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Wednesday 10 August 2022 01:39:25 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने नागरिक केंद्रित और उत्तरदायी शासन केलिए लोगों और सरकारों केबीच निरंतर संवाद की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा हैकि नीति निर्माण और इसका क्रियांवयन दोतरफा प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें हर स्तरपर लोगों की भागीदारी हो। उपराष्ट्रपति ने उनसे मिलने आए 2018 और 2019 बैच के भारतीय सूचनासेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए सरकारों और नागरिकों केबीच की खाई को पाटने में संचार की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में लोगों को उनकी मातृभाषा में सरकार की नीतियों और पहलों के बारेमें समय पर जानकारी देते हुए सशक्त बनाने की आवश्यकता है, दूसरी ओर सरकारों को भी एक उद्देश्य और समयबद्ध तरीके से लोगों की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं से अवगत कराने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहाकि किसीभी सुधार की सफलता लोगों के सहयोग पर निर्भर करती है। उन्होंने कहाकि लोग किसी पहल को बेहतर ढंग से तभी समझ पाएंगे और उसका समर्थन करेंगे, जब वे शुरू से ही इसकी योजना और कार्यांवयन की रणनीति में शामिल होंगे। उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र बताते हुए कहाकि किसीभी सुधार प्रक्रिया का उद्देश्य लोगों के जीवन को सुखी और समृद्ध बनाना होना चाहिए, इसीलिए सभी सरकारी नीतिगत उपायों का ध्यान लोगों के जीवन में स्थायी खुशी लाने पर होना चाहिए। उन्होंने दीर्घकालिक लाभ केलिए अस्थायी दर्द को सहन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि आईसीटी क्रांति और इंटरनेट के प्रसार ने हमारे समाचारों के ग्रहण के तरीके को मौलिक रूपसे बदल दिया है। उन्होंने आगाह भी कियाकि 'सूचना की आसानी' इससे जुड़े जोखिमों केसाथ आती है और गलत सूचना, दुष्प्रचार एवं फर्जी ख़बरें नई चुनौतियों के रूपमें उभरी हैं, जिनसे सूचना अधिकारियों को चौबीस घंटे निपटने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया के दुरुपयोग के प्रति आगाह किया और ऐसी प्रवृत्तियों पर जल्द से जल्द अंकुश लगाने का आह्वान भी किया। इंटरनेट और सोशल मीडिया के विस्तार के उदय से उत्पन्न 'तत्काल पत्रकारिता' की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने इसके कारण पत्रकारिता के मानदंडों और लोकाचार के क्षरण के बारेमें चिंता व्यक्त की। उन्होंने मीडिया रिपोर्टिंग में तटस्थता और निष्पक्षता के महत्व पर जोर दिया और कहाकि समाचारों को विचारों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसकी तटस्थतातथा निष्पक्षता भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार के अस्तित्व केलिए महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने सूचना अधिकारियों से देशभर से विकासात्मक कहानियों को सामने लाने केलिए कहा। उन्होंने कहाकि सरकारी संचारकों के रूपमें उनको यह सुनिश्चित करने केलिए सभी प्रयास करने चाहिएं कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के अच्छे काम को मीडिया में पर्याप्त रूपसे जगह दिलाई जाए। सूचना और मनोवैज्ञानिक युद्ध को आधुनिक युद्धों का एक महत्वपूर्ण आयाम बताते हुए उन्होंने आईआईएस अधिकारियों को इन उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों से प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण केलिए एक मास मीडिया अभियान चलाने केलिए कहा। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के वोट हासिल करने केलिए लोकलुभावन उपायों के खिलाफ आगाह करते हुए कहाकि मुफ्त बांटने की संस्कृति ने कई राज्यों की वित्तीय स्थिति को खराब कर दिया है। उन्होंने कहाकि सरकार को निश्चित रूपसे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, लेकिन साथही स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत के उपराष्ट्रपति के रूपमें अपने अंतिम संबोधन में वेंकैया नायडु ने कहाकि एक साधारण किसान के बेटे से देशके दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक मेरे पहुंचने की कुंजी कड़ी मेहनत, कामकाज में समर्पण भाव और देशके हर हिस्से की निरंतर यात्रा तथा लोगों केसाथ बातचीत में निहित है। अधिकारी प्रशिक्षुओं को प्रतिष्ठित सिविल सेवा में शामिल पर बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें देश के लोगों के जीवन को बदलने केलिए काम करने का आह्वान किया।
गौरतलब हैकि भारतीय सूचना सेवा एक केंद्रीय समूह 'ए' सेवा है, इसके सदस्य भारत सरकार के मीडिया प्रबंधक के रूपमें काम करते हैं। अपनी विभिन्न क्षमताओं में आईआईएस अधिकारी सरकार और लोगों केबीच सूचनाओं के प्रसार और विभिन्न सरकारी नीतियों एवं योजनाओं को बड़े पैमाने पर जनता तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण संचार कड़ी के रूपमें कार्य करते हैं। उपराष्ट्रपति के साथ आईआईएस अधिकारियों की बातचीत के दौरान आईआईएमसी के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी, आईआईएमसी के एडीजी आशीष गोयल, आईआईएमसी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रिंकू पेगू, आईआईएस अधिकारियों के प्रशिक्षण समन्वयक और 2018-2019 के भारतीय सूचना सेवा बैच के अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने उपराष्ट्रपति को अपनी पुस्तक 'भारत बोध का नया समय' भी भेंट की।