स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 12 August 2022 04:58:42 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज ग्रामीण सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा हैकि इस प्रकार के आयोजन ना केवल एक-दूसरे की बेस्ट प्रैक्टिसिस के आदान-प्रदान, बल्कि पूरे भारत के कृषि ऋण के क्षेत्र में काम करने वाले सभी सहकारी कार्यकर्ताओं केलिए एक कॉमन थ्रस्ट एरिया का निर्माण करने मेंभी बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहाकि इतने सारे बैंक, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक और पैक्स अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग क्षेत्रों में सहकारिता के सिद्धांत के आधार पर ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि सहकारिता और इसके व्याप्त को बढ़ाने एवं सहकारिता के माध्यम से कृषक, कृषि और देश की समृद्धि बढ़ाने केलिए अगर हमारा थ्रस्ट एरिया कॉमन नहीं होगा तो परिणाम नहीं मिलेंगे। इस अवसर पर अमित शाह ने उत्कृष्ट राज्य सहकारी बैंकों, ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंकों और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को पुरस्कार भी प्रदान किए।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि भारत के लगभग 120 साल पुराने सहकारिता आंदोलन की बहुत सारी उपलब्धियां हैं, कुछ राज्यों में हर क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन आगे बढ़ा है, कुछ राज्यों में सहकारिता आंदोलन संघर्ष कर रहा है, जबकि कुछ राज्यों में सहकारिता आंदोलन सिर्फ़ किताबों में रह गया है। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व में भारत सरकार ने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय केतहत कृषि मंत्रालय से अलग कर सहकारिता मंत्रालय गठित किया है। उन्होंने कहाकि पूरे देश के सहकारिता के चित्र को ध्यान में रखकर सहकारिता की भावना से राज्यों को साथ लेकर भारत सरकार का सहकारिता मंत्रालय काफ़ी कुछ कर सकता है। अमित शाह ने कहाकि हमारे कृषि ऋण के खाके को मज़बूती प्रदान करने केसाथ इसमें सुधार कीभी ज़रूरत है, हर क्षेत्र में सहकारिता पहुंचे, इसके माध्यम सेही कृषि ऋण मिले, इसपर काम किए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहाकि सहकारिता क्षेत्र के विस्तार और इसे समृद्ध बनाने केलिए इससे ज्यादा अनुकूल समय और कोई नहीं हो सकता। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री का विज़न हैकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक अर्थतंत्र को पहुंचाना और इसके विकास केसाथ उस अंतिम व्यक्ति का भी विकास करना है तो ये सहकारिता के अलावा कोई नहीं कर सकता।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि देश में लगभग साढ़े आठ लाख सहकारी संस्थाएं हैं, जिनमें 1,78,000 अलग-अलग प्रकार की क्रेडिट सोसायटीज़ हैं, कृषि ऋण के क्षेत्र में 34 राज्य सहकारी बैंक हैं, जिनकी 2,000 से ज़्यादा शाखाएं हैं, 351 ज़िला सहकारी बैंक हैं, जिनकी 14 हज़ार शाखाएं हैं और लगभग 95 हज़ार पैक्स हैं। अमित शाह ने कहाकि पैक्स हमारी सहकारिता कृषि ऋण सिस्टम की आत्मा हैं और इनका कंप्यूटरीकरण करके इसे अधिक पारदर्शी एवं सशक्त बनाने का काम किया जा रहा है और जबतक ये ठीक नहीं चलते, तबतक कृषि ऋण की व्यवस्था ठीक नहीं चल सकती, इसके साथही इनका दायरा बढ़ना भी बेहद ज़रूरी है। अमित शाह ने कहाकि देश में तीन लाख पंचायतें हैं और कुल 95 हज़ार मेंसे अच्छे चलने वाले पैक्स 65 हज़ार हैं, तबभी लगभग 2 लाख पंचायतें ऐसी हैं, जहां पैक्स का अस्तित्व ही नहीं है, सभी राज्य और ज़िला सहकारी बैंकों का सबसे पहले काम हर पंचायत में पैक्स की पांच साल की एक रणनीति तैयार करना होना चाहिए, हर ज़िला सहकारी बैंक को अपने क्षेत्र, हर पंचायत में कैसे पैक्स बन सकता है, इसकी पांच साल की रणनीति बनानी चाहिए और हर राज्य सहकारी बैंक को इस रणनीति की मॉनिटरिंग करना चाहिए और नाबार्ड को भी अपनी विविध योजनाओं केसाथ इस रणनीति की पुष्टि करनी चाहिए।
अमित शाह ने कहाकि सहकारिता मंत्रालय बनने केबाद सबसे पहली योजना भारत सरकार लाई हैकि पैक्स को कंप्यूटराइज़्ड कर दिया जाए और पैक्स, डिस्ट्रिक्ट और स्टेट कोऑपरेटिव बैंक को ऑनलाइन जोड़ दिया जाए, पैक्स को कंप्यूटराइज करने से उसके मानव संसाधन बल का अपने आप अपग्रेडेशन हो जाएगा, फाइनेंस के प्रूडेंशियल नॉर्म्स अपने आप पैक्स में अप्लाई हो जाएंगे, ऑडिट की सारी व्यवस्थाएं अपने अकाउंटिंग सिस्टम में आ जाएंगी और अलर्ट मिलने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहाकि कंप्यूटराइजेशन तभी सफल हो सकता हैख् जब डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक्स इसे नीचे तक पहुंचाने का काम करें। उन्होंने कहाकि कई राज्यों ने कंप्यूटराइजेशन पूरा कर लिया है, लेकिन इसमें एकरूपता नहीं है। उन्होंने कहाकि पूरे देश की एग्रीकल्चर क्रेडिट सिस्टम को एक कॉमन सॉफ्टवेयर केतहत लाना बेहद ज़रूरी है। सहकारिता मंत्री ने कहाकि पैक्स आजभी किसानों केप्रति मानवीय दृष्टिकोण रखकर फाइनेंस का काम करते हैं। उन्होंने कहाकि पैक्स के कर्मचारियों मेंभी प्रोफेशनलिज्म लाना होगा, आज कोई गांव ऐसा नहीं है, जहां पढ़े-लिखे बच्चे नहीं हैं, जहां कंप्यूटर का जानकार युवा नहीं है, हमें भी पैक्स के कर्मचारियों का अपग्रेडेशन करने केलिए मानव संसाधन नीति को मजबूत करना होगा।
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहाकि केंद्र सरकार ने इसके मॉडल बाइलॉज बनाकर सभी राज्यों को भेजे हैं और लगभग सभी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक और सहकारिता से जुड़ी कई संस्थाओं और राज्य सरकारों के सुझाव मांगे गए थे, जिनपर निर्णय 15 दिन केबाद किया जाएगा। उन्होंने कहाकि पैक्स के मॉडल बाइलॉज सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, उनका अध्ययन करके अपने सुझाव सहकारिता मंत्रालय को भेज दें। अमित शाह ने कहाकि सरकार ने ग्रामीण सहकारी बैंकों का विस्तार करने कीभी एक योजना बनाई, जिसे कई जगह खेती बैंक कहते हैं। उन्होंने कहाकि ग्रामीण सहकारी बैंक आज किसान को डायरेक्ट फाइनेंस करते हैं और अभी विचार हो रहा हैकि ग्रामीण सहकारी बैंक भी पैक्स के माध्यम से मीडियम और लॉंगटर्म फाइनेंस कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि हमने सहकारिता के क्षेत्र में विगत 100 साल में बहुत अच्छा काम किया है, मगर यह पर्याप्त नहीं है, इससे बहुत अच्छा अगले 100 साल में करके हमारा सहकारिता आंदोलन सदियों तक चले ऐसा मजबूत खाका भारत में खड़ा करना है। उन्होंने कहाकि पैक्स के लगभग 13 करोड़ सदस्य हैं, जिनमें से 5 करोड़ सदस्य ऋण लेते हैं और पैक्स हर साल लगभग 2 लाख करोड़ रूपए से अधिक का ऋण वितरण करता है।
अमित शाह ने कहाकि सहकारिता के माध्यम से 10 लाख करोड़ के कृषि फाइनेंस का हमारा लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहाकि गांव के किसानों को सहकारिता के लाभों से वंचित नहीं रखना चाहिए और नया पैक्स बनाने का प्रोविजन भी कानूनन बायलॉज में और राज्यों के सहकारिता कानून में करना होगा, तब हम तीन लाख पैक्स तक पहुंच पाएंगे। सहकारिता मंत्री ने कहाकि 1992 से 2022 तक हमारे फायनेंस में गिरावट आई है और हम सबके लिए यह चिंता का विषय हैकि सहकारिता के माध्यम से एग्रीकल्चर फाइनेंस कम होता जा रहा है। उन्होंने कहाकि सहकारिता विभाग ने बहुत सारे इनिशिएटिव लिए हैं, हम एक सहकारिता यूनिवर्सिटी बनाने जा रहे हैं, डेटाबेस बनाने पर काम हो रहा है, जिससे कहां सहकारिता के विस्तार करने की जगह है, वह इंगित हो जाए, एक एक्सपोर्ट हाउस भी बनाना चाहते हैं, जो पैक्स से लेकर एपैक्स तक और कई प्रकार की सहकारी सोसाइटीज के उत्पादों को एक्सपोर्ट केलिए एक अच्छा प्लेटफार्म देगा। उन्होंने कहाकि सहकारिता में एक नए प्रकार की संवाद की व्यवस्था केलिए भी एक प्लेटफार्म तैयार कर रहे हैं। गांव से लेकर जिले और राज्य को जोड़ते हुए दिल्ली तक एक मजबूत कम्युनिकेशन का प्लेटफार्म भी बनाने जा रहे हैं। इस दौरान सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।