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Thursday 28 July 2022 04:41:08 PM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में 17+ वर्ष के युवाओं को भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने केलिए अग्रिम रूपसे आवेदन करने का अवसर दे दिया है। युवाओं को इसके लिए किसी वर्ष की 1 जनवरी को 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पूर्वापेक्षित मानदंड की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अनूपचंद्र पांडेय ने निर्वाचन आयोग के सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को इस तरह के प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधान तैयार करने के निर्देश दिए हैं, ताकि युवाओं को न केवल 1 जनवरी, बल्कि तीन पश्चातवर्ती अर्हक तिथियों अर्थात 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर के संदर्भ में भी अपने अग्रिम आवेदन दाखिल करने की सुविधा मिल सके। बीएलओ को पूरी तरह निगरानी में रखा गया है। उसके आवेदन प्रारूपों की सूची भी इस घोषणा के साथ प्रस्तुत करेगा कि उसने आवेदन प्रारूपों के विवरणों का व्यक्तिगत रूपसे सत्यापन कर लिया है और उसका यह समाधान हो गया है कि वे सही हैं।
निर्वाचक नामावली अबसे प्रत्येक तिमाही में अद्यतन की जाएगी और पात्र युवाओं को उस वर्ष की अगली तिमाही में पंजीकृत किया जा सकता है, जिसमें उन्होंने 18 वर्ष की पात्रता आयु पूरी कर ली हो। पंजीकरण करवाने केबाद उन्हें निर्वाचक फोटो पहचानपत्र जारी किया जाएगा। निर्वाचक नामावली-2023 के वार्षिक पुनरीक्षण के चालू राउंड केलिए वर्ष 2023 के 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाला कोई भी नागरिक मतदाता के रूपमें पंजीकरण केलिए निर्वाचक नामावली के प्रारूप प्रकाशन की तारीख से अग्रिम आवेदन जमा कर सकता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 14 (ख) में विधिक संशोधनों और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम-1960 में परिणामी संशोधनों के अनुसरण में निर्वाचन आयोग ने विधानसभा या संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावली को तैयार करने या उसका पुनरीक्षण करने केलिए आवश्यक परिवर्तन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
स्मरण रहेकि निर्वाचन आयोग की अनुशंसा पर विधि एवं न्याय मंत्रालय ने हाल हीमें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया है, जिसमें निर्वाचक नामावलियों में युवाओं केलिए पंजीकृत होने की पात्रता केलिए केवल 1 जनवरी की पूर्ववर्ती सिर्फ एक अर्हक तिथि की पुरानी व्यवस्था के उलट चार अर्हक तिथियों अर्थात 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्तूबर का उपबंध किया गया है। मौजूदा नीति के अनुसार अर्हक तिथि के रूपमें आनेवाले वर्ष की पहली जनवरी के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का पुनरीक्षण सामान्यतया सभी राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष के उत्तरवर्ती भाग में किया जाता था, ताकि निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन उत्तरवर्ती वर्ष की जनवरी के प्रथम सप्ताह में किया जा सके। इसका अर्थ यह हुआकि 1 जनवरी केबाद बड़ी संख्या में 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं को नामांकन केलिए अगले वर्ष के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण की प्रतीक्षा करनी पड़ती थी और वे बीच की अवधि में हुए चुनाव में भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते थे।
चुनाव आयोग ने पंजीकरण प्रारूपों को भी प्रयोक्ता केलिए और अधिक अनुकूल तथा सरल बना दिया है। नव-आशोधित प्रारूप 1 अगस्त 2022 से लागू होंगे, इससे पहले पुराने प्रारूपों में प्राप्त सभी आवेदनों पर कार्रवाई की जाएगी और इनका निस्तारण किया जाएगा तथा ऐसे मामलों में नए प्रारूपों में आवेदन दाखिल करने की जरूरत नहीं है। आयोग ने मतदान होने वाले राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में अर्हक तिथि के रूपमें 1 जनवरी 2023 के संदर्भ में वार्षिक संक्षिप्त पुनरीक्षण का आदेश दिया है। पुनरीक्षण-पूर्व सभी गतिविधियां आयोग के मौजूदा अनुदेशों और दिशानिर्देशों तथा निर्वाचक नामावली मैनुअल-2016 और मतदान केंद्र मैनुअल-2020 के अनुसार की जाती हैं। पुनरीक्षण और पुनरीक्षण-पूर्व गतिविधियां इस तरह से की जाती हैं कि निर्वाचक नामावलियां अंतिम रूप से राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी से काफी पहले प्रकाशित की जा सकें, ताकि नए निर्वाचकों विशेषकर युवा मतदाताओं (18-19 वर्ष) केलिए तैयार एपिक राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर समारोह में उन्हें वितरित किए जा सकें।
पुनरीक्षण-पूर्वगतिविधियों में मतदान केंद्रों का युक्तीकरण या पुनर्निधारण, समान नाम वाली प्रविष्टियों/ समान फोटो वाली प्रविष्टियों की विसंगतियों को दूर करना और 1 अक्टूबर 2022 की अर्हक तिथि के रूपमें संदर्भ में पूरक एवं एकीकृत प्रारूप नामावली तैयार करना शामिल है। आयोग ने पुनरीक्षण-पूर्व कार्यकलापों के वर्तमान चरण के दौरान यह सुनिश्चित करने हेतु निर्देश दिया हैकि डीएसई/ पीएसई को निर्वाचक नामावली से 100% हटाए जाने और एपिक में विसंगतियों को दूर करनेके लिए सभी प्रयास किए जाएं। नवंबर में शुरू होनेवाले पुनरीक्षण कार्यकलापों में एकीकृत प्रारूप निर्वाचक नामावली के प्रकाशन के बाद प्राप्त दावों और आपत्तियों का निपटान किया जाना शामिल है। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के तहत प्रारूप निर्वाचक नामावली में दावे और आपत्तियां दाखिल करने के लिए एक माह की अवधि उपलब्ध है। मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा सप्ताहांतों पर विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिसके लिए संबंधित सीईओ तारीख का प्रचार-प्रसार करेंगे। अंतिम निर्वाचक नामावली 5 जनवरी 2023 को प्रकाशित की जाएगी।
आधार संख्या को निर्वाचक नामावली डाटा से जोड़ने केलिए निर्वाचकों के आधार संबंधी विवरण मंगवाने केलिए आशोधित पंजीकरण प्रपत्रों में प्रावधान किया गया है। मौजूदा निर्वाचकों की आधार संख्या के संग्रहण केलिए एक नया प्रपत्र-6ख भी शुरू किया गया है, तथापि किसी व्यक्ति द्वारा आधार संख्या नहीं देने या सूचित नहीं करने पर निर्वाचक नामावली में नाम शामिल करने संबंधी किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाएगा और निर्वाचक नामावली से कोई प्रविष्टि नहीं हटाई जाएगी। आवेदकों की आधार संख्या के संबंध में कार्रवाई करते समय, आधार (वित्तीय और अन्य रियायतें, लाभ और सेवाओं का लक्षित परिदान) अधिनियम-2016 की धारा 37 के तहत दिए गए उपबंध का पालन अवश्य किया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। यदि निर्वाचकों से संबंधित जानकारी सार्वजनिक रूपसे प्रदर्शित करनी अपेक्षित हो तो आधार विवरण को अनिवार्यतः हटा या ढक दिया जाना चाहिए। मौजूदा निर्वाचकों की आधार संख्या के संग्रहण केलिए 1 अगस्त 2022 से एक समयबद्ध अभियान शुरू किया जा रहा है, आधार संख्या प्रदान करना पूरी तरह से स्वैच्छिक है, इसका उद्देश्य निर्वाचकों की पहचान स्थापित करना और निर्वाचक नामावली में प्रविष्टियों को अधिप्रमाणित करना है।
निर्वाचक नामावली में उन्नयन के प्रयोजन से निर्वाचन आयोग ने बूथ स्तर अधिकारियों से फील्ड सत्यापन की आवश्यकता पर जोर दिया है। निर्वाचन तंत्र के विभिन्न स्तरों जैसे पर्यवेक्षकों, ईआरओ एवं एईआरओ के फील्ड सत्यापन से किए गए कार्य की कड़ी जवाबदेही तय करने केलिए पर्यवेक्षण और जांच हेतु एक तंत्र विद्यमान है। इसी प्रकार दावों और आपत्तियों पर अंतिम निर्णय लेने से पहले ईआरओ के कार्य की जांच डीईओ, नामावली प्रेक्षकों तथा सीईओ द्वारा भी की जाती है। इसके अतिरिक्त और ज्यादा औचक जांच करने तथा पर्यवेक्षण के लिए भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों तथा सीईओ कार्यालय को भी नियोजित किया जाता है। राजनीतिक दलों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के दृष्टिगत आयोग ने मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों को इस शर्त के अध्यधीन अधिक संख्या में आवेदन दाखिल करने की अनुमति दी गई हैकि एक बीएलए बूथ स्तर अधिकारी के पास एक बार या एक दिन में 10 से अधिक प्रारूप जमा नहीं करेगा। यदि कोई बीएलए दावों और आपत्तियों को दाखिल करने की सम्पूर्ण अवधि के दौरान 30 से अधिक आवेदन/ प्रारूप दाखिल करता है तो ईआरओ/ एईआरओ को स्वयं उनका अनिवार्यतः प्रतिसत्यापन करना होगा।