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Saturday 22 October 2022 02:10:09 PM
नैनीताल। उत्तराखंड में नैनीताल केपास विश्वस्तरीय वेधशाला में 104 सेंटीमीटर की दूरबीन संपूर्णानंद टेलीस्कोप के सफल संचालन के 50 वर्ष पूरे होनेपर राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज की कार्यशाला हुई, जिसमें इस क्षेत्रमें भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने इस दूरदर्शी यंत्र के संचालन में योगदान देनेवाले पूर्व खगोलविदों, शोधार्थियों, कार्यालय कर्मियों एवं सदस्यों को सम्मानित किया और आशा व्यक्त कीकि ऐसे ही वैज्ञानिकों तथा उपलब्ध तकनीकी क्षमताओं के योगदान से राष्ट्र को विकसित आकार देनेवाले कार्य होते रहेंगे। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहाकि जिज्ञासा बुद्धिमत्ता की जननी है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान में आज़ादी के अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूपमें 'आधुनिक खगोल विज्ञान में मीटर श्रेणी टेलीस्कोप की भूमिका' विषय पर यह 3 दिवसीय कार्यशाला हुई। कार्यशाला में कई पूर्व छात्रों और वर्तमान एआरआईईएस सदस्यों सहित देशके विभिन्न हिस्सों में विभिन्न संस्थानों और विश्वविद्यालयों के लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया। विज्ञान सत्रों केसाथ मध्यम आकार के प्रकाशिक दूरदर्शी केसाथ खगोल विज्ञान के विषय जैसे-शुरुआती दिनोंमें खगोल विज्ञान के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रभाव, सितारों का उद्भव और सितारों के संकुल, तारकीय ध्रुवनमापन, तारकीय परिवर्तनशीलता, चलायमान उच्च ऊर्जा, आकाश गंगाएं, सक्रिय गांगेय नाभिक और इंजीनियरिंग उन्नयन पर विचार-विमर्श किया गया। दूरबीन के भविष्य की वैज्ञानिक क्षमताओं को देखते हुए 'भविष्य के उपकरण' पर एक पैनल चर्चा भी हुई।
एरीज के निदेशक प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने कहाकि जिस प्रकार कार्यशाला में चार पीढ़ियों के खगोलविदों ने इस अनूठी सुविधा के उपयोग पर चर्चा की है वह बहुत उपयोगी है। पैनल चर्चा का केंद्रबिंदु यह रहाकि भविष्य में और किस प्रकार से सर्वश्रेष्ठ विज्ञान केलिए टेलीस्कोप का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इन 50 वर्ष में जिन पूर्व वैज्ञानिकों ने 104 सेंटीमीटर लंबे संपूर्णानंद टेलीस्कोप का उपयोग किया था उन्होंने खगोल विज्ञान के क्षेत्रमें अपने अनुभवों केसाथ इस दूरबीन के अनुसंधान प्रभाव को साझा किया। दूरबीन की 50 साल की यात्रा को दर्शाने वाली एक लघु फिल्म का भी विमोचन किया गया। एरीज के पूर्व और वर्तमान निदेशकों तथा देशके वरिष्ठ खगोलविदों ने प्रमुख विज्ञान पर प्रकाश डाला और दूरदर्शी के इतिहास को प्रस्तुत करने वाली एक फोटोबुक काभी अनावरण किया। प्रतिभागियों ने 104 सेंटीमीटर संपूर्णानंद टेलीस्कोप परिसर की सुविधा को देखा और इस दूरबीन केसाथ बिताए अपने समय को याद किया।
नैनीताल की मनोरा चोटी स्थित इस दूरबीन की स्थापना वर्ष 1972 में तब हुई थी, जब आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान को उत्तर प्रदेश राज्य वेधशाला के रूपमें जाना जाता था। इसका व्यापक रूपसे उपयोग धूमकेतुओं के प्रकाशिक अवलोकन, ग्रहों और क्षुद्रग्रहों ने तारकीय प्रच्छादन, तारा निर्मित करनेवाले क्षेत्रों और तारक संकुल, क्षणिक परिवर्तनीय सितारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक इत्यादि केलिए किया गया है। इस टेलीस्कोप के कुछ सफल विज्ञान परिणामों में शनि के चारों ओर नए वलय और यूरेनस के वलयों की खोज शामिल है। संपूर्णानंद टेलिस्कोप के उपकरणों और विज्ञान क्षमताओं ने एआरआईईएस द्वारा देवस्थल में 3.6 मीटर डॉट एवं 4 मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप जैसी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया है।