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Saturday 26 November 2022 11:36:40 AM
पणजी। गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में भारतीय पैनोरमा वर्ग में फिल्म 'धाबरी कुरुवी' का जोरदार वर्ल्ड प्रीमियर हुआ। इस फिल्म को पूरी तरह से इरुला की जनजातीय भाषा में शूट करने का गौरव प्राप्त है। यह फिल्म एक ऐसी आदिवासी लड़की की प्रचंड यात्रा को दिखाती है, जो रूढ़िवाद से लड़ती है और खुदको उन जंजीरों से मुक्त करना चाहती है, जिनसे समाज एवं समुदाय ने उसके जैसे दूसरों को जकड़ रखा है। यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली फिल्म है, जिसमें केवल जनजातीय समुदाय के कलाकारों ने अभिनय किया है। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म निर्माता एवं निर्देशक प्रियनंदन महोत्सव के दौरान पीआईबी की टेबल वार्ता सत्रों मेसे एक मीडिया और महोत्सव के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए यह जानकारी साझा की।
फिल्म निर्माता एवं निर्देशक प्रियनंदन ने युवा जनजातीय लड़कियों के जीवन में बदलाव लानेकी अपनी ईमानदार इच्छा भी साझा की, जो अपने समुदाय केलिए निर्धारित भाग्य के मानदंड को स्वीकार करने की जगह अपने लिए लड़ना भूल गई हैं। उन्होंने कहाकि सिनेमा को एक माध्यम के रूपमें उपयोग करते हुए मेरा प्रयास एक वजह केलिए कार्य करना है। प्रियनंदन ने फिल्म के बारेमें बतायाकि यह केरल में एक जनजातीय समुदाय में अविवाहित माताओं से संबंधित एक समकालीन मुद्दे के बारेमें है। प्रियनंदन ने कहाकि वे इससे बाहर आनेका एकभी प्रयास किए बिना इस कठिन परीक्षा को अपनी नियति मानकर जी रही हैं। फिल्म में एक सीधी आदिवासी लड़की की कहानी दिखाई गई है, जो निम्नस्तर से उठकर अपने शरीर और इससे संबंधित लिएगए निर्णयों पर अपने विशेष अधिकार की घोषणा करती है। पौराणिक कथा के मुताबिक धाबरी कुरुवी एक गौरैया है, जिसके पिता के बारेमें जानकारी नहीं होती है।
प्रियनंदन ने किसी स्थान, उसके लोगों को हाशिए पर रखने और मुख्यधारा की ओरसे उनका मजाक उड़ाए जानेपर विचारों को साझा किया। उन्होंने कहाकि वे फिल्म के माध्यम से इस धारणा कोभी बदलना चाहते हैं। सामाजिक परिवर्तन के माध्यम के रूपमें सिनेमा का उपयोग करने पर प्रियनंदन ने कहाकि सिनेमा के बारेमें उनका विचार हैकि यह केवल मनोरंजन केलिए नहीं है, इसका उपयोग उन लोगों के जीवन में बदलाव लाने केलिए किया जा सकता है, जिनसे हमारी मुलाकात भी नहीं हुई है। फिल्म की शूटिंग केदौरान भाषा की वजह से सामने आई चुनौतियों के बारेमें प्रियनंदन ने कहाकि पूरी प्रक्रिया सहज थी, चूंकि हमारे भावनात्मक स्तर एकसमान हैं, इसलिए भाषा कभीभी बाधा नहीं थी। प्रियनंदन ने बतायाकि फिल्म की पटकथा को पहले मलयालम में लिखा गया था और बादमें इसे इरुला में अनुवाद किया गया। उन्होंने कहाकि नाट्य विद्यालयों में प्रशिक्षण प्राप्त जनजातीय लोगों ने भी इसकी पटकथा में मेरी सहायता की थी।
जनजातीय लोगों से खुदको जोड़ने केबारे में प्रियनंदन ने बतायाकि उन्होंने और उनकी टीम ने जनजातीय समुदाय केसाथ समय बिताया और उनसे दोस्ती की, उस समय से यह आसान था, क्योंकि उन्हें हमपर बहुत विश्वास था। उन्होंने बतायाकि फिल्म केलिए जनजातीय अभिनेताओं का चयन करने केलिए अट्टापडी में एक अभिनय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें लगभग 150 लोगों ने हिस्सा लिया। पहलीबार अभिनय कररहे अभिनेताओं केसाथ काम करनेमें आनेवाली चुनौतियों के बारेमें उन्होंने कहाकि हर इंसान के भीतर एक कलाकार होता है, मैंने उन्हें कभी अभिनय करने केलिए नहीं कहा, वे केवल जैसे हैं, वैसे ही व्यवहार करते थे, वे अपने वास्तविक जीवन में केवल कठिन परिस्थितियों को जीरहे थे। प्रियनंदन ने अभिनय केलिए स्वाभाविक स्वभाव रखनेवाले लोगों से जुड़ने की जरूरत पर भी विचार साझा किए। उन्होंने कहाकि जनजातीय अभिनेता मेरी अपेक्षाओं से अधिक उल्लेखनीय प्रदर्शन करने में सक्षम थे, भावनाओं को व्यक्त करना सार्वभौमिक भाषा है, हर समुदाय में ऐसे रत्न हैं, जो बिना किसी प्रशिक्षण के दिल से प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें खोजने के प्रयास किए जाने चाहिएं।
जनजातियों की समस्याओं को रेखांकित करते हुए प्रियनंदन ने कहाकि उन्हें मुख्यधारा में लाने केलिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, धनराशि की कोई कमी नहीं होने के बावजूद उनको कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहाकि जनजातीय समुदायों के परिप्रेक्ष्य में समझने और उसके आधार पर नीतियां बनाने के प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने बतायाकि दक्षिण भारतीय राज्य केरल में जनजातीय क्षेत्र अट्टापदी के इरुला, मुदुका, कुरुबा और वडुका आदिवासी समुदायों से संबंधित 60 से अधिक लोगों ने इस फिल्म में अभिनय किया है, इनमें से बहुतसे लोगों ने अपने जीवन में एकभी फिल्म नहीं देखी थी। प्रियनंदन ने फिल्म के वर्ल्ड प्रीमियर केलिए एक बड़ा मंच देने पर आईएफएफआई को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहाकि वे वांछित लक्ष्य प्राप्त करने केलिए सभी जनजातीय बसावटों में फिल्म दिखाने की योजना बना रहे हैं। मीडिया से बातचीत में फिल्म में मुख्य किरदार निभानेवाली मीनाक्षी एवं श्यामिनी केसाथ सिनेमैटोग्राफर अश्वघोषण भी उपस्थित थे। कलाकारों में अनुप्रशोभिनी और मुरुकी सहित अट्टापदी की आदिवासी महिला नान्जियम्मा भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल सर्वश्रेष्ठ महिला गायिका के 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।