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Sunday 4 September 2022 03:33:29 PM
नई दिल्ली/ लेह। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने एक विशिष्ट पहल केतहत लद्दाख में भारत की पहली 'नाइट स्काई सैंक्चुअरी' स्थापित करने का निर्णय लिया है, इसकी स्थापना का कार्य अगले तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। यह प्रस्तावित डार्क स्काई रिज़र्व चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के हिस्से के रूपमें लद्दाख के हनले में स्थापित किया जाएगा, इससे देशमें एस्ट्रो (खगोल) पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यह ऑप्टिकल, इंफ्रा-रेड और गामा-रे टेलिस्कोप केलिए दुनियाके सबसे ऊंचे स्थलों मेसे एक होगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक लोक शिकायत पेंशन और परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर से मुलाकात के दौरान साझा की। आरके माथुर ने चमड़ा केंद्र, लेह बेरी, शिक्षा मेला और सीएसआईआर की समर्थित परियोजनाओं के बारेमें चर्चा केलिए डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात की थी। राज्यमंत्री ने आरके माथुर को बतायाकि केंद्रशासित प्रशासन लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान केबीच डार्क स्पेस रिज़र्व की स्थापना केलिए एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री ने कहाकि इस स्थल पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी उपायों से स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देनेमें मदद करनेवाली गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि हितधारक संयुक्त रूपसे अवांछित प्रकाश प्रदूषण और रोशनी से रात्रिकालीन आकाश के संरक्षण की दिशामें कार्य करेंगे, जो वैज्ञानिक अवलोकनों और प्राकृतिक आकाश की स्थिति केलिए एक गंभीर खतरा है, यहभी ध्यान देने वाली बात हैकि हनले इस परियोजना केलिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह लद्दाख के सबसे ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्रमें है और किसीभी प्रकार की मानवीय बाधाओं से दूर है और यहां पूरे साल आसमान साफ रहता है और शुष्क मौसम की स्थिति मौजूद रहती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के उपराज्यपाल को यहभी बतायाकि केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान चेन्नई के वैज्ञानिकों और अधिकारियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सीएलआरआई की एक क्षेत्रीय शाखा स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने केलिए इसवर्ष के अंततक लद्दाख का दौरा करेगा, क्योंकि यह केंद्रशासित प्रदेश चमड़ा अनुसंधान और उद्योग केलिए जानवरों की व्यापक किस्मों के मामले में बहुत समृद्ध है, जिससे जानवरों की खाल से प्राप्त होनेवाले उत्पादों की जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि लद्दाख के चरथांग में 4 लाख से अधिक जानवर हैं, इनमें मुख्य रूपसे पश्मीना बकरियां शामिल हैं, इसके अलावा यहां भेड़ और याक भी पाए जाते हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रसिद्ध पश्मीना बकरियों के उपचार केलिए लेह और कारगिल में दो-दो प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करने केलिए सीएसआईआर की सराहना की। डॉ जितेंद्र सिंह ने लेह बेरी के वाणिज्यिक वृक्षारोपण को शुरू करने का निर्णय लेने केलिए लद्दाख प्रशासन की सराहना की, जो पूरे क्षेत्रमें लोकप्रिय हो रहा है। राज्यमंत्री ने कहाकि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद लेह बेरी को बढ़ावा दे रही है, जो ठंडे रेगिस्तान का एक विशेष खाद्य उत्पाद है और व्यापक उद्यमिता केसाथ स्वयं आजीविका काभी साधन है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार स्थानीय उद्यमियों को जैम, जूस, हर्बल चाय, विटामिन सी पूरक, स्वास्थ्य पेय, क्रीम, तेल, साबुन जैसे पूर्ण रूपेण जैविक तरीके से बने लगभग 100 से अधिक उत्पादों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन के जरिए लाभकारी रोज़गार प्रदान किया जाएगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के उपराज्यपाल को बतायाकि अगले वर्ष से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग लद्दाख शिक्षा मेले केलिए एक अलग और विशाल मंडप की स्थापना करेगा, जो एक वार्षिक सुविधा होगी। उन्होंने कहाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग युवाओं की रोज़गार योग्यता पर विशेष ध्यान देने केसाथ सही विषयों के चयन, छात्रवृत्ति, करियर मार्गदर्शन, कौशल विकास और शिक्षुता में सक्रिय रूपसे भाग लेगा। लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने डॉ जितेंद्र सिंह को बतायाकि 15 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर तीन औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती इस वसंतऋतु में शुरू हो जाएगी, इसमें संजीवनी बूटी भी शामिल है, जिसे स्थानीय रूपसे सोला के रूपमें जाना जाता है, इस औषधि में बहुत अधिक जीवनरक्षक और चिकित्सीय गुण विद्यमान होते हैं।