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Thursday 10 November 2022 03:41:33 PM
श्रीनगर। पीएमओ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि जम्मू-कश्मीर में कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की अपार संभावनाएं मौजूद हैं, क्योंकि यहांकी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती केलिए अनुकूल हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने श्रीनगर में स्टार्टअप शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहाकि सरकारी नौकरियों वाली मानसिकता स्टार्टअप संस्कृति केलिए बहुत बड़ी बाधा साबित हो रही है, विशेष रूपसे उत्तर भारतीयों केलिए। उन्होंने कहाकि जम्मू-कश्मीर से शुरू हुई 'बैंगनी क्रांति' स्टार्टअप केलिए रोचक और आकर्षक अवसर प्रदान करती है और जो लोग लैवेंडर क्षेत्रमें प्रवेश कर चुके हैं, वे इसमें सफलता प्राप्त कर रहे हैं।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि हमारे सामने कई युवा उद्यमियों के अनुकरणीय उदाहरण हैं, जिनपर ध्यान केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अपनी आकर्षक नौकरी छोड़कर अपना स्वयं का स्टार्टअप स्थापित किया है, क्योंकि उन उद्यमियों को अब इस क्षेत्रमें अपार संभावनाएं नज़र आने लगी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री के रूपमें उन्होंने बांस की टोकरी, अगरबत्ती और बांस चारकोल बनाने केलिए वर्ष 2020 में जम्मू, कटरा और सांबा क्षेत्रों में तीन बांस क्लस्टरों को स्वीकृति प्रदान की थी। उन्होंने कहाकि भारत और विदेशों में बांस उत्पादों की बहुत ज्यादा मांग है और स्टार्टअप से युवा उद्यमी इस क्षेत्रमें उद्यमशीलता के विशाल अवसरों की खोज कर सकते हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने भविष्य के दृष्टिकोण केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया, जिन्होंने 2015 में स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले के प्राचीर से स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया का आह्वान किया था, जिससे लोगों की अभिरुचि बढ़ी, इसके परिणामस्वरूप भारत में स्टार्टअप्स की संख्या जो 2014 में केवल 350 थी, वह 2022 में बढ़कर 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न केसाथ 80,000 पार हो चुकी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने जानकारी दीकि बायोटेक किसान हब ने सेब के बगीचों का कायाकल्प करने केलिए अबतक 40 बागों का कायाकल्प किया है, जहां पुराने, बूढ़े, युवा और गैर-उत्पादक बागों को ज्यादा उत्पादक बागों में परिवर्तित करने केलिए एक बहुतही अभिनव पद्धति का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहाकि जम्मू-कश्मीर मेभी किसानों ने सेब की एक नई और उच्च घनत्ववाली वृक्षारोपण प्रणाली की शुरूआत की है और बायोटेक किसान हब इसे पूरे जोश केसाथ बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की स्थापना केलिए डीबीटी और सीएसआईआर के माध्यम से पूर्ण सहयोग देने का वादा किया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि पिछले कुछ वर्ष में देशके अंदर कृषि तकनीकी स्टार्टअप की एक नई लहर उभरकर सामने आई है और ये स्टार्टअप आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, शीतलन और प्रशीतन, बीज प्रबंधन और वितरण से संबंधित समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, इसके अलावा किसानों को बाजारों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करने में भी सहायता कर रहे हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अगले 25 वर्ष में अमृतकाल के दौरान भारत में भविष्य की अर्थव्यवस्था का निर्माण करनेमें जम्मू-कश्मीर और अनेक पहाड़ी क्षेत्रों सहित हिमालयी राज्य एक महत्वपूर्ण मूल्य संस्करण बनने वाले हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों के संसाधनों का उपयोग अतीत में बहुत कम ही किया गया है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन क्षेत्रों पर बहुत ही ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है, जिसके कारण ये क्षेत्र 2047 तक भारत को वैश्विक पायदान पर स्थापित करने की दिशामें बहुतही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।