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Saturday 13 August 2022 12:13:43 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 'वीर गाथा' प्रतियोगिता के 25 विजेताओं को सम्मानित किया। रक्षामंत्री ने कहाकि वीर गाथा 'आजादी के अमृत महोत्सव' के एक भाग केतहत शुरू कीगई अनूठी परियोजनाओं मेंसे एक है, इसका आयोजन सशस्त्र बलों के वीरतापूर्ण कार्यों और बलिदानों के बारेमें बच्चों को प्रेरित करने और जागरुकता फैलाने केलिए किया गया था। उन्होंने बतायाकि प्रतियोगिता में 21 अक्टूबर से 20 नवंबर 2021 की अवधि में 4,788 विद्यालयों के 8.04 लाख से अधिक छात्रों को निबंध, कविता, चित्र और मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रेरणादायक कहानियों को साझा करने केलिए प्रोत्साहित किया गया था, इसमें कई दौर के मूल्यांकन केबाद 25 छात्रों का चयन किया गया और उन्हें 'सुपर-25' घोषित किया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सुपर-25 छात्रों को 10,000 रुपये नकद पुरस्कार, एक पदक और एक प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।
सुपर-25 को बधाई देते हुए रक्षामंत्री ने उनकी रचनात्मकता, जोश एवं उत्साह की सराहना की और कहाकि प्रतियोगिता केलिए उनकी प्रविष्टियों ने स्वतंत्रता सेनानियों-भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और खुदीराम बोस व वीरता पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं जैसे-मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार संजय कुमार, सिपाही (मानद कप्तान) बाबा हरभजन सिंह, हवलदार वीर अब्दुल हमीद, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज पांडेय, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और कर्नल संतोष बाबू के साहस एवं बलिदान को खूबसूरती से दिखाया है। इस सूची में कर्नल मिताली मधुमिता भी शामिल हैं, जो भारतीय सेना में वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि ये निडर स्वतंत्रता सेनानी और सशस्त्र बल के जवान, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की सेवा की है, देश के विभिन्न हिस्सों से आते हैं और विभिन्न धर्मों के हैं, लेकिन उनमें एक बात समान है, वह है भारत केलिए उनका प्यार, वे देशभक्ति के साझा धागे से बंधे हुए हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि देशभक्ति की भावना सभी बच्चों में समान है, नकि केवल सुपर-25 के बच्चों में, जिन्होंने विभिन्न धर्मों और स्थानों से होने के बावजूद पूरे मन से 'वीर गाथा' प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और इसे एक शानदार सफलता दिलाई।
रक्षामंत्री ने वीर गाथा को एक ऐसी प्रतियोगिता के रूपमें परिभाषित किया, जो देश के वीरों की यादों को संजोए रखती है और उनकी वीरता एवं बलिदान की कहानियों को हर भारतीय तक पहुंचाती है। उन्होंने कहाकि प्रतियोगिता को प्राप्त शानदार प्रतिक्रिया इस बात का प्रमाण हैकि देश के वीर और उनकी प्रेरक कहानियां हमेशा हर भारतीय के दिलों में अंकित रहेंगी और युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में योगदान करने केलिए प्रेरित करेंगी। रक्षामंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह एवं अशफाक उल्लाह खान जैसे स्वतंत्रता सेनानियों और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए छात्रों से इन प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों के जीवन से प्रेरणा लेने का अनुरोध किया। उन्होंने छात्रों को इन हस्तियों की कहानियों के माध्यम से बहादुरी और बुद्धिमत्ता केबीच संतुलन बनाने के महत्व को समझने का आह्वान किया। राजनाथ सिंह ने छात्रों से राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और जिम्मेदार नागरिक बनने के उद्देश्य से अपने मन मुताबिक क्षेत्र में काम करने का अनुरोध किया।
रक्षामंत्री ने बच्चों का सही इरादे केसाथ और विफलताओं या बाधाओं का सामना करने के डर के बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने का आह्वान किया। रक्षामंत्री ने अतीत से सीखने और भविष्य में एक नया रास्ता बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि जब तक हम प्रयास करना बंद नहीं करते, तबतक कोईभी हार अंतिम नहीं होती है। रक्षामंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती शिक्षा प्रदान करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाने में केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान के प्रयासों की सराहना की। धर्मेंद्र प्रधान ने रक्षामंत्री को वीर गाथा प्रतियोगिता केलिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहाकि भारत के वीरों को सम्मानित करने केलिए आजादी के अमृत महोत्सव से बेहतर कोई उत्सव नहीं हो सकता है। उन्होंने कहाकि इस प्रतियोगिता ने सबसे रचनात्मक तरीकों से युवा भारत की देशभक्ति और बहादुरों केलिए सम्मान को सामने लाया है। उन्होंने आश्वासन दियाकि शिक्षा मंत्रालय इस पहल के तहत प्राप्त प्रमाणपत्रों केलिए अकादमिक क्रेडिट देने केलिए जल्द ही एक संस्थागत तंत्र विकसित करेगा।
शिक्षामंत्री ने बतायाकि शिक्षा मंत्रालय कम उम्र सेही राष्ट्र केप्रति जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करने केलिए रक्षा मंत्रालय के परामर्श से 75 वर्ष में सैनिकों की वीरता और भारत की वीर गाथा को विद्यालयी पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने का काम करेगा। उन्होंने सैनिकों के सम्मान में प्रतियोगिता का नाम बदलकर 'सेना सुपर 25' करने का सुझाव दिया। सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) योगेंद्र यादव ने इस अवसर पर कारगिल युद्ध की अपनी वास्तविक जीवन की कहानी सुनाई, जहां उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया और टाइगर हिल पर कब्जा करने में भूमिका निभाई। यह भारत की ऐतिहासिक जीत में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने बच्चों को उन साहसी सैनिकों से प्रेरणा लेने केलिए प्रोत्साहित किया, जो व्यक्तिगत सुरक्षा की चिंता किए बिना नि:स्वार्थ भाव से मातृभूमि की सेवा करते हैं। इस दौरान रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार और थलसेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू, 300 एनसीसी कैडेट और 400 से अधिक विद्यालयों के छात्र, शिक्षक, आर्मी पब्लिक स्कूलों और छावनी बोर्डों के छात्र भी मौजूद थे।