पुराने भवन की हालत को लेकर रहती थी। उनकी बेटी मार्गरेट के पियानो की एक टांग निचले कमरे की छत से निकलने पर उन्होंने भवन का निरीक्षण करने का हुक़्म दिया और सारे भवन की पूरी मरम्मत करने की सिफ़ारिश की।ह्वाइट हाउस के अंदर मरम्मत होने के दौरान ट्रूमैन सड़क पार ब्लेयर हाउस में रहने लगे। इस काम में लगभग तीन साल लग गए, और 1994 के हिसाब से इस सारे काम पर क़रीब 3.4 करोड़ डॉलर ख़र्च हुए। किंतु जब ट्रूमैन वापस लौटे तो ह्वाइट हाउस न केवल ध्वस्त होने से बचा लिया गया था, अपितु यह बिलकुल नया हो गया था। नौ वर्ष बाद जैकलीन कैनेडी ने ह्वाइट हाउस के अभ्यांतर को प्राचीन वस्तुओं से सजाया ताकि देश के प्रारंभिक वर्षो की स्मृति जागृत हो। इस तरह का कार्यक्रम इतने बड़े पैमाने पर कभी शुरू नहीं किया गया था। सन् 1961 में अमरीकी संसद ने क़ानून पास कर ह्वाइट हाउस के संग्रह को और राजकीय कक्षों को 'संग्रहालय की मान्यता' प्रदान की। इस क़ानून के कारण आने वाले राष्ट्रपति इन वस्तुओं को ह्वाइट हाउस से नहीं हटा सकेंगे,जैसा कि पिछले कुछ राष्ट्रपतियों ने किया था।ह्वाइट हाउस में एक सरकारी संग्रहाध्यक्ष नियुक्त है। आम तौर पर परिवार के कमरों आदि में ही परिवर्तन किए जाते हैं, हालांकि तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ओवल ऑफिस में नए रंगों की सज्जा करवाई। अमरीकी राष्ट्रपति के रूप में कई महान हस्तियां इस भवन में रहीं हैं, सीनियर और जूनियर जॉर्ज डब्लू बुश भी ह्वाइट हाउस में आए। इस समय बाराक ओबामा और उनका परिवार ह्वाइट हाउस में है, उस ह्वाइट हाउस में जो आज इस युग में अमरीका की शक्ति और उसके स्थायित्व का चरम प्रतीक बन गया है।यहां राष्ट्रपति आते हैं और जाते हैं, किंतु लोकतांत्रिक व्यवस्था के वरदान स्वरूप ये लोग उस स्थान में रहते हैं जिसे हर अमरीकी को अपना समझने का पूरा अधिकार है। जॉन ऐडम्ज़ ने इस भवन में अपने निवास की दूसरी रात को लिखा था-'प्रभु से मेरी प्रार्थना है कि इस भवन पर और आगे इसमें रहने के लिए आने वाले सभी महानुभावों पर, आपका वरदहस्त बना रहे, 'इस भवन से केवल ईमानदार और बुद्धिमान मनुष्यों के अतिरिक्त कोई और कभी शासन न करे।'