Monday 1 August 2022 06:12:28 PM
दिनेश शर्मा
मुंबई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजदार मंत्री और तृणमूल के वरिष्ठतम नेता पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी और अकूत धन की बरामदगी के बाद ममता बनर्जी जिस तरह बैकफुट पर हैं, उसीकी मानिंद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और शिवसेना के 'महाप्रभु' उद्धव ठाकरे के राजदार और शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत को भी ईडी द्वारा घरसे उठाए जानेपर आका उद्धव ठाकरे बौखलाए और बैकफुट पर हैं और उनके 'सिंडिकेट' की सारी हेकड़ी निकल गई है। संजय राउत ईडी के सामने अपने को बचाने केलिए कहीं उनके गहरे राज न खोल दे, इस भय से उद्धव ठाकरे संजय राउत के साथ खड़े होने, बीजेपी को हिटलर और शिवसेना को खत्म करने की साजिश जैसे बयान दे रहे हैं। संजय राउत को हिरासत में ले जाते समय उसके घरके बाहर उसका भगवा दुपट्टा लहराने का अंदाज बता रहा थाकि यह समर्थकों के बीच हेकड़ी का कितना बड़ा ढोंग है, जबकि उसे यह भी पूरी तरह एहसास हैकि वह लंबा 'अंदर' गया है, ईडी को हाथ लगे उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत न केवल उसका, बल्कि उसके आका उद्धव ठाकरे का भी राजनीतिक और सामाजिक करियर तबाह कर चुके हैं।
उद्धव ठाकरे और शिवसेना के मुखपत्र सामना के कवच में संजय राउत ने एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का जमीन घोटाला करके एवं सामना की पत्रकारिता के नाम पर मुंबई के फिल्म निर्माताओं, कलाकारों, बिल्डरों, राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों, सरकारी कर्मचारियों और नौकरशाहों आदि को अनवरत ब्लैकमेल कर ईमानदारी का ढोंग किया है। संजय राउत काफी समय से सबको देख लेने की धमकियां देता आया है। महाराष्ट्र में मुंबई में कभी किसी की शिवसेना के इस ब्लैकमेलर के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि एक तो उसका शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे का मुंह लगा प्यादा होना और दूसरी तरफ शिवसेना के मुखपत्र सामना का संपादक होना, तीसरे शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं के नामपर एक इशारे में किसी पर भी ग़ुंडों की फौज चढ़ा देना उसकी ताकत मानी जाती है। मुंबई और महाराष्ट्र ने उद्धव ठाकरे और संजय राउत के 'सिंडिकेट' का एक ऐसा भयानक दौर देखा है, जिसके सामने अच्छे-अच्छे तौबा कर जाएं। देश पर राज करने वाली बीजेपी भी एक समय यहां चुप ही होकर बैठ गई थी। उद्धव ठाकरे जब देखो तब संजय राउत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के नेताओं तक को धमकवा रहे थे। संजय राउत आग उगल रहा थाकि मानों महाराष्ट्र उसकी ऊंगलियों पर नाच रहा था। समय की चाल के सामने न उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री पद बचा, न शिवसेना बची और न ही संजय राउत का भौकाल बचा है।
उद्धव ठाकरे मीडिया से कह रहे हैंकि उन्हें मरना मंजूर है, लेकिन गुलाम नहीं बनूंगा। सवाल हैकि उन्हें कौन गुलाम बना रहा है? अबतक तो वह अपने प्यादे संजय राउत के ही गुलाम हैं। कदाचित आज की तारीख में बीजेपी को उद्धव ठाकरे की कोई जरूरत नहीं होगी। जिसके पास शिवसेना भी नहीं रही है और जो सपरिवार गले तक भ्रष्टाचार में डूबा है, जिसका प्रवक्ता सबूतों के साथही ईडी ने उठाया है। उद्धव ठाकरे मीडिया के सामने क्या कहना चाहते हैं, क्या दबाव बनाना चाहते हैं? उद्धव ठाकरे बोल रहे हैंकि संविधान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है, बीजेपी के खिलाफ जो बोलता है, बीजेपीवाले उसे मिटा देते हैं, विरोध में बोलने वालों को जेल भेजा जा रहा है। सवाल हैकि यह कौन नहीं जानता कि उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए और उनके प्रवक्ता संजय राउत ने क्या-क्या नहीं किया है? किस-किस तरह के बोल बोले हैं? बीजेपी और ईडी तकको किस तरह की धमकियां दी हैं, किस तरह से लोगों को डराया है, जिन विधायकों ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ा उनके घरों पर किस तरह धमकियां दी गईं हैं जैसे-प्रदर्शन और हिंसा कराई गई। उद्धव ठाकरे में बहुत घबराहट नज़र आ रही है, क्योंकि उद्धव ठाकरे और संजय रावत ने सरकार में रहते हुए न केवल भ्रष्टाचार मचाया, छत्रपति शिवाजी और बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व का भी कांग्रेस और एनसीपी से सौदा कर लिया था।
महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर विश्लेषण करनेवाले कहते हैंकि उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं का गुलाम बना दिया था जिन्हें एकनाथ शिंदे ने उनसे मुक्त कराया। उनका अपमान दर अपमान होता रहा और उद्धव ठाकरे मातोश्री में बैठकर संजय राउत से मिलकर दलाली वाली सरकार चलाते रहे। शिवसेना के नेताओं कार्यकर्ताओं से उनका कोई संवाद नहीं था। उद्धव ठाकरे का लड़का आदित्य ठाकरे, सोनिया गांधी, शरद पवार और संजय राउत ही सरकार चला रहे थे। शिवसेना के अनेक जमीनी नेता भी उद्धव ठाकरे नहीं मिल सके, बल्कि उद्धव ठाकरे उनका अपमान ही करते कराते रहे, जबकि उद्धव ठाकरे कह रहे हैंकि बीजेपी लोकतंत्र में भरोसा नहीं करती। शिवसैनिक उद्धव ठाकरे से पूछ रहे हैंकि जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो फिर वह उस कांग्रेस और एनसीपी के साथ क्यों गए, जिन्होंने बाला साहब ठाकरे और हिंदुत्व का अपमान किया? उद्धव ठाकरे कह रहे हैंकि बीजेपी अपने सहयोगियों से गुलामों जैसा व्यवहार करती है, अगर ऐसा है तो फिर क्या कारण हैकि देशके सभी राज्यों में बीजेपी सरकार बनाती जा रही है? आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया और क्या कारण हैकि दूसरे दलों के लोग भी बड़ी संख्या में भारतीय जनता पार्टी केसाथ आने को आतुर हैं? क्या कारण रहे हैं कि उनका खास कार्यकर्ता और शिवसेना विधायक दल का नेता एकनाथ शिंदे उनके विधायक लेकर बीजेपी के साथ खड़ा हो गया और सरकार बना ली?
कहा जा रहा हैकि उद्धव ठाकरे के पास आज मीडिया के सामने बैठकर बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी करने के अलावा कुछ नहीं बचा है। शिवसेना तो उनके हाथ से निकल ही गई है, अभी उनके पास चुनाव चिन्ह तीरकमान और शिवसेना भवन बचा है, वह समय भी बहुत जल्द आने वाला है, जब ये दोनों उनके हाथ से निकल जाएंगे। मौजूदा हालात से यह लगता हैकि उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे को भी संजय राउत की तरह जेल जाना पड़ सकता है, क्योंकि ईडी संजय राउत से वह सब राज उगलेगा, जिनसे उद्धव ठाकरे की परेशानियां बढ़ जाएंगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना हैकि संजय राउत शिवसेना केलिए घातक सिद्ध हुआ है। भारतीय जनता पार्टी ने उद्धव ठाकरे को बहुत समझाने की कोशिश की थी, वरिष्ठ शिवसैनिकों ने भी उन्हें समझाया था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने उनको समझाने वालों केलिए मातोश्री और मंत्रालय के भी दरवाजे बंद कर दिए थे। उद्धव ठाकरे कह रहे हैंकि बीजेपी हिटलर की तरह से काम कर रही है, तो उनकी शिवसेना को तो उनके ही विधानमंडल दल के नेता एकनाथ शिंदे ने तोड़ा है और एकनाथ शिंदे ने बयान भी दियाकि हम उसी बीजेपी के साथ सरकार बनाएंगे, जिसके साथ हिंदुत्व के नामपर चुनाव लड़ा था। विधानसभा में सरकार बचाने की जोड़-तोड़ की कोशिश भी उद्धव ठाकरे, संजय राउत, शरद पवार और सोनिया गांधी की थी।
उद्धव ठाकरे को संजय राउत यकीन दिला रहा था, कि वह चिंता ना करें, शिवसेना की सरकार को कोई खतरा नहीं है, किंतु संजय राउत और शरद पवार के झांसे में आकर उद्धव ठाकरे ने अपने और शिवसेना को भी नष्ट कर लिया है, उद्धव ठाकरे अब मातोश्री में बैठकर मक्खियां मारें। शिवसैनिक कुछ समय तकही उनके आगे-पीछे नज़र आएंगे, लेकिन धीरे-धीरे वहां एक भी शिवसैनिक दिखाई नहीं देगा, प्यादा जेल जा ही चुका है। पात्रा चॉल घोटाला कोई मामूली घोटाला नहीं है। गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाकर प्रवीण राउत के नाम पर जो ज़मीन का खेल खेला गया, उसकी जानकारी उद्धव ठाकरे या आदित्य ठाकरे को नहीं हो, क्या यह संभव है? ईडी ने संजय राउत को इस संबंध में पूछताछ केलिए कई बार बुलाया, लेकिन वह ईडी के बुलावे पर नहीं गया। ईडी के समन की अवहेलना का यही परिणाम होना था। संजय राउत की यह ढिठाई उद्धव ठाकरे को भी महंगी पड़ गई है। उद्धव ठाकरे बचाव में भले ही चिल्ला रहे होंकि यह शिवसेना को खत्म करने की साजिश है। सवाल हैकि शिवसेना अब खत्म कहां हो रही है, शिवसेना तो कहीं और चली गई है और उसी का नेता एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री है। शिवसेना तो महाराष्ट्र में फिर से जिंदा हुई है, जिसे उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत ने खत्म कर दिया था।
संजय राउत धमकियों का उस्ताद कहलाता है। वह शिवसेना कार्यकर्ताओं के नामपर गली के गुंडों को किसीके भी खिलाफ उकसाकर प्रदर्शन और तोड़फोड़ कराने में माहिर है। मुंबई के सिनेमाहालों पर कोई भी फिल्म संजय राउत को चढ़ावे के बिना नहीं चढ़ती, भले ही उसका हिस्सा कहीं और भी जाता हो। शूटिंग सेट पर भी संजय राउत के गुंडे जा चढ़ते हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना पर उसका एकाधिकार जगजाहिर है। सामना के प्रत्येक अंक में किसी न किसी पर हमला जरूर मिलता है। कहते हैंकि सामना ब्लैकमेलिंग का प्लेटफार्म बनकर रह गया है, जिसका पत्रकारिता से कोई मतलब नहीं है, बस उसकी न्यूसेंस वैल्यू मानी जाती है। संजय राउत पर इस प्रकार के अनेक इल्जाम हैं, जिनपर चर्चा करने से वह व्यक्तिगत दुश्मनी पर उतर आता है। संजय राउत से ईडी ने उसके घरमें घुसकर लंबी पूछताछ की और वहीं से उसे हिरासत में लिया। रात उसको गिरफ्तार कर लिया गया। संजय राउत ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका के बाद उद्धव ठाकरे गुट के शिवसैनिकों को बहुत उकसाया भड़काया, लेकिन अपवाद को छोड़कर उसकी गिरफ्तारी के विरोध में ज्यादा शिवसैनिक सड़कों पर नहीं आए। सेशन कोर्ट ने संजय राउत को ईडी को चारदिन की रिमांड पर दे दिया है, जिससे ईडी अपने दफ्तर में उससे पूछताछ कर रही है।
संजय राउत ईडी को काफी समय से चकमा दे रहा था और ईमानदारी के ढोंग कर रहा था। अंतत: ईडी संजय राउत के घर ही जा धमकी और घर की भी जमा-तलाशी लेकर बेहिसाब करीब ग्यारह लाख रुपये, कुछ दस्तावेज केसाथ उसे गिरफ्तार करके अपने मुख्यालय ले गई। आज उसे अदालत में पेश किया गया, जहां उसे पूछताछ केलिए ईडी को दे दिया गया। संजय राउत ईडी की पूछताछ के सामने न केवल अपने किए के सारे राज उगलेगा, वह उद्धव ठाकरे को बारे में भी बहुत कुछ बताएगा। इससे उद्धव ठाकरे की हालत बहुत पतली हो गई है, क्योंकि पूछताछ में न जाने वह क्या-क्या राज बोल जाए। उद्धव ठाकरे बौखलाए हुए हैं और मीडिया के सामने रोना-धोना कर रहे हैं। देखना हैकि संजय राउत से पूछताछ में क्या-क्या राज सामने आते हैं। इतना तो तय माना जा रहा है कि संजय राउत से ज्यादा उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, भले ही गिरफ्तारी के बाद वह कह रहे हैंकि उन्हें संजय राउत पर अभिमान है।