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Sunday 27 November 2022 09:40:42 PM
पणजी। फिल्म क्लिंटन के निर्देशक पृथ्वीराज दास गुप्ता ने कहा हैकि वयस्कों केलिए बच्चों की फिल्में देखना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह फिल्म एक सबक हैकि बच्चे दुनिया को कैसे देखते हैं और इसके बारेमें किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में अपनी फिल्म पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहाकि पहले मैं बोर्डिंग स्कूल भेजने केलिए अपने माता पिता से नाराज़ होता था, लेकिन अब मैं उनका आभारी हूं, क्योंकि इससे मुझे अपनी फिल्म बनाने में मदद मिली। उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म क्लिंटन पश्चिम बंगाल के कालिम्पोंग में एक बोर्डिंग स्कूल में उनके खुद के अनुभवों से प्रेरित है, यह फिल्म 10 साल के क्लिंटन की दयालुता और साहस पर आधारित है, जब वह स्कूल में दबंग बच्चों के सामने उन्हें धमकाने केलिए खड़ा हो जाता है।
फिल्म निर्देशक पृथ्वीराज दास गुप्ता ने बताया कि क्लिंटन अंग्रेजी भाषा में एक गैरफीचर फिल्म है, जो 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पैनोरमा खंड का हिस्सा है और जिसने इफ्फी में सबका दिल जीत लिया है। पृथ्वीराज दास गुप्ता ने कहाकि केवल मैं ही इस कहानी को बता सकता था, क्योंकि यह मेरी वास्तविकता है और मैं इस कहानी में प्रामाणिकता ला सकता था। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में फिल्म निर्देशक पृथ्वीराज दास गुप्ता की यह दूसरी फिल्म थी, उनकी पहली फिल्म फिल्मोत्सव के पिछले संस्करण में भी दिखाई गई थी।
पृथ्वीराज दास गुप्ता ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने आशा की थीकि फिल्म न केवल स्कूलों में बल्कि उन स्थानों पर भी दिखाई जाएगी, जहां वयस्क दर्शक इसे देख सकते हैं। उन्होंने कहाकि वयस्क अक्सर बच्चों की समस्याओं को खारिज कर देते हैं, उन्हें समझ नहीं आताकि छोटी-छोटी चीजें बच्चों केलिए कितनी महत्वपूर्ण होती हैं और वे उनपर क्या और कितना प्रभाव छोड़ती हैं। पृथ्वीराज दास गुप्ता ने कहाकि क्लिंटन के साथ उन्हें स्क्रीन पर बच्चों की मासूमियत प्रदर्शित करने की आशा है और कालिम्पोंग में अपने बचपन की याद ताजा होने की भी उम्मीद है।