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Tuesday 4 October 2022 12:51:56 PM
जोधपुर। भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता और भी ज्यादा बढ़ गई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में डिजाइन और विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया है। वायुसेना की यह एक अद्भुत ताकत है, जिसे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्रमें भारत की ताकत और आत्मनिर्भरता बताते हुए वायुसेना को सौंपा। उन्होंने कहाकि प्रचंड हेलीकाप्टर भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को और भी ज्यादा बढ़ाएगा। राजस्थान के जोधपुर एयर स्टेशन पर इंडक्शन समारोह में एलसीएच का नामकरण 'प्रचंड' करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि अमृतकाल में प्रचंड का वायुसेना में आगमन भविष्य के आत्मविश्वास का एक संदेश है, जब भारतीय वायुसेना दुनिया में सबसे बड़ी ताकत होगी और देशभी रक्षा आवश्यकताओं में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन रहा है। उन्होंने कहाकि एलसीएच का डिजाइन और डेवलपमेंट आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों के अनुरूप किया गया है, अपने विकास के चरणों में अनेक प्रकार के परिक्षण में एलसीएच ने तमाम चुनौतियों से निपटने में अपनी योग्यता दिखाई है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय वायुसेना में शामिल होनेके तुरंत बाद प्रचंड में उड़ान भी भरी। रक्षामंत्री ने स्वतंत्रता केबाद से देश केलिए आंतरिक एवं बाहरी खतरों से निपटने में भारतीय वायुसेना की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि अपनी जबरदस्त शक्ति और बहुमुखी प्रतिभा केसाथ एलसीएच का शामिल करना न केवल वायुसेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाता है, बल्कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा मेभी एक बड़ा कदम है, जैसीकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की थी। उन्होंने कहाकि स्वदेशी डिजाइन और विकास केप्रति भारतीय वायुसेना का विश्वास और समर्थन मारुत, हल्के लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल प्रणाली, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर जैसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट है। उन्होंने कहाकि एलसीएच को शामिल करना इस तथ्य को रेखांकित करता हैकि जिस तरह देश भारतीय वायुसेना पर भरोसा करता है, उसी तरह भारतीय वायुसेना भी स्वदेशी उपकरणों पर भरोसा करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षाबलों में एलसीएच 'प्रचंड' के शामिल होने पर प्रत्येक भारतीय को बधाई दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के ट्वीट का उद्धरण देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहाकि एलसीएच 'प्रचंड' को रक्षाबलों में शामिल करना हमारे देशके रक्षाक्षेत्र को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के 130 करोड़ भारतीयों के सामूहिक संकल्प केलिए एक विशेष क्षण है, इसके लिए हर भारतीय को बधाई!
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि आजादी केबाद लंबे समय तक स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टरों के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, हालांकि 1999 में कारगिल युद्ध केबाद से एलसीएच की आवश्यकता अधिक महसूस की गई थी और आजका एलसीएच उस दिशामें दो दशक के अनुसंधान एवं विकास तथा स्वदेशी प्रयासों का परिणाम था। राजनाथ सिंह ने कहाकि एलसीएच न केवल अपने रोटार, इंजन और ब्लेड के बल पर उड़ रहा था, बल्कि अनेक वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और अन्य लोगों की तपस्या, धैर्य, समर्पण और देशभक्ति केबल पर भी उड़ान भर रहा था। रक्षामंत्री ने कहाकि एलसीएच सैन्य अभियानों की विभिन्न परिस्थितियों में आधुनिक युद्ध और आवश्यक गुणवत्ता मानकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है, यह आत्मसुरक्षा करने, विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद ले जाने और इसे जल्दी से वांछित स्थान पर पहुंचाने में सक्षम है। उन्होंने कहाकि यह बहुमुखी हेलीकॉप्टर विभिन्न इलाकों में हमारे सशस्त्रबलों की जरूरतों को पूरी तरह से पूरा करता है और इस तरह एलसीएच हमारी सेना और वायुसेना दोनों केलिए एक आदर्श प्लेटफॉर्म है।
रक्षामंत्री ने कहाकि यूक्रेन एवं अन्य जगहों पर संघर्षों ने हमें दिखायाकि भारी हथियार प्रणाली और प्लेटफॉर्म, जो युद्ध के मैदान में तेजीसे आवाजाही की सुविधा नहीं देते हैं, कभी-कभी कमजोर होते हैं और दुश्मन केलिए आसान लक्ष्य बन जाते हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि इसलिए समय की मांग हैकि हम उन उपकरणों और प्लेटफार्मों के विकास की ओर बढ़ें, जो आवाजाही के लिहाज से आसान हों, अधिक लचीले हों और साथही सशस्त्रबलों की आवश्यकताओं को पूरा करते हों, एलसीएच को इनसभी विशेषताओं के अभूतपूर्व संतुलन केसाथ विकसित किया गया है और इसके लिए एचएएल को बधाई दी जानी चाहिए। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि एलसीएच को शामिल करने से भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता में अद्वितीय क्षमता जुड़ती है। उन्होंने कहाकि एलसीएच की बहुमुखी प्रतिभा और आक्रामक क्षमता विश्वस्तर पर संचालित होने वाले अधिकांश अटैक हेलीकॉप्टरों के बराबर या बेहतर है। उन्होंने कहा कि एलसीएच का संचालन करने वाली 143-हेलीकॉप्टर यूनिट में कर्मियों का चयन पेशेवर क्षमता के आधार पर रखा गया है, ताकि यूनिट का संचालन जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जा सके।
एलसीएच पहला स्वदेशी मल्टीरोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है, जिसे एचएएल ने डिजाइन और निर्मित किया है, इसमें शक्तिशाली जमीनी हमले और हवाई युद्ध क्षमता है। भारतीय वायुसेना की नव निर्मित नंबर 143 हेलीकॉप्टर यूनिट में शामिल किया गया यह स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं निर्माण में भारत के बढ़ते कौशल का प्रमाण है और रक्षा में 'आत्मनिर्भरता' की दिशामें एक मील का पत्थर है। हेलीकॉप्टर में आधुनिक स्टील विशेषताओं, मजबूत कवच सुरक्षा और रातमें हमला करने की दुर्जेय क्षमता है। जहाज पर उन्नत नेविगेशन प्रणाली, निकट युद्ध केलिए तैयार बंदूकें और शक्तिशाली हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें एलसीएच को आधुनिक युद्धक्षेत्र केलिए विशेष रूपसे अनुकूल बनाती हैं। ऊंचाई वाले इलाकों से संचालन करने और ऊंचाई वाले लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में सक्षम यह हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के शस्त्रागार केलिए एक शानदार प्लेटफॉर्म है। समारोह में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के एयर मार्शल विक्रम सिंह, एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सीबी अनंतकृष्णन, रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।