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Tuesday 27 September 2022 04:59:17 PM
बेंगलुरु। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि एचएएल और इसरो मिलकर सामरिक रक्षा और विकास में योगदान करते हैं, दोनों संगठनों ने विभिन्न उपकरणों और कार्यक्रमों के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिसने हमारे देशकी सुरक्षा और विकास को सुदृढ़ किया है। राष्ट्रपति ने आज बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन किया है। इस अवसर पर उन्होंने जोनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (दक्षिण क्षेत्र) का भी आभासी रूपसे शिलान्यास किया। राष्ट्रपति ने कहाकि एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन केवल एचएएल और इसरो केलिए ही नहीं, अपितु समूचे राष्ट्र केलिए क्रायोजेनिक और सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण की अत्याधुनिक सुविधा का होना एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहाकि एचएएल ने रक्षा क्षेत्रमें भारत की आत्मनिर्भरता की दिशामें अपार योगदान दिया है और ऐसा कहा जा सकता हैकि एचएएल रक्षाबलों के पीछे की ताकत है। उन्होंने कहाकि एचएएल ने समय-समय पर अनुसंधान, विकास और विभिन्न विमान प्लेटफार्मों के निर्माण में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि इसरो देशका गौरव है, वर्ष 1960 के दशक में जब इस संस्था ने संचालन शुरू किया, तब भारत एक युवा गणराज्य था, जो गरीबी और निरक्षरता की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा था, लेकिन उसमें अपार सामर्थ्य भी था, इसरो ने जिस तीव्रगति से विकास किया है, उसने सबसे उन्नत और तकनीकी रूपसे विकसित देशों काभी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। उन्होंने कहाकि इसरो के ईमानदार प्रयासों और समर्पण की बदौलत भारत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण क्षमता रखने वाला दुनिया का छठा देश बनने में समर्थ हो सका है। राष्ट्रपति ने कहाकि एचएएल और इसरो संयुक्त रूपसे सामरिक रक्षा और विकास के क्षेत्र में योगदान करते हैं, दोनों संगठनों ने हमारे देशकी सुरक्षा और विकास को सुदृढ़ बनाने वाले विभिन्न उपकरणों और कार्यक्रमों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है, एचएएल रक्षा संबंधी उपकरणों के निर्माण की अपनी अत्याधुनिक सुविधा केसाथ हमारे देशके लिए एक बहुमूल्य साबित हुई है।
राष्ट्रपति ने कहाकि अब जबकि भारत अमृतकाल में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में एचएएल और इसरो का गौरवशाली अतीत हमें इस बात का भरोसा दिलाता हैकि ये संगठन भविष्य मेभी महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाते रहेंगे। उन्होंने कहाकि वर्ष 2047 तक जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएंगे, हमारे आस-पास की दुनिया काफी बदल चुकी होगी। उन्होंने कहाकि जिस तरह 25 साल पहले हम समकालीन दुनिया की कल्पना तक नहीं कर सकते थे, उसी तरह हम आजभी इस बातकी कल्पना नहीं कर सकतेकि कृत्रिम आसूचना और ऑटोमेशन हमारे जीवन को किस तरह बदलने जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वतंत्र देशके रूपमें हमने 75 साल पूरे कर लिए हैं, हम अगले 25 वर्ष को भारत की नए सिरे से कल्पना करने और इसे एक विकसित देश बनाने की अवधि के रूपमें देख रहे हैं एवं यह सुनिश्चित करना हमारी संयुक्त जिम्मेदारी हैकि 2047 का भारत कहीं अधिक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र हो। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के लचीलेपन एवं असाधारण प्रयासों ने हमें कोविड संकट से निपटने में मदद की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने प्रभावी कोविड प्रबंधन में अनुकरणीय सहायता प्रदान की है और वह अपनी अनुसंधान अवसंरचना का विस्तार कर रही है। उन्होंने कहाकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद केतहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भी वायरोलॉजी के क्षेत्रमें अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाने केलिए हर संभव कदम उठा रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहयोगी प्रयोगशालाओं मेसे एकके रूपमें नामित किया गया है। उन्होंने कहाकि विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की मांगों को पूरा करने की दिशामें देशभर में क्षेत्रीय परिसरों के माध्यम से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का विस्तार प्रशंसनीय है।